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इस साल भारत ने 1300 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया है- पाक मीडिया

पाकिस्तानी सेना के जनरल ने भारत को धमकी भी दी है

Seema Tanwar

पाक आर्मी चीफ ने कहा, तैयारियों में कोई कमी ना रहे

पाकिस्तानी उर्दू मीडिया का पारा भारत को लेकर चढ़ा ही रहता है. ऐसे में, पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के बयान ने पाकिस्तानी अखबारों के संपादकीयों को और गर्मा दिया है. जनरल बाजवा ने भारत से लगने वाली सीमा पर बढ़ते खतरों का हवाला देते हुए कहा है कि पाकिस्तानी सेना की तैयारियों में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए.


पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार शुक्रवार को चिड़ी कोट सेक्टर में भारत की गोलाबारी में दो पाकिस्तानी मारे गये और पांच अन्य घायल हो गए. भारत ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान से लगने वाली सीमा पर भी नाजुक हालात का हवाला देते हुए पाकिस्तानी अखबारों ने मौजूदा दौर को पाकिस्तान के लिए चुनौती वाला दौर बताया है.

पाकिस्तान की मजबूरी

रोजनामा ‘दुनिया’ लिखता है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने पूर्वी सीमा पर खतरों के हवाले से जो आशंकाएं जतायी हैं, वे दुरुस्त हैं क्योंकि भारतीय सेना नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम का लगातार उल्लंघन कर रही है.

अखबार कहता है कि पहले कभी कभार किसी सेक्टर में गलतफहमी के कारण कोई झड़प होती थी लेकिन अब भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा के इर्द गिर्द किसी ना किसी सेक्टर में बेवजह फायरिंग और गोलाबारी को आम बात बना लिया है और इसमें सैन्य ठिकानों को ही नहीं बल्कि आम लोगों की बस्तियों को भी निशाना बनाया जा रहा है. अखबार का दावा है कि भारतीय सेना ने इस साल अब तक 1300 से ज्यादा बार संघर्षविराम समझौते का उल्लंघन किया है जिसमें 50 आम पाकिस्तानी मारे गए हैं.

रोजनामा ‘औसाफ’ लिखता है कि नियंत्रण रेखा पर 2003 का संघर्ष विराम समझौता पूरी तरह बेअसर हो चुका है और पाकिस्तान की मुश्किल यह है कि अगर उसकी फौज एक कदम आगे बढ़ाते हुए भारत को निर्णायक जवाब देती है तो उससे सरहद के उस पार बसे कश्मीरी प्रभावित होंगे. अखबार कहता है कि भारत पाकिस्तान की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हुए आक्रामता को जारी रखे हुए है. अखबार के मुताबिक आर्मी चीफ ने खतरों की बिल्कुल ठीक निशानदेही की है और रावलपिंडी कोर के दौरे के दौरान मुकाबले की पूरी तैयारी पर जोर दिया है. अखबार ने उम्मीद जताई है कि भारत को लेकर सरकार भी अपने हिस्से का काम करेगी और सेना भी अपनी तैयारी मुकम्मल रखेगी.

वक्त की जरूरत

‘उम्मत’ ने इस विषय पर संपादकीय लिखा है: भारत को आर्मी चीफ की चेतावनी. अखबार ने जंगी तैयारियों के बारे में आर्मी चीफ के बयान को लेकर लिखा है कि भारत ने अगर कश्मीर समस्या को लेकर कोई जंग छेड़ने की कोशिश की तो पाकिस्तानी सेना उसका मुंहतोड़ जबाव देने की ताकत रखती है और उसकी उन्होंने पूरी तैयारी भी कर ली है.

अखबार लिखता है कि मोदी सरकार अपनी पाकिस्तान दुश्मनी और जंगी जुनून के लिए भारत को नुकसान पहुंचाने से भी गुरेज नहीं करती है जो एक तरह से अपने ही देश से दुश्मनी के बराबर है. अखबार की राय में, भारत की रक्षा तैयारियों, सेना, हथियार, गोलाबारूद और सैन्य साजोसामान पर बेतहाशा खर्च की वजह पाकिस्तान को भी हर वक्त तैयार रहना पड़ता है.

रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ लिखता है कि पाकिस्तान को अपनी पूर्वी सीमा पर मौजूद खतरों से बेपरवाह नहीं होना चाहिेए. अखबार की राय में भारत से लगने वाली सीमा ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान से लगने वाली सीमा पर भी पाकिस्तान के लिए हालात साजगार नहीं हैं.

अखबार ने कहा है कि अफगानिस्तान के साथ डूरंड लाइन का भी अकसर उल्लंघन होता रहता है और अफगानिस्तान से अकसर आतंकवादी पाकिस्तानी इलाकों में घुस कर हमले करते हैं. अखबार की राय है कि पाकिस्तान की रक्षा के लिए पाकिस्तान फौज को आधुनिक हथियारों से लैस करना होगा जबकि आर्थिक तौर पर मजबूती भी वक्त की अहम जरूरत है क्योंकि मजबूत अर्थव्यवस्था के बिना सुरक्षा मजबूत नहीं हो सकती.

जंग का खतरा

दैनिक ‘जंग’ लिखता है कि भारत की भड़काऊ कार्रवाइयां कभी भी बड़े टकराव में बदल सकती हैं और दक्षिण एशिया की एटमी ताकतों के बीच बाकायदा जंग छिड़ सकती है, जिसमें परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया जा सकता. अखबार के मुताबिक इन हालात में न सिर्फ पाकिस्तानी फौज को बल्कि पूरे पाकिस्तानी राष्ट्र को हर मुमकिन खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना होगा जबकि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को भी दक्षिण एशिया की इस सुलगती हुई स्थिति से आंखें मूंद कर नहीं बैठ जाना चाहिए.