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चीन-भूटान मामला: 1950 की गलती दोहराने से बचेगा भारत

तिब्बत पर जब चीन ने हमला किया भारत चुप रहा, अब भूटान पर चुप रहना होगा खतरनाक

Pratima Sharma

भारत और चीन. दोस्त हैं...प्रतिद्वंदी हैं...और वक्त-बे-वक्त दुश्मन बन जाते हैं. चीन के साथ भारत की दोस्ती जितनी ठंडी है इनकी दुश्मनी उतनी ही गरम. 1962 में चीन के साथ भारत का संघर्ष हुआ लेकिन इसकी नींव 1950 में ही पड़ गई थी.

आज भले ही इंडिया और चीन की सीमा एक दूसरे को छू रही हो, लेकिन पहले ऐसा नहीं था. 1950 तक चीन और भारत के बीच तिब्बत था. तिब्बत को अपने कब्जे में करके चीन भारत की सीमा के नजदीक आ गया था. उस वक्त देश में जवाहरलाल नेहरू का शासन था. हिंदी-चीनी भाई-भाई के भ्रम में नेहरू ने तिब्बत पर चीन के बढ़ते दबदबे के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया. तब भारत को यह अंदाजा नहीं था कि तिब्बत पर उसकी चुप्पी कितनी भारी पड़ सकती है.


तिब्बत न बन जाए भूटान

हुआ भी यही. तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन ने भारत की सीमा में टांग अड़ाना शुरू किया. जिसका नतीजा 1962 के युद्ध के तौर पर दिखा. उस वक्त के पीएम जवाहर लाल नेहरू ने तिब्बत के मामले में कुछ नहीं बोला था. इस बार भूटान को लेकर मामला तिब्बत जैसा ही है. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूटान में चीन की दखल पर चुप रहते हैं तो यह पुरानी गलती दोहराने वाली ही बात होगी.

हालांकि इस मामले में जानकारों का कहना है कि अब 1950 की गलती को दोहराने से बचना चाहिए. इस पर सुरक्षा मामलों के जानकार कर्नल दानवीर सिंह ने कहा, 'भारत को भूटान के मामले में चुप नहीं रहना चाहिए. चीन की आदत है हमें डराने की. हर बार उसका रवैया अड़ियल और लहजा धमकाने वाला होता है. भारत को उसकी बातों पर गौर किए बगैर खुद को हर मौके के लिए तैयार रहना चाहिए.'

सिंह ने कहा कि 1962 के बाद 1967 में भी भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ. इसमें भारतीय सैनिक चीन के सैनिकों पर हावी रहे. इस युद्ध में चीन के करीब 300 सैनिक मारे गए थे. भारत में करीब 90 सैनिक शहीद हुए थे. सिंह का कहना है कि भारत को किसी भी सूरत में फिलहाल पीछे नहीं हटना चाहिए. उनका कहना है कि भारत को 1950 की गलती नहीं दोहराना चाहिए. 1950 में चीनी सैनिकों ने चीन-तिब्बत बाउंड्री को क्रॉस करके ल्हासा तक पहुंच गया.

क्या है मामला?

चीन सिक्किम क्षेत्र में आने वाले भूटान के डोका ला तक सड़क निर्माण कर रहा है. डोका ला को चीन, भूटान और भारत का मिलन बिंदु माना जाता है. चीन इसे अपना इलाका मानता है जबकि भारत और भूटान इसे भूटान का इलाका मानते हैं. भारतीय सेना ने भूटान की मदद करते हुए इस इलाके में घुसकर सड़क निर्माण को बाधित किया था. इसके बाद से चीन लगातार घुसपैठ के दावे कर रहा है. दोनों देशों की सेना के बीच धक्का-मुक्की की खबरें भी आई थीं.

वहीं चीन ने नाथू ला पास पर स्थित भारत के बंकर ध्वस्त कर दिए थे, जिसके चलते इस रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा को रद्द करना पड़ा. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है. भारत के लिए डोका ला पर चीन का सड़क निर्माण रोकना इसलिए भी आवश्यक है कि सड़क बनने के बाद युद्ध की स्थिति में चीनी सेना भारत की सीमा तक आसानी से पहुंच सकती है.