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पाकिस्तानी अखबारों में हो रही है टीम इंडिया की तारीफ

पाकिस्तानी अखबार अपने देश की क्रिकेट टीम की खिंचाई करने में लगे

Seema Tanwar

भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले क्रिकेट मैच खेल प्रेमियों के लिए किसी कुंभ से कम नहीं होते. ऊपर से आजकल दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है. ऐसे में, पाकिस्तानी मीडिया ने ब्रिटेन में खेले गए चैंपियंस ट्रॉफी के इस मैच को ‘सबसे बड़ी जंग’ बना दिया. लेकिन भारत के हाथों मिली करारी हार ने सारे अरमानों को धूल में मिला दिया.

अब पाकिस्तानी अखबार अपने देश की क्रिकेट टीम की खिंचाई करने में लगे हैं. कोई टॉस जीतकर भारत को पहले बैटिंग की दावत दिए जाने पर आग-बबूला है तो कहीं टीम भावना की कमी का रोना रोया जा रहा है. मजे की बात यह है कि कुछ अखबार भारत टीम भी तारीफ कर रहे हैं.


एकतरफा मुकाबला

रोजनामा ‘जंग’ लिखता है कि भारत के हाथों पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की शिकस्त ने पाकिस्तानी खेल प्रेमियों को मायूस किया है.

अखबार के मुताबिक कहने को तो मैच से पहले पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने 12 दिन तक प्रैक्टिस की और इस मुकाबले में नई रणनीति के साथ उतरने के दावे किए गए, लेकिन मैदान पर टीम के प्रदर्शन में इसकी कोई झलक नहीं मिली.

अखबार लिखता है कि उम्मीद तो यह थी कि पाकिस्तानी टीम भारतीय खिलाड़ियों का मर्दाना मुकाबला करेगी लेकिन बैटिंग, बॉलिंग समेत टीम खेल के हर क्षेत्र में नाकाम रही. अखबार की राय में वहाब रिजाय को टीम में शामिल करना समझ से परे था क्योंकि वह पहले मैचों में भी बहुत ज्यादा रन दे चुके थे. दो अहम भारतीय बल्लेबाजों के कैच छोड़ने के लिए भी अखबार ने पाकिस्तानी क्रिकेट टीम को खरी खोटी सुनाई है.

एक्सप्रेस’ लिखता है कि हार और जीत खेल का हिस्सा है लेकिन टक्कर देकर हार जाने का मजा और होता है और बिना मुकाबला हार जाने का मतलब है कि टीम में कई खामियां हैं, जिन पर काबू पाने की कोशिश नहीं हो रही है.

अखबार की टिप्पणी है कि रोहित, शिखर, विराट कोहली और युवराज सिंह ने पाकिस्तानी गेंदबाजों वहाब रियाज, मोहम्मद आमिर और अन्य की अपने बल्ले से खूब धुनाई की और ऐसा लग रहा था कि जैसे क्लब क्रिकेट के बॉलर गेंदबाजी कर रहे हैं.

अखबार लिखता है कि जब भारतीय बल्लेबाजों ने 319 रन का स्कोर बना लिया तो पाकिस्तान बल्लेबाज दिल ही दिल में हार मान बैठे थे, तभी तो एक के बाद एक बल्लेबाज पवेलियन लौटते गए और लक्ष्य को हासिल करना का जज्बा उनमें कहीं नहीं दिखाई दिया.

पाकिस्तानी क्रिकेट में सुधारों की वकालत करते हुए अखबार कहता है कि मुकाबला होता तो देखने वालों को बेशक मजा आता लेकिन यहां तो मुकाबला ही एकतरफा साबित हुआ. अखबार की राय में ऐसा लग रहा था कि जैसे पाकिस्तान का हर खिलाड़ी सिर्फ अपने लिए खेल रहा है और टीम वर्क कहीं नजर आ रहा था.

मीडिया का शोर-शराबा

रोजनामा ‘दुनिया’ के संपादकीय में भी पाकिस्तान की हार की चर्चा है. अखबार लिखता है कि भारत की टीम एक मंझी हुई टीम है जिसमें बेहतरीन बल्लेबाज और बॉलर हैं और उसी के मुताबिक उम्दा प्रदर्शन करते हुए उसने पाकिस्तान को एकतरफा मुकाबले में 124 रन से शिकस्त दे दी.

अखबार के मुताबिक दोनों टीम के बीच फर्क साफ दिखाई दे रहा है, लेकिन इसके बावजूद मीडिया ने इसके बारे में ऐसा शोर शराबा किया कि जैसे पाकिस्तान का सबसे बड़ा मसला यह मैच ही है. अखबार कहता है कि ऐसा पिछले कई बरसों से होता आया है कि पाकिस्तान इस तरह के मैच हारता आया है.

अखबार की राय है कि पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड को बेहतरीन टीम बनाने के लिए सिर्फ ईमानदारी और देशभक्ति की जरूरत है और इसके बाद पाकिस्तान की टीम भी बेहतरीन टीम बन जाएगी.

नवा ए वक्त’ के संपादकीय का शीर्षक है - निराशाजनक प्रदर्शन पर टीम हिम्मत ना हारे, देश उसके साथ है. अखबार लिखता है कि भारत के साथ मैच होने के कारण खिलाड़ी दबाव में आ गए या फिर जो भी वजह रही हो, टीम वाकई रेत की दीवार साबित हुई. अखबार कहता है कि मुकाबला तो किया होता. टीम को गलतियों से सबक लेने की नसीहत देते हुए ‘नवा ए वक्त’ ने लिखा है कि वह अगले मैचों में अच्छा प्रदर्शन करे और देश उसके साथ है.