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भारत में अल्पसंख्यकों को हासिल है ‘अभूतपूर्व’ सहूलियतें: रिपोर्ट

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन रिपोर्ट की जारी इस रिपोर्ट में इसका जिक्र है कि कैसे भारत सरकार ने 'अपनी धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी को अभूतपूर्व सुविधाएं दीं', वर्ष 2016-17 में इन्हें 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की योजनाओं से लाभान्वित किया गया

Bhasha

अमेरिका स्थित हिंदू अधिकार समूह की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी को ‘अभूतपूर्व’ सुविधाएं देती है. समूह के मुताबिक भारतीय क्षेत्र में स्थिरता के पीछे की यह एक बड़ी वजह है.

हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (एचएएफ) ने ‘भारत: विविधता में लोकतंत्र’ शीर्षक वाले अपने हालिया संक्षिप्त नीति विवरण में कहा कि क्षेत्र में व्यापक स्थायित्व लाने और कट्टरपंथी इस्लामी तथा कम्युनिस्ट/माओवादी आतंकवाद को लगाम लगाने के लिए यह कितना जरूरी है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि अमेरिका लगातार भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत बना रहा है.


इस हफ्ते अमेरिकी संसद की ऐतिहासिक इमारत में जारी किए गए इस नीतिगत दस्तावेज में भारत के सदियों पुराने बहुधर्मी और बहुजातीय दर्जे को रेखांकित करने के साथ ही राष्ट्र राज्य के उसके महत्व को भी दर्शाया गया है. इसके साथ ही दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि भारत दुनिया के 4 प्रमुख धर्मों की जन्मस्थली है और कई दूसरे धर्मों और जातियों के लिए शरणस्थली भी.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत की न्यायिक व्यवस्था बेहतरीन

रिपोर्ट में इस बात का भी विस्तार से जिक्र है कि कैसे भारत सरकार ने 'अपनी धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी को अभूतपूर्व सुविधाएं दीं.' वर्ष 2016-17 में इन्हें 60 करोड़ अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की योजनाओं से लाभान्वित किया गया.

बता दें कि इस रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों पर हुए हमले जैसे मॉब लींचिंग और दंगों का भी जिक्र किया गया है. हालांकि मॉब लींचिग की घटनाओं को ज्यादातर स्थानीय राजनीति और समाजिक गतिविधियों से प्रभावित बताते हुए एचएएफ ने गोहत्या को गलत ठहराया है. एचएएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक ग्रंथ कुरान में यह कहीं नहीं लिखा हुआ है कि गाय की कुर्बानी देना जरूरी है. मुसलमानों को बकरी और अन्य दूसरे मीट खाने से नहीं रोका गया है. हमारा संविधान खुद गोहत्या को जुर्म बताता है.

वहीं रिपोर्ट में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए बनाई गई केंद्र सरकार की योजनाओं का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट पर्सनल कानून और ट्रिपल तलाक के ऊपर भी चर्चा करती है और भारत की न्यायिक व्यवस्था को बेहतरीन बताती है.