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अपनी बंदूकबाजी के चलते अपने ही लोगों को मार रहा है अमेरिका?

अमेरिका में 2015 से अब तक हर दिन भीड़ पर गोली चलाने की एक घटना हुई है, जिनमें मौतें होते रही हैं

FP Staff

रिटायरमेंट की जिंदगी जी रहे करोड़पति और जुआरी बुजुर्ग स्टीफेन पैडॉक के मन पर ऐसा क्या भूत सवार हुआ जो उसने होटल की 32वीं मंजिल की खिड़की से अंधाधुंध गोलियां बरसाकर निहत्थे 59 लोगों की जान ले ली—इस सवाल पर अगले कुछ दिनों तक असमंजस बरकरार रहेगा.

लेकिन एक बात अभी से पक्की है—एक मुल्क के रुप में बंदूकों की सोहबत जितनी अमेरिका को प्यारी है उतनी ‘सभ्य’ कहलाने वाली विकसित दुनिया के किसी और देश को नहीं.


बंदूकबाजी का अमेरिकी शगल

कोई चाहे तो आसानी से कह सकता है कि खुद को दुनिया में आजादख्याली का सबसे बड़ा रखवाला समझने वाले अमेरिका ने नागरिक की कल्पना एक ऐसे व्यक्ति के रुप में कर रखी है जिसके पास भरी हुई बंदूक हो.

अगर आपको बात बढ़ा-चढ़ाकर कही गई जान पड़ती है तो अमेरिकी संविधान के सेकेंड अमेंडमेंट (मौलिक अधिकार वाला हिस्सा) का यह वाक्य पढ़ लीजिए, "चूंकि एक आजाद मुल्क की हिफाजत के लिए एक नियंत्रित सहायक नागरिक सेना (मिलिशिया) जरुरी है, सो जनता के हथियार रखने और धारण करने के अधिकार पर पाबंदी नहीं होगी."

अमेरिका को छोड़कर सिर्फ ग्वाटेमाला ही एक ऐसा देश है जहां नागरिकों को हथियार रखने की तकरीबन बेलगाम छूट है. ग्वाटेमाला के संविधान का अनुच्छेद 38 नागरिकों को ‘निजी इस्तेमाल के लिए हथियार रखने का हक’ देता है. मैक्सिको(अनुच्छेद-10) और हैती(अनुच्छेद 268-1) के संविधान में भी नागरिकों को हथियार रखने के अधिकार हैं लेकिन कहा गया है कि हथियार घर की चारदीवारी के भीतर ही रखे जायें और फिर सरकार चाहे तो सार्वजनिक हित में इस अधिकार को सीमित करने के लिए कानून भी बना सकती है.

लास वेगस में हुए हमले की एक तस्वीर

अमेरिका में सबसे ज्यादा बंदूकधारी

हथियार रखने के मौलिक अधिकार का इस्तेमाल भी अमेरिका ने पूरे जोशो-खरोश से किया है. टेक्सास रिव्यू ऑफ लॉ एंड पॉलिटिक्स में छपे एक शोध लेख के मुताबिक बंदूकों की मिल्कियत की दर के लिहाज से देखें तो अमेरिका दुनिया के 59 मुल्कों में सबसे अव्वल (प्रति 100 व्यक्ति पर 90 बंदूक) है. तुलना करें इस आंकड़े की मैक्सिको से जो बंदूकों की मिल्कियत के मामले में 59 मुल्कों के बीच 22 वें स्थान (प्रति 100 लोगों पर 15 बंदूक) पर है.

यूएन के ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम की एक रिपोर्ट के तथ्य बताते हैं कि दुनिया की कुल आबादी (7.13 अरब) में संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक केवल 4.43 प्रतिशत (लगभग 32 करोड़) हैं लेकिन दुनिया में आम नागरिकों के हाथ में मौजूद छोटे फायरआर्म्स जैसे कि बंदूक या पिस्तौल का 42 फीसद हिस्सा सिर्फ अमेरिकी नागरिकों के पास है. इसी जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि अमेरिका की आम आबादी के केवल 3 फीसद हिस्से के पास वहां मौजूद कुल बंदूकों का लगभग 50 फीसद हिस्सा है.

आम अमरीकी नागरिक की बंदूकों से सोहबत को ज्यादा करीब से परखने का मन हो तो 2016 के जून में ओरलैन्डो के नाइटक्लब में हुई गोलीबारी की घटना के बाद अमेरिकी अखबारों में छपे के एक सर्वेक्षण के आंकड़ों पर गौर करें. 1001 अमेरिकियों पर आधारित इस सर्वेक्षण के मुताबिक 36 फीसद व्यस्क अमेरिकी आबादी के पास या तो खुद का बंदूक या पिस्तौल जैसा हथियार है या फिर उसके परिवार के किसी ना किसी सदस्य के पास ऐसे हथियार हैं. गौर करने की एक बात यह भी है कि इस सर्वेक्षण के मुताबिक 1978 के बाद से बंदूकधारी आम अमेरिकी नागरिकों की यह सबसे कम संख्या है.

इन तथ्यों को पढ़ने के बाद हमें कोई अचरज नहीं होना चाहिए अगर अमेरिकी पुलिस कह रही है कि लॉस वेगास के संगीत समारोह में शिरकत करती भीड़ पर गोली चलाने वाले स्टीफेन पैडॉक के पास अलग-अलग सूरत और सीरत की 40 बंदूकें थीं.

हर दिन भीड़ पर गोलीबारी की एक घटना

कुछ शोध-रिपोर्ट के संकेत हैं कि आम अमेरिकी नागरिक के हैरतअंगेज तादाद में बंदूकधारी होने के तथ्य का गहरा रिश्ता वहां होने वाली हिंसा की घटनाओं और हत्याओं से है.

मिसाल के लिए यूएन के ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम के स्मॉल ऑर्म्स सर्वे (2012) के तथ्यों पर गौर किया जा सकता है. इस सर्वे के मुताबिक अमेरिका में अधिक आमदनी वाले देशों में शुमार कनाडा की तुलना में 6 गुना और जर्मनी की तुलना में 16 गुना ज्यादा हत्याओं में बंदूक या पिस्तौल जैसे छोटे फायरआर्म्स का इस्तेमाल होता है.

अमेरिका में प्रति 10 लाख आबादी पर बंदूक या पिस्तौल की गोली से मरने वाले लोगों की संख्या 29.7 है जबकि कनाडा में 5.1 तथा जर्मनी में मात्र 1.9 है. छोटे फायरआर्म्स से मरने वाले लोगों की सबसे कम तादाद के लिहाज से आस्ट्रेलिया या फिर न्यूजीलैंड की स्थिति सबसे बेहतर कही जा सकती है जहां प्रति दस लाख लोगों पर गोलीबारी में मरने वाले लोगों की संख्या क्रमशः 1.4 और 1.6 है.

निहत्थी भीड़ को अचानक हमलावर होने की घटनाओं में हुई तेज बढ़ोत्तरी की घटनाओं का संकेत है कि अमेरिकी नागरिकों ने बंदूकों की सोहबत की भारी कीमत चुकायी है. अमेरिका में बंदूक-पिस्तौल जैसे छोटे आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल के सहारे होने वाली हिंसा की बड़ी घटनाओं की तफ्सील रखने वाले गन वायलेंस आर्काइव के आंकड़े बताते हैं कि 2012 से अबतक अमेरिका में भीड़ पर गोली चलाने की लगभग 1518 घटनाएं हुई हैं.

साल 2012 के दिसंबर  में अमेरिकी के दक्षिणी इलाके के सूबे कनेटिकट के न्यूटाऊन में सैंडी हुक प्राथमिक विद्यालय में एक बंदूकधारी अमेरिकी ने अंधाधुंध गोलीबारी करके 20 बच्चों और 6 व्यस्क लोगों को मार डाला, फिर खुद को गोली मार ली थी. तब से हुई ऐसी 1512 घटनाओं में कुल 1715 लोग मारे गये हैं और 6089 लोग घायल हुए हैं.

अमेरिका में बंदूकों की प्रतियोगिता में शॉटगन के साथ 12 साल की एक बच्ची. फोटो सोर्स-रॉयटर्स

गन वायलेंस आर्काइव ने भीड़ पर गोलीबारी की घटना (मास शूटिंग) की जो परिभाषा बनाई है उसके दायरे में गोलीबारी की कम गंभीर घटनाएं शामिल नहीं है. आर्काइव ने चार से ज्यादा लोगों के गोलीबारी की घटना में मारे जाने को मास शूटिंग की घटना के दायरे में रखा है. सो बहुत संभव है, निहत्थे अमेरिकी लोगों पर किसी अमेरिकी बंदूकधारी के गोली चलाने की घटनाएं ज्यादा हुई हों. कुछ आकलनों में यह भी माना गया है कि 2015 से अमेरिका में भीड़ पर गोली चलाने की घटना हर दिन हुई हैं ऐसी हर घटना में 1 से ज्यादा व्यक्ति मारे गए हैं.

बंदूक रखने पर पाबंदी क्यों नहीं

अमेरिका में भीड़ पर गोलीबारी की हर घटना के बाद सवाल गूंजता है कि बंदूक रखने के अधिकार पर पाबंदी लगनी चाहिए लेकिन बंदूक बेचने के उद्योग को जारी रखने के पैरोकार एक ना एक तरीके से अड़ंगा लगाते हैं. मिसाल के लिए 2015 के जून में साऊथ कैरोलिना के एक चर्च में एक अमेरिकी ने नस्लीय पूर्वाग्रह के कारण गोलीबारी की. घटना में नौ लोग मारे गये जिसमें चर्च के पादरी और एक अमेरिकी सीनेटर का भी नाम शामिल है.

उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गन-कंट्रोल की बात खुद कही थी लेकिन बंदूक रखने के अधिकार पर पाबंदी के खिलाफ खड़ी लॉबी ने कहा, जब पूरा मुल्क शोक में डूबा हो तो सियासी बढ़त हासिल करने के लिए बहस खड़ी करना ठीक नहीं. इस वक्त का एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि भारतीय मूल के लुसियाना के गवर्नर बॉबी जिंदल ने बंदूक रखने के संविधान-प्रदत्त अधिकार की हिफाजत में दलील दी थी कि राष्ट्रपति बराक ओबामा 'सस्ती सियासी लोकप्रियता' हासिल करने की तरकीब निकाल रहे हैं.

तथ्य यह है कि अमेरिका में जिन प्रांतों में बंदूकधारी आम नागरिकों की संख्या प्रतिशत पैमाने पर ज्यादा है वहां बंदूकबाजी से होने वाली मौतों की तादाद भी ज्यादा है और यह बात सिर्फ अमेरिका के लिए ही नहीं बल्कि विकसित माने जाने वाले अन्य मुल्कों के लिए भी सही है. एक उदाहरण तो आस्ट्रेलिया का ही है. वहां 1996 में तस्मानिया में एक बंदूकबाज ने 35 लोगों की हत्या कर दी. घटना से आहत आस्ट्रेलियाई सरकार ने बंदूक रखने-खरीदने के नियम-कायदे बड़े सख्त कर दिए.

तस्मानिया की घटना को अब दो दशक होने को आए और ऑस्ट्रेलिया में वैसी घटना की पुनरावृत्ति फिर कभी नहीं हुई. लेकिन अमेरिकी नागरिकों का हथियार-प्रेम और वहां सक्रिय मजबूत गन-लॉबी को देखते हुए लगता नहीं कि अमेरिकी सरकार आस्ट्रेलिया जैसा साहस निकट भविष्य में कर सकेगी.