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जर्मनी चुनाव: एग्जिट पोल में मर्केल चौथी बार जीत की ओर

धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी पार्टी राष्ट्रीय संसद में अपनी पहली सीट जीत कर इतिहास रचने के करीब है

Bhasha

जर्मनी में आम चुनाव के तहत रविवार को मतदान हुआ, जिसमें चांसलर एंजेला मर्केल को चौथी बार देश की कमान मिलने की उम्मीद है. वहीं, धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पार्टी राष्ट्रीय संसद में अपनी पहली सीट जीत कर इतिहास रचने के करीब है.

मर्केल ने मध्य बर्लिन में अपना वोट डाला. उस वक्त हल्की बारिश भी हो रही थी और उनके पति उन्हें बारिश से भींगने से बचाने के लिए छाता थामे हुए थे. चुनाव सर्वेक्षणों से पता चलता है कि मर्केल की कंजरवेटिव सीडीयू/सीएसयू गठजोड़ को अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी मार्टिन स्कल्ज नीत मध्य वाम सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) पर दोहरे अंकों में बढ़त हासिल है.


'अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' बन सकती है तीसरी ताकत

जर्मनी की संघीय संसद के निचले सदन ‘बुंदेसटैग’ में प्रवेश के लिए चार पार्टियों के पांच फीसदी की सीमा पार करने का अनुमान है ऐसे में अगली सरकार के गठन में महीनों लग सकते हैं. हालांकि, मुख्य धारा की पार्टियों ने इस्लाम विरोधी, आव्रजन विरोधी ‘अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी’ (एएफडी) से बात करने से इनकार किया है जिसे 11 से 13 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है. यह जर्मनी की तीसरी सबसे मजबूत पार्टी के रूप में उभर सकती है.

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद से पहली बार ‘बुंदेसटैग’ में असली नाजियों के प्रवेश से सतर्क नेताओं ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में मतदाताओं से अनुरोध किया कि वे दक्षिणपंथी एएफडी को खारिज कर दें. यूरोपीय संसद के पूर्व प्रमुख स्कल्ज ने शुक्रवार को एक रेली में कहा, ‘जर्मनी के लिए यह विकल्प कोई विकल्प नहीं है. वे हमारे राष्ट्र के लिए शर्म का विषय हैं.’ ताजा सर्वेक्षणों में मर्केल के कंजरवेटिव ब्लाक को 34-36 फीसदी जबकि एसपीडी को 21-22 प्रतिशत समर्थन मिलने की बात कही गई है.

एएफडी प्रदर्शनकारियों द्वारा मर्केल (63) के चुनाव प्रचार में बार बार खलल डालने की घटना देखी गई. मर्केल ने म्यूनिख में प्रचार के आखिरी समय में कहा था कि जर्मनी का भविष्य शोर-शराबे से निश्चित तौर पर नहीं बनेगा.

बर्लिन स्थित ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के निदेशक थॉस्टर्न बेनर ने कहा कि यदि एएफडी प्रमुख विपक्षी पार्टी बनती है तो वे लोग मुख्य विषयों को चुनौती देंगे. यह संसद में चर्चा के सुर को बहुत ज्यादा बदल देगा.