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डायरी से खुलासा, नस्लवादी थे मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन

चीन के लोगों के बारे में उन्होंने लिखा कि चीनी लोग मेहनती होते हैं लेकिन वो गंदे रहते हैं और थोड़े मंदबुद्धि होते हैं

FP Staff

दुनिया के मशहूर यहूदी भौतिक विज्ञानी अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी प्रेस की ओर से जारी आइंस्टीन की ट्रैवल डायरी से पता चला है कि वे दुनिया में मानवाधिकारों की भले बात करते रहे लेकिन वे खुद भी नस्लवादी प्रवृत्ति के शिकार थे.

गार्जियन के मुताबिक, नाजियों के उत्पात के बीच आइंस्टीन जर्मनी छोड़कर अमेरिका आ गए थे जहां उन्होंने न्यू जर्सी को अपना घर बना लिया था. वहां जब एडोल्फ हिटलर और नाजी पार्टी का उदय हुआ तो जर्मनी में पैदा हुए अल्बर्ट आइंस्टीन साल 1933 में देश छोड़कर अमरीका चले गए थे.


यहां उन्होंने काले और गोरे लोगों के बीच लगातार पनप रहे मतभेद को गौर से देखा था. तभी इस महान यहूदी वैज्ञानिक ने पेनीसिल्वेनिया के लिंकन यूनवर्सिटी में अपने एक संबोधन में कहा था, अमेरिका में काले और गोरे लोगों में काफी अंतर है. यह अंतर गोरे लोगों की बीमारी नहीं है बल्कि गोरे लोगों ने इसे बढ़ाया है. मैं इस मतभेद को लेकर कतई चुप नहीं रहूंगा.

अमरीका में रहते हुए आइंस्टीन ने नागरिक अधिकारों की हमेशा वकालत की और साल 1946 में उन्होंने नस्लवाद को ‘सफेद लोगों की एक बीमारी’ तक कहा. आइंस्टीन के बारे में अक्सर यही धारणा रही है कि वे शांत स्वभाव वाले, दुनिया से कटे हुए वैज्ञानिक थे जो सार्वजनिक तौर पर कम ही बोलते थे. लेकिन उनकी डायरी ने कई पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला है.

आइंस्टीन की उपरोक्त बातों से यही स्पष्ट होता है कि वे नस्लवाद के काफी खिलाफ थे. तभी उन्होंने अमेरिका में काले लोगों के समर्थन में जनसंपर्क अभियान चलाए. इस कारण वहां की जांच एजेंसी एफबीआई ने उन्हें सतत निगरानी में डाल दिया था.

उनकी ट्रैवल डायरी में बताया गया है कि यात्रा के दौरान अल्बर्ट आइंस्टीन ने सिंगापुर, चीन, जापान, श्रीलंका, फलस्तीन और कुछ हफ्ते स्पेन में गुजारे.

डायरी के मुताबिक आइंस्टीन ने इन देशों के लोगों पर कई नस्लवादी टिप्पणियां कीं. चीन के लोगों के बारे में उन्होंने लिखा कि चीनी लोग मेहनती होते हैं लेकिन वो गंदे रहते हैं और थोड़े मंदबुद्धि होते हैं.

अपनी डायरी में उन्होंने लिखा, चीनी बच्चे कुंद और निष्प्राण होते हैं. यही वजह है कि दूसरी नस्ल के लोगों को देखने के बाद, इन चीनी लोगों को देखकर मुझे दया आती है. अपनी डायरी में आइंस्टीन ने चीन के बारे में एक अन्य लेख में लिखा कि चीन ‘एक असाधारण झुंड जैसा देश’ है. और यहां के लोग ‘मशीनी मानव’ की तरह ज्यादा लगते हैं.

इसके बाद उन्होंने श्रीलंका के कोलंबो शहर के बारे में लिखा कि वहां के लोग कितनी गंदगी में रहते हैं. इनका जीवन कितना निम्न स्तर का है. कम में गुजारा करते हैं और उसी में खुश भी हैं.