औद्योगिक विकास का सीधा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ता है. कारखानों से निकले वाले धुंए और अन्य कचरों से हर तरह का प्रदूषण बढ़ता है. अब अगर प्रदूषण पर लगाम लगाना है तो कारखानों में या तो नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा या कारखानों पर लगाम लगाना होगा. इसका सीधा असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ना तय है.
अभी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की वजह से हुए धुंध के चलते गाजियाबाद और नोएडा की कई फैक्टरियों को कुछ दिनों बंद करा दिया गया है.
भारत की तरह चीन भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है. लेकिन भारी उद्योगों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण को रोकना चीन के लिए भारी पड़ गया. प्रदूषण पर शिकंजा कसने से अक्तूबर महीने में चीन का औद्योगिक उत्पादन धीमा रहा. सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
धुंध रोकने के लिए लगाया गया है उत्पादन पर लगाम
राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीसी) ने कहा है कि कल-कारखानों में उत्पादन सितंबर माह के 6.6 प्रतिशत से कम होकर अक्तूबर में 6.2 प्रतिशत रह गया. यह ब्लूमबर्ग न्यूज सर्वेक्षण के पूर्वानुमान 6.3 प्रतिशत से भी कम है.
देश में धुंध से प्रभावित शहरों को साफ करने के अभियान के तहत सरकार ने कुछ इस्पात कारखानों के उत्पादन को कम किया गया था. इसके साथ ही, पिछले महीने कम्युनिस्ट पार्टी की नेशनल कांग्रेस के दौरान भी कारखानों को बंद कर दिया गया था. इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पर्यावरण की रक्षा के लिए और कदम उठाने के लिए कहा था.
एनबीएस की प्रवक्ता लियू एहुआ ने संवाददाताओं से कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था ने गुणवत्ता में सुधार के साथ स्थिर प्रदर्शन को बरकरार रखा है. एनबीएस के आंकड़ों के मुताबिक, अक्तूबर में खुदरा बिक्री की वृद्धि दर गिरकर 10 प्रतिशत रही, जो सितंबर महीने के मुकाबले 0.3 प्रतिशत कम है और 10.5 प्रतिशत के पूर्वानुमान से भी कम है.