अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान पर भारत से मदद मांगी है. ट्रंप ने कहा कि वो कोशिश करेंगे कि इराक के साथ की गई अमेरिका की गलती को अफगानिस्तान के साथ नहीं दुहराया जाएगा और उम्मीद करेंगे की भारत इसमें उनकी मदद करेगा.
डोनाल्ड ट्रंप सोमवार देर रात टेक्सास के अर्लिंग्टन में देश के नाम संबोधन में ये बातें बोल रहे थे. उन्होंने यहां अफगानिस्तान पर अमेरिकी रणनीति पर बात की.
भारत से उम्मीद
ट्रंप ने कहा कि हम भारत के साथ एक गहरी रणनीतिक साझेदारी विकसित करेंगे, लेकिन हम भारत से उम्मीद करते हैं कि वो अफगानिस्तान मुद्दे पर हमारी पहले से ज्यादा मदद करेंगे.
ट्रंप ने अफगानिस्तान में शांति हासिल करने के लिए भारत के साथ अमेरिका की रणनीतिक साझीदारी बढ़ाने का संकल्प लेते हुए कहा, ‘हम दक्षिण एशिया और सीमावर्ती भारत प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के हमारे साझे हितों को हासिल करने की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भारत क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की कोशिशों में अहम साझीदार रहेगा और हम अफगानिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक आधुनिकीकरण को समर्थन मुहैया कराने में उसके योगदान का स्वागत करते हैं.’
पाकिस्तान को सुधरना होगा, वर्ना बहुत कुछ खो देगा
इसके साथ ही ट्रंप ने पाकिस्तान को निशाने पर भी ले लिया. उन्होंने जता दिया कि अमेरिका पाकिस्तान पर अपनी रणनीति और दृष्टिकोण में बदलाव ला सकता है.
ट्रंप ने अपने संबोधन में आतंकवादी समूहों को समर्थन देने को लेकर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की और कहा कि इस्लामाबाद अमेरिका से अरबों डॉलर की मदद लेता है, इसके बावजूद वह आतंकवादियों को पनाह मुहैया करा रहा है. ट्रंप ने कहा, ‘अतीत में, पाकिस्तान हमारा महत्वपूर्ण साझीदार रहा है. हमारी सेनाओं ने साझे दुश्मनों के खिलाफ मिलकर काम किया है. पाकिस्तानी लोगों ने आतंकवाद और अतिवाद के कारण काफी कुछ झेला है. हम इन योगदानों और बलिदानों की कद्र करते हैं.’
उन्होंने आगे जरूर जोड़ा कि ‘लेकिन पाकिस्तान ने कुछ ऐसे संगठनों को शरण भी मुहैया कराई है जो हमारे लोगों को मारने की रोजाना कोशिश करते हैं.’ ट्रंप ने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान को अरबों डॉलर दे रहा है लेकिन पाक अमेरिका के खिलाफ लड़ रहे आतंकवादियों को ही पनाह दे रहा है.
पाक-भारत के संबंध अहम
उन्होंने पाकिस्तान को साफ चेतावनी देते हुए कहा, ‘पाकिस्तान को अफगानिस्तान में हमारी कोशिशों में साझीदार बनने से बहुत कुछ हासिल करना होगा. आतंकवादियों को शरण देना जारी रखने पर उसे बहुत कुछ खोना होगा.’ ट्रंप ने इस बात का भी जिक्र किया कि खतरा और भी बढ़ गया है क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु संपन्न देश हैं, जिनके तनावपूर्ण संबंधों के संघर्ष में बदलने का खतरा है.
ट्रंप ने 26 मिनट लंबे अपने संबोधन में कहा, ‘अफगानिस्तान में हमारी नई रणनीति का अहम हिस्सा वक्त पर आधारित दृष्टिकोण को बदलकर परिस्थितियों पर आधारित नजरिया अपनाना है. मैंने यह पहले भी कई बार बताया है कि हम जिन तारीखों पर सैन्य अभियान शुरू या खत्म करना चाहते हैं, उनकी घोषणा पहले से ही करना अमेरिका के लिए कितना गैर लाभकारी है.’
ट्रंप ने अपने प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों और सभी पांचों सेवाओं के 2000 से अधिक लोगों के सामने दक्षिण एशिया संबंधी अपनी नीति की घोषणा करते हुए कहा, ‘हम आगे की सैन्य गतिविधियों संबंधी हमारी योजनाओं या बलों की संख्या के बारे में बात नहीं करेंगे.’
ट्रंप के इस बयान का अमेरिका में अफगानिस्तान के राजदूत एच मोहिब ने स्वागत किया है. मोहिब ने कहा कि आतंकियों के लिए पनाहगार बने पाकिस्तान पर चुप्पी तोड़ने और अफगानिस्तान को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप की नई पॉलिसी का हम स्वागत करते हैं.