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नोटबंदी: दो रेड्डी... एक से नाम, दूसरा करारा बदनाम

इंडोनेशिया की विटा नोटबंदी पर भारत की तस्वीर देखकर हैरान हैं

Ajay Singh

जकार्ता के लंदन स्कूल ऑफ पब्लिक रिलेशंस की युवा लेक्चरर विटा दारावोंस्की बुस्येरा अपने नाम के साथ एमएलए लिखती हैं. भारत में तो एमएलए का मतलब विधायक होता है.

जकार्ता में इस एमएलए का राजनीति से कोई लेनादेना नहीं है. यहां मास्टर ऑफ लिबरल आर्ट्स की पढ़ाई करने वाले एमएलए लिखते हैं.


यूं तो दुनिया की अधिकतर आबादी को भारत के बारे में बॉलीवुड की फिल्मों और यहां के सितारों से जानकारी हासिल होती है.

इंडोनेशिया के 30 छात्रों और शिक्षकों एक ग्रुप ने भारत में नोटबंदी के बारे में भी सुना है. विटा भी उन्हीं में से एक है.

विटा ने भारत में नोटबंदी के बाद बैंकों के बाहर लोगों की लंबी कतारों का वीडियो देखा है.

इसी दौरान उन्होंने कर्नाटक के राजनेता जनार्दन रेड्डी की बेटी की आलीशान शादी देखी है. इस अंतर पर विटा का मासूम लेकिन मौजूं सवाल है,’ एक ही देश में इतना फासला कैसे हो सकता है?’

आसियान के लिए भारत के राजदूत सुरेश रेड्डी की मौजूदगी में विटा का यह सवाल विचलित करने वाला था. आसियान, दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन है.

रेड्डी एक मंझे हुए कूटनीतिज्ञ हैं. उनकी काबिलियत पर किसी को कोई शक नहीं. वो सुरेश रेड्डी ही थे जिन्होंने इराक और सीरिया में फंसे हजारों भारतीय कामगारों और नर्सों को बचाया था.

सुरेश रेड्डी को अब आसियान इलाके में भारत का रणनीतिक और आर्थिक प्रभाव बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है.

जनार्दन रेड्डी जैसे नेताओं के कारण इलाके में भारत की छवि बदल जाती है. जिससे सुरेश रेड्डी जैसे राजदूत के लिए अपना काम करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.

संबंधों को मजबूत करने की इस चुनौती में यहां की संस्कृति और सभ्यता में भारतीय मौजूदगी कुछ मददगार साबित हो सकती है.

जकार्ता के मोनास में ऐसा ही एक नमूना देखने को मिलता है. यहां अर्जुन के सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण का आलीशान स्मारक लगा है.

इंडोनेशिया के शिक्षकों और छात्रों का ग्रुप

दुनिया के दूसरे इस्लामिक देशों के मुकाबले इंडोनेशिया में सांस्कृतिक विविधता ज्यादा है. इसके बावजूद यहां शांति है.

यहां की संस्कृति से धर्म को अलग रखने की कोशिश लगातार जारी है. दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान इंडोनेशिया में ही रहते हैं.

यहां के एक जाने-माने अखबार ‘द जकार्ता पोस्ट’ के संपादक एंडी एम बयुनी बताते हैं,’ इंडोनेशिया में इस्लाम भारत से आया है. अरब देशों के इस्लाम से यह काफी अलग था.’

हालांकि वो यह भी मानते हैं कि यहां के समाज का एक तबका कट्टर इस्लाम से प्रभावित हो रहा है. यह कट्टरता दूसरे विचारों को जगह नहीं देता. यह धर्म को पाक बनाए रखने की बात करता है.

'द जकार्ता पोस्ट' के एडिटर-इन-चीफ एंडी एम बयुनी

इस्लामिक स्टेट से प्रभावित होकर खलीफा के लिए लड़ने जाने वाले 500 युवाओं की खबर पिछले दिनों आई थी.

सीरिया पर रूस और अमेरिका की बमबारी का विरोध करने वाले कट्टरपंथी और उलेमा भी आए दिन सड़कों पर नजर आ जाते हैं.

आईएस के लिए जंग लड़ने वालों के खिलाफ कारवाई के लिए यहां कोई कानून नहीं है. इराक़ और सीरिया से लौटने वाले ऐसे लड़ाकों का इस्तकबाल किया जाने लगा है.

धीरे-धीरे अपने पैर पसार रही कट्टरता को कम करने के लिए इंडोनेशिया जूझ रहा है. एक भारतीय राजनयिक के मुताबिक, 'सरकार की कोशिशों के बावजूद कट्टरता खत्म करना एक चुनौती बना हुआ है.’

इंडोनेशिया में बढ़ती इस्लामी कट्टरता का सबसे मौजूं नमूना जकार्ता के गवर्नर ‘आहोक’ के खिलाफ केस है.

आहोक इसाई होने के बावजूद यहां काफी लोकप्रिय थे. उन्होंने अपने सख्त रवैये के दम पर जकार्ता के आम जनजीवन में काफी सुधार किया. लेकिन उन्हें चीन से असहमति भारी पड़ गई.

कट्टरपंथियों ने उन्हें मुसलमानों का नेता मानने से इंकार कर दिया. उनका तर्क था कि कोई गैर-मुस्लिम उनका नेता नहीं हो सकता. इनका विरोध करने पर आहोक को ‘ईश-निंदा’ का आरोप झेलना पड़ा.

अगले महीने होने वाले गवर्नर चुनाव के पहले आहोक को अपराधी साबित कर जेल में डाले जाने की पूरी संभावना है.

इस बात में कोई शक नहीं है कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो भी कट्टरवाद और उदारवाद के बीच संतुलन बनाए रखने की दुविधा से जूझ रहे हैं.

इंडोनेशिया का संविधान इस्लाम, बुद्ध, हिंदू, प्रोटेस्टैंट, कैथोलिक और कंफ्यूशियस को मान्यता देता है.

बढ़ती कट्टरता इंडोनेशियाई समाज के लचीलेपन के लिए खतरा है. विडोडो इसे बचाने की कोशिश पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं.

भारतीय राजदूत सुरेश रेड्डी कहते हैं कि एक दूसरे पर निर्भरता ही यहां के समाज को एक किए हुए है. इंडोनेशियाई समाज की एकजुटता की यही खासियत है.

रेड्डी कहते हैं,’ इंडोनेशिया जैसे बड़े देश में सफलता से सरकार चलाने के पीछे यह खासियत ही बड़ी वजह है.’

यहां आपको हर जगह भारत मिलेगा

हिंद महासागर में 11000 से अधिक द्वीपों पर इंडोनेशिया का राज है. आसियान में 10 देशों का शामिल होना, इसे दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति बनाता है. चीन और दूसरे पड़ोसी देशों का विरोध इंडोनेशिया के आर्थिक विकास रोक न सका.

अपनी आर्थिक ताकत के दम पर चीन इलाके में अपनी मनमानी चलाता रहा है. पिछले कुछ समय से यहां चीन का निवेश कई गुना बढ़ा है. खासकर इंफ्रास्टक्चर के क्षेत्र में.

एक अनुमान के मुताबिक 2.5 करोड़ खरब या 2.5 ट्रिलियन के साथ आसियान चीन और जापान के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

2030 तक आसियान यूरोपिय संघ, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी.

दुनिया के इस इलाके में भारत की रुचि होना लाजमी है. भारत के निर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए आसियान एक बड़ा बाजार है.

भारत ने आसियान के लिए अपने दूतावास की शुरुआत भले ही पिछले साल की हो. लेकिन आसियान देशों से सदियों पुराना रिश्ता भारत से इनका रिश्ता मजबूत बनाता है.

सुरेश के. रेड्डी

एक भारतीय राजनयिक की माने तो, 'आपको यहां भारत हर जगह मिलेगा और कहीं नहीं मिलेगा.’ मतलब यह कि आर्थिक ताकत के बगैर सभ्यताओं के मिलन का जुमला बेमानी है.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आसियान में अपना प्रभुत्व जमाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में जनार्दन रेड्डी की बेटी की आलीशान शादी भारत की छवि खराब कर सकती है.

एक तरफ तो देश की जनता अपने ही पैसे खर्च नहीं कर पा रही है दूसरी ओर आलीशान शादी की जा रही है. विटा का सवाल भले ही मासूम लगे लेकिन यह आसियान में भारत की छवि का बयां बखूबी करता है.