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अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने भी व्हाइट हाउस की ‘रखवाली’ का नहीं लिया ‘ठेका’ और दे दिया इस्तीफा

व्हाइट-हाउस प्रशासन के सबसे करीबी रहे इस शख्स के ‘लेटर-बम’ से पेंटागन में हड़कंप मच गया

Kinshuk Praval

अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता को आईना दिखाने का दुस्साहस आखिर कर ही दिया. मैटिस ने ट्रंप को चिट्ठी लिखकर इस्तीफा भेज दिया क्योंकि वो अब ज्यादा सहन करने की हालत में नहीं थे. सीरिया से अमेरिकी सेना की वापसी के ट्रंप के ऐलान से जिम मैटिस इस कदर क्षुब्ध हुए कि उन्होंने कह दिया कि पद छोड़ने के लिए ये सही वक्त है. जिम मैटिस ने कहा कि अब राष्ट्रपति ट्रंप के पास अपने विचारों से मेल खाने वाले शख्स को रक्षा मंत्री बनाने का अधिकार है.

लेकिन इसी दुनिया में कोई देश ऐसा भी था जो सीरिया से अमेरिकी सेना बुलाने के फैसले का इंतजार कर रहा था. रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने ट्रंप के फैसले की सराहना की और कहा कि वैसे भी सीरिया में अमेरिकी सेना को रहने को नैतिक अधिकार नहीं था. ट्रंप का ऐलान रूस के लिए कूटनीतिक जीत से कम नहीं है.


पुतिन की प्रतिक्रिया से समझा जा सकता है कि आखिर क्यों मैटिस ट्रंप के फैसले के इतने सख्त खिलाफ थे?  जबकि मैटिस की पहचान ट्रंप-प्रशासन में एक संतुलित शख्स की थी और उनसे भावावेश में इस्तीफा देने की कोई उम्मीद नहीं कर सकता था. मैटिस के शांत व्यवहार की स्थिरता ही अप्रत्याशित और आवेग से भरे ट्रंप के फैसलों के बावजूद संतुलन का परिचय देती थी.

रक्षा मंत्री का पद संभालने के बाद से ही जिम मैटिस कई मौकों पर ट्रंप की विदेश नीति का विरोध जता चुके थे. वो सहयोगी देशों के साथ ट्रंप के रूखे व्यवहार तो रूस के साथ उनकी दरियादिली का हमेशा विरोध करते आए हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रूसी दखल के आरोपों के मामले में ट्रंप अपनी ही देश की खुफिया एजेंसी को गलत ठहरा चुके थे. जिम मैटिस राष्ट्रपति ट्रंप के ऐसे ही अप्रत्याशित व्यवहार के खिलाफ थे जिस वजह से ट्रंप ने एक बार उन पर 'डेमोक्रेट' होने तक का आरोप लगा दिया था.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कभी ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी को आंखें दिखाते तो दूसरी तरफ नाटो देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक देने की धमकी भी देते रहे. हद तो तब हो गई थी जब जी-7 देशों के शिखर सम्मेलन से नाराज हो कर ट्रंप चले गए. उस वक्त ट्रंप सहयोगी देशों से रूस को शामिल करने की मांग कर रहे थे जबकि यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका के ट्रेड-वॉर पर मैटिस अपना विरोध जता रहे थे.

ट्रंप का बदलता रूप अगर व्हाइट-हाउस प्रशासन की अनिश्चितताओं से भरे फैसले और माहौल को नुमाया करता है तो जिम मैटिस जैसा रक्षा मंत्री उस अफरा-तफरी के माहौल में भरोसे का एक ठहराव था. अगर जिम मैटिस जैसा जिम्मेदार पूर्व सैन्य अधिकारी ट्रंप प्रशासन में नहीं होता तो शायद आज दुनिया की तस्वीर दूसरी होती.

माना जाता है कि व्हाइट-हाउस प्रशासन की तरफ से सीरियाई युद्ध के दौरान राष्ट्रपति बशर अल असद के खात्मे का फरमान तक जारी हो चुका था. लेकिन ये जिम मैटिस का ही हौसला था जिन्होंने आदेश को रुकवा दिया. अगर ऐसा न होता तो बशर अल असद की हत्या से सीरियाई युद्ध में अमेरिका बुरी तरह फंस गया होता.

इसी तरह उत्तर कोरिया के मामले में भी जिम मैटिस ने आखिरी तक युद्ध को टाला और आखिर में रोक दिया. उन्होंने ट्रंप को उत्तर कोरिया के साथ बातचीत की कूटनीतिक पहल के लिए राजी किया वर्ना डोनाल्ड ट्रंप उत्तर कोरिया पर परमाणु बम गिराने की बेसब्री संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिखा चुके थे.

व्हाइट-हाउस प्रशासन में अपने रणनीतिक और कूटनीतिक चातुर्य से मैटिस ने ट्रंप का इस कदर भरोसा जीता था कि वो ट्रंप की रगों में दौड़ने वाली खतरनाक विदेश नीति को शांत करने का काम करते थे. यही वजह है कि उनके इस्तीफे के बाद ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि मैटिस की वजह से कई नए सहयोगी अमेरिका को मिले.

जिम मैटिस के पास सेना की कमान संभालने का लंबा अनुभव रहा है. यूनाइटेड स्टेट्स सेंट्रल कमांड की कमान संभालने से पहले मैटिस ने अफगानिस्तान और इराक में कई सैन्य-ऑपरेशन का नेतृत्व किया था. फोर- स्टार मैरीन जनरल को रक्षा मंत्रालय देने में ट्रंप को ज्यादा सोचना नहीं पड़ा था. लेकिन विदेश और युद्ध नीति के मामले में 68 साल के जिम मैटिस ने ट्रंप के एकतरफा फैसलों को मानने से कई दफे इनकार किया. तभी मैटिस पर रक्षा विभाग की लालफीताशाही में ट्रंप के फैसलों को दबा देने का आरोप लगता रहा.

व्हाइट-हाउस प्रशासन के सबसे करीबी रहे इस शख्स के ‘लेटर-बम’ से पेंटागन में हड़कंप मच गया है. जिम मैटिस ने इस्तीफे की कई कॉपियां पेंटागन में भी बंटवा दी. हालांकि इससे पहले विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन, व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टॉफ जॉन एफ केली और दूसरे बड़े अधिकारी भी बड़े बेआबरू हो कर ट्रंप के कूचे से जा चुके हैं. लेकिन मैटिस का जाना अमेरिका के भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

सीरिया से सेना की वापसी पर ट्रंप कहते हैं कि अमेरिका ने पश्चिम एशिया देशों की रखवाली का ठेका नहीं लिया है तो मैटिस ने भी अपना इस्तीफा देकर कह दिया कि उन्होंने भी ट्रंप-प्रशासन का ठेका नहीं लिया है.