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विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के फैसले से स्थिति बिगड़ी: अमेरिकी विशेषज्ञ

दक्षिण एशिया मामलों पर केंद्रित थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल’ के निदेशक भरत गोपालस्वामी ने कहा कि संसद भंग करना इस बात को रेखांकित करता है कि सिरिसेना ने बहुमत जुटाने की अपनी क्षमता का गलत आंकलन किया

Bhasha

अमेरिका के प्रमख ‘थिंक टैंक’ का कहना है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हटा कर उनकी जगह महिन्दा राजपक्षे को पीएम नियुक्त करना एक ‘गलत फैसला’ था और इससे पूरी स्थिति बिगड़ गई.

गौरतलब है कि सिरिसेना ने नौ अक्टूबर को संसद भंग कर अगले साल पांच जनवरी को चुनाव कराने की घोषणा की थी. लेकिन इसके बाद यह भी स्पष्ट हो गया कि राजपक्षे के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं था.


राजपक्षे को 225 सदस्यीय संसद में बहुत साबित करने के लिए 113 सांसदों का समर्थन चाहिए था.

दक्षिण एशिया मामलों पर केंद्रित थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल’ के निदेशक भरत गोपालस्वामी ने कहा कि संसद भंग करना इस बात को रेखांकित करता है कि सिरिसेना ने बहुमत जुटाने की अपनी क्षमता का गलत आंकलन किया.

26 अक्टूबर को राजपक्षे को पीएम नियुक्त किया था:

सिरिसेना ने करीब साढ़े तीन साल तक तनावपूर्ण संबंध के बाद 26 अक्टूबर को अचानक रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था और उनके स्थान पर महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था.

इस कदम से देश में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया.

सिरिसेना ने संसदीय कार्यवाही 16 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी थी. बाद में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर उन्होंने 14 नवंबर को संसद की बैठक फिर बुलाने के लिए नोटिस जारी किया. फिर पिछले सप्ताह शुक्रवार को उन्होंने आखिरकार संसद भंग कर जनवरी 2019 में चुनाव कराने की घोषणा की.

‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ (सीएसआईएस) थिंक टैंक में रिसर्च एसोसिएट ने अमन ठक्कर ने कहा, ‘श्रीलंका की राजनीतिक अस्थिरता निश्चित रूप से चिंताजनक है.’