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क्लाइमेट चेंज: नहीं संभले तो तबाह हो जाएंगे भारत, पाक जैसे गरीब देश

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीनहाउस गैसों का अंधाधुंध उत्सर्जन अगर नहीं रोका गया तो जलवायु परिवर्तन दक्षिण एशिया के तकरीबन 80 करोड़ लोगों की जिंदगी तबाह कर सकता है

FP Staff

ग्रीनहाउस गैसों का अंधाधुंध उत्सर्जन अगर नहीं रोका गया तो जलवायु परिवर्तन दक्षिण एशिया के तकरीबन 80 करोड़ लोगों की जिंदगी तबाह कर सकता है. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में इस खतरे के प्रति आगाह किया है.

दक्षिण एशिया वह क्षेत्र है जिसमें दुनिया के सबसे गरीब और भुखमरी के शिकार लोगों की आबादी बसती है.


वर्ल्ड बैंक ने दक्षिण एशिया के उन सभी छह देशों का विवरण दिया है जहां तापमान लगातार बढ़ रहा है. बारिश के पैटर्न में भी साल-दर-साल अंतर देखा जा रहा है.

अध्ययन में रोजमर्रा के मौसम बदलावों की गहराई से छानबीन की गई है और इन देशों को 'हॉट स्पॉट' बताया गया है जहां भविष्य में मौसमी बदलाव और तेजी से देखा जा सकता है. दक्षिण एशिया के इन देशों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भारत और बांग्लादेश का नाम है.

न्यूयॉर्क टाइम्स से साभार

वर्ल्ड बैंक ने 'हॉट स्पॉट' का वर्णन कुछ यूं किया है कि जहां प्रति आवास उपभोग कम हो, सड़कों की खस्ता हालत, हाट-बाजार तक दुर्लभ पहुंच और विकास से जुड़ी अन्य चुनौतियां लोगों की बड़ी मुसीबत हैं.

गरीबी की जहां तक बात है तो इस बारे में अध्ययन कहता है कि जलवायु परिवर्तन को लेकर समय रहते नहीं चेता गया तो गरीबी और भी भयावह रूप लेगी.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा है, पाकिस्तान का कराची शहर 'हॉट स्पॉट' है क्योंकि यहां एक तो उत्पादकता कम है और उसके लिए ज्यादा ऊर्जा की खपत तापमान बढ़ा रहा है जिसका बुरा असर लोगों की सेहत पर पड़ेगा. मध्य भारत के बारे में भी कुछ ऐसी ही टिप्पणी की गई है जहां गर्म दिन और बारिश के पैटर्न में बदलाव किसानों की दशा खराब कर सकते हैं.

(फोटो पीटीआई से)

अध्ययन बताता है कि साल-दर-साल कई देश गर्म होते चले गए हैं. सन् 1950 से लेकर 2010 तक पश्चिमी अफगानिस्तान और दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान का ब्योरा दिया गया है और बताया गया है कि इस दौरान 1 डिग्री से लेकर 3 डिग्री तक तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई.

किस देश में कितना तापमान बढ़ेगा, यह वहां के ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर निर्भर करेगा. उदाहरण के लिए समूचे दक्षिण एशिया में 2050 तक ऐसे ही अंधाधुंध ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित होते रहे तो यहां सालाना 2.2 डिग्री तक तापमान बढ़ सकता है. अगर उत्सर्जन रोकने के कुछ उपाय होते हैं तो तापमान बढ़ोतरी 1.6 डिग्री तक रोका जा सकता है.