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चीनी मीडिया की ललकार – ताइवान पर कब्जा करे चीन

ट्रंप के बयान से भड़के चीनी मीडिया ने ताइवान पर कब्जा करने की सलाह दी है

Kinshuk Praval

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 'वन चाइना पॉलिसी' पर कड़े रुख से चीन भड़क उठा है. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि 'वन चाइना पॉलिसी' को कमजोर करने वालों को दंड देने की जरूरत है.

चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि अब ताइवान पर सैन्य कार्रवाई के जरिये कब्जा करने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिये.


दरअसल डोनाल्ड ट्रंप ने वन चाइना पॉलिसी पर सवाल उठाया था. दशकों से चले आ रहे अमेरिका और चीन के संबंधों की बुनियाद ही 'वन चाइना पॉलिसी' पर टिकी है. लेकिन ट्रंप ने डिप्लोमेटिक प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए इस नीति पर सवाल उठाया था. साथ ही उन्होंने सीधे तौर पर ताइवानी राष्ट्रपति से फोन पर बात की थी. जबकि साल 1979 से अमेरिका ने ताइवान के साथ कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं रखा है. लेकिन ट्रंप ने विवादास्पद बयान देकर चीन के प्रति अपने चुनाव प्रचार के वक्त के रुख को कायम रखा है.

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट

अब ग्लोबल टाइम्स ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि 'चीन को ताइवान के प्रति अपने रुख को साफ करते हुए सेना के इस्तेमाल को मुख्य विकल्प मानना चाहिये और सावधानीपूर्वक इसकी तैयारी करनी चाहिये.'

दक्षिण चीन सागर पर चीन ने तैनात की एंटी मिसाइल-एयरक्राफ्ट सिस्टम

साभार-एएमटीआई

दक्षिण चीन सागर के आइलैंड पर चीन की सैन्य हलचल तेज हो गई है. सैटेलाइट इमेज से पता चला है कि चीन ने एंटी एयरक्राफ्ट और एंटी मिसाइल सिस्टम लगाया. अमेरिकी थिंक टैंक से जुड़े AMTI यानी एशिया मैरीटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव का दावा कि चीन ने आइलैंड्स पर ‘एडवांस्ड वेपन सिस्टम’ लगा कर दक्षिण चीन सागर में दबदबे की नई लड़ाई छेड़ दी है.

AMTI ने चीन के कृत्रिम द्वीपों की सैटेलाइट इमेज जारी की है. इन तस्वीरों में कृत्रिम द्वीपों पर बने स्ट्रक्चर दिखाई दे रहे हैं जो कि एंटी मिसाइल और एंटी एयरक्रफ्ट सिस्टम है.

AMTI ने कहा, ‘ये गन और संभावित 'क्लोज-इन वेपन सिस्टम' को देखकर लगता है कि चीन किसी भी हमले की आशंका के चलते अपने इन आइलैंड्स की सुरक्षा को लेकर गंभीर रुख अपना रहा है.’

AMTI के डायरेक्टर ग्रेग पोलिंग का कहना है कि ‘अगर अमेरिका या दूसरे देश जल्द ऑपरेशनल होने वाले आइलैंड के एयरबेस पर क्रूज मिसाइल दागते हैं तो ये वेपन सिस्टम चीन की लास्ट लाइन ऑफ डिफेंस होंगे.’

सैटेलाइट से दक्षिण चीन सागर में बने इन आर्टिफिशियल आइलैंड्स की तस्वीरें नवंबर में ली गई थीं. तस्वीरो में साफ दिखाई दे रहा है कि चीन एंटी मिसाइल और एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम को तैनात कर चुका है.

AMTI के डायरेक्टर ग्रेग पोलिंग के मुताबिक चीन के दावों पर अब भरोसा नहीं किया जा सकता है. नवंबर में सैटेलाइट से ली गई इन तस्वीरों की गहन जांच के बाद ही वो इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि ये ढांचे सैन्य कार्रवाई के लिये ही बनाए गए हैं.

‘ये पहली बार है जब हमें इस बात को लेकर पूरी तरह भरोसा है कि ये स्ट्रक्चर्स एंटी एयरक्राफ्ट और क्लोज-इन वेपन सिस्टम हैं.’

पोलिंग ने कहा, "चीन हमेशा कहता है कि वो आइलैंड पर मिलिटराइजेशन नहीं कर रहा है, लेकिन अगर वो चाहे तो वो कभी भी यहां फाइटर जेट्स उतार सकता है और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल भी लॉन्च कर सकता है."

ट्रंप की प्रतिक्रिया के बाद जारी की गई तस्वीरें 

गेटी इमेज

अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताइवान और दक्षिणी चीन सागर पर कड़ी प्रतिक्रिया के बाद ही ये तस्वीरें जारी की गई हैं.

फॉक्स न्यूज के साथ इंटरव्यू में ट्रंप ने चीन की निंदा करते हुए सवाल किया था कि दक्षिण चीन सागर के मध्य में एक बड़े सैन्य परिसर का निर्माण करना सही होगा?  मुझे नहीं लगता कि यह सही है.

ट्रंप के ताइवान की राष्ट्रपति से बातचीत के बाद ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में परमाणु सक्षम बमवर्षक को तैनात किया है. इसका साफ तौर मकसद 'ट्रंप एंड अमेरिका' को एक तरह से ललकारना है.

आर्टिफिशियल द्वीप पर चीन ने ऐसा रनवे तैयार किया है जहां सेना के विमान आसानी से उतर सकते हैं.जाहिर तौर पर दक्षिण चीन सागर पर अपनी दावेदारी के लिये चीन ने कृत्तिम द्वीप पर अपने सैन्य ठिकाने बनाये हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में दक्षिण चीन सागर में चीन ने सात द्वीप और 3 हवाई पट्टी तैयार किये हैं. चीन ने स्पेटली द्वीप समूह के फायरी क्रॉस रीफ पर कृत्रिम द्वीप और रनवे का निर्माण किया है. जिस पर वियतनाम ने कड़ी आपत्ति भी दर्ज कराई है. हालांकि दक्षिण चीन सागर पर चीन और वियतनाम के अलावा ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस और ताइवान भी दावा ठोंकता है.

गार्डियन में छपे आर्टिकल में लिखा गया है कि पिछले साल अमेरिका की यात्रा पर आए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि दक्षिण चीन सागर के ट्रेड रूट पर मिलिट्रीकरण करने का कोई इरादा नहीं. यहां से हर साल 500 अरब डॉलर का समुद्री कारोबार इसी रास्ते से गुजरता है.

गार्डियन की रिपोर्ट

दक्षिण चीन सागर का विवाद

चीन ने 1940 के दशक में दक्षिण चीन सागर के इलाकों को अपने मानचित्र में शामिल किया था.  इसके बाद वह पूरे इलाके पर अपना दावा जताने लगा. वहां उसने सैनिक अड्डे तैयार किये.  साल 2012 में चीन ने स्कारवोरो टापू पर कब्जा कर लिया. 2013 में फिलीपींस इस मामले को इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में ले गया. लेकिन चीन ने ट्रिब्यूनल के फैसले को मानने से इनकार कर दिया.

भारत के लिये महत्वपूर्ण है दक्षिणी चीन सागर

भारतीय तेल कंपनी ओएनजीसी इस इलाके में दो तेल ब्लॉक की हिस्सेदारी ले चुकी है. वियतनाम, कंबोडिया और फिलीपींस समेत कई देशों में भारत का निवेश है. भारतीय कंपनियां भारतीय उत्पादों का बाजार तैयार कर रही हैं. दक्षिण चीन सागर में भारत का रुख चीन के साथ राजनीतिक और सामरिक सन्तुलन के लिए भी जरूरी है. दक्षिणी चीन सागर में समुद्री संतुलन हिंद महासागर के शक्ति संतुलन को प्रभावित करेगा क्योंकि चीन यहां लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है.

दक्षिणी चीन सागर में है तेल-गैस का भंडार

दक्षिणी चीन सागर में भरपूर मात्रा में तेल, गैस और खनिज के भंडार का पता चला है. सबसे पहले वियतनाम ने 1970 में इस इलाके में तेल-गैस और खनिज भंडार का पता लगाया था. यही वजह है कि दक्षिणी चीन सागर का इलाका रणनीतिक, सामरिक और आर्थिक तौर पर कई देशों के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन चीन इस इलाके में दूसरे देशों की दावेदारी को खारिज करता आया है.

इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद से चीन बुरी तरह बौखला चुका है.वो विवादित क्षेत्र में अपने दावे को लेकर नए विवादों के लिये तैयार हो रहा है.

सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की एडवांस्ड वेपन सिस्टम की तैनाती साफ इशारा करती है दक्षिणी चीन सागर का मोर्चा संभालने वाली उसकी दक्षिणी कमान अमेरिका के साथ किसी भी संभावित सैन्य टकराव के लिए तैयार है.