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ड्रोन पर चीन और अमेरिका के बीच ‘ईगल-फाइट’

चीन ने ड्रोन के जरिये जासूसी कराने का आरोप लगाते हुए अमेरिका से माफी की मांग की है

Kinshuk Praval

अमेरिकी अंडरवाटर ड्रोन को जब्त करने के बाद अमेरिका और चीन में तल्खी बढ़ गई है. चीनी मीडिया और वहां के डिफेंस एक्सपर्ट ने अमेरिका से माफी की मांग की है. बीजिंग का आरोप है कि वाशिंगटन ने इस मामले को जरुरत से ज्यादा तूल दिया है.

दरअसल अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन की आर्थिक और मिलिट्री योजनाओं पर कड़े बयान दिये थे. लेकिन अमेरिकी अंडरवाटर ड्रोन को कब्जे में लेने के बाद ट्रंप ने ट्वीट कर चीन पर चोरी का आरोप  लगा दिया था. ट्रंप ने कहा था कि चोरी किये गए ड्रोन को चीन ही रख ले. अमेरिका को अब ड्रोन वापस नहीं चाहिये.


जबकि उससे पहले पेंटागन ड्रोन वापस लेने के लिये कई कोशिशें कर रहा था. उसने ड्रोन लौटाने को लेकर चीन से बात भी की थी. पेटागन के प्रवक्ता पीटर कुक ने दावा किया था कि आपसी सहमति के बाद चीन ड्रोन लौटाने के लिये तैयार भी था. लेकिन  चीन ने अमेरिका पर जासूसी का आरोप भी लगा दिया. चीन के डिफेंस एक्सपर्ट और मीडिया के मुताबिक अमेरिकी ड्रोन चीन के स्पाई मिशन का हिस्सा था. चीन के मुताबिक अमेरिकी ड्रोन समुद्र में चीन की पनडुब्बी के रास्ते की जानकारी इकट्ठा कर रहा था और अब पकड़े जाने पर इसे वापस नहीं किया जाएगा.

सीएनएन के मुताबिक चीन का आरोप है कि दक्षिण चीन सागर में पकड़ा गया अमेरिकी ड्रोन अमेरिका स्पाई मिशन का एक छोटा सा नमूना भर है.

सीएनएन की रिपोर्ट

जबकि पेंटागन का दावा है कि वह नियमों के तहत ही ड्रोन से फिलीपींस से करीब 50 नॉटिकल मील दूरी पर मौजूद सुबिक वे के समुद्र में जरुरी जानकारी जुटा रहा था. यूएसएनएस बॉडविच पर तैनात इस ड्रोन का मकसद समुद्र में खारापन,तापमान और अन्य चीजों की जानकारी जुटाना था.

लेकिन अब दुनिया के दो पावरफुल देशों के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. 20 जनवरी को व्हाइट हाउस संभालने वाले ट्रंप चीन पर हमला करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. इससे पहले उन्होंने अमेरिका और चीन के बीच तकरीबन चार दशक पुरानी वन चाइना पॉलिसी पर भी सवाल उठाया था. साथ ही उन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति को फोन कर चीन की त्योरियां चढ़ाने का भी काम किया था.