चीन और भारत के बीच जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध के मुद्दे पर गतिरोध बना हुआ है.
चीन ने 'ठोस सबूत' की मांग करके मसूद अजहर को यूएन द्वारा ब्लैकलिस्ट करने में लगातार रोड़ा अटका रहा है. पिछले साल भारत ने यूएन में मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई थी. इस साल भी यह यूएन में यह प्रस्ताव अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की ओर से रखा गया था.
भारत के साथ रणनीतिक वार्ता से पहले, शुक्रवार को चीन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर पर बैन लगवाने के लिए भारत के पास ‘पुख्ता सबूत’ होना चाहिए था.
भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और चीन के एक्जीक्यूटिव उप-विदेश मंत्री झांग येसुई के बीच 22 फरवरी को बीजिंग में नए दौर की रणनीतिक वार्ता होने वाली है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने मीडिया को इस वार्ता की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस रणनीतिक बातचीत में दोनों देश आपसी हितों वाले अंतर्राष्ट्रीय हालातों और अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
दोनों देशों के रिश्तों में मसूद अजहर और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) जैसे मतभेद के मुद्दों पर गेंग ने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं, जिनका हल निकाला जाना जरूरी है. हालांकि, दो पड़ोसियों के बीच इस तरह के मतभेद स्वाभाविक हैं.
हाल ही में अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267वीं समिति में अजहर का आतंकी के तौर पर बैन करने के कदम पर चीन ने तकनीकी पेंच फंसा दिया था.
गेंग ने कहा कि चीन ने कई बार अपना स्टैंड दोहराया है. चीन ने 10 फरवरी को कहा था, 'चीन सुरक्षा परिषद का एक जिम्मेदार सदस्य और अंग है. चीन हमेशा से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और नियमों अनुसार काम करता आया है. हम आशा करते हैं कि सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य नियमों का पालन करेंगे.'