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सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र कर मोदी ने दिखाया हम किसी के मोहताज नहीं...

अपने भाषण में मोदी ने तीन सालों के काम-काज की अहम बातें भी लोगों के सामने रखीं

Amitesh

अमेरिका दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया कि हम किसी के मोहताज नहीं हैं. बल्कि, हम अपनी सुरक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम हैं.

वर्जीनिया में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ पिछले साल सितंबर में हुई सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए कहा कि हम संयम बरतते हैं, लेकिन, जरूरत पड़ने पर हम सामर्थ्य भी दिखाते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक से दुनिया को हमारी ताकत का पता चलता है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात का मतलब साफ है कि वो पूरी दुनिया को एक संदेश देना चाहते हैं कि हम इतने सक्षम हैं कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले और भारत के खिलाफ छद्म युद्ध चलाने वालों को उन्हीं की भाषा में जवाब दे सकें.

लेकिन, साथ ही वो ये भी जताना चाहते हैं कि पूरी दुनिया उनके साथ इस वक्त खड़ी है. वरना सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उनके कदम पर सवाल खड़े किए जाते. भारतीय समुदाय के लोगों के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पर पूरी दुनिया चाहती तो भारत के बाल नोच लेती, लेकिन, किसी ने भी  सवाल खड़ा नहीं किया.

प्रधानमंत्री ने अपने लोगों के बीच अमेरिकी धरती पर ये साफ कर दिया कि अब आतंकवाद से खतरे को लेकर पूरी दुनिया समझने लगी है. उन्होंने अपने चिर-परिचित लहजे में कहा कि पहले हमें समझाना पड़ता था. अब खुद आतंकवादियों ने समझा दिया है कि आतंकवाद का मतलब क्या होता है.

प्रधानमंत्री अपनी इस बात से भारत का पक्ष रखना चाह रहे थे कि पहले भारत आतंकवाद से ग्रसित था और उसके खतरे को लेकर पूरी दुनिया को समझाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन, अब जब दूसरे देशों में भी आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई तो उन्हें भी अब इसके खतरे का एहसास हो गया है और अब सभी भारत की बात समझने लगे हैं.

खासतौर से 9/11 की घटना के बाद अमेरिका का आंतकवाद को लेकर नजरिया बदला है और यही वजह है कि अब भारत की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सभी भारत के पक्ष से सहमत दिख रहे हैं.

सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कई दूसरे मुद्दों को लेकर दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश की. अपने समुदाय के लोगों के बीच मोदी ने साफ कर दिया कि हम ग्लोबल नॉर्म को तहस-नहस नहीं करते.

उनके बयान से साफ है कि वो पूरी दुनिया को समझाना चाहते हैं कि हम व्यवस्था के साथ चलने वाले लोगों में से हैं. खासतौर से उनके इस बयान को पेरिस समझौते को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के रुख और उस पर भारत के नजरिए से जोड़कर देखा जा रहा है. उन्होंने इस मुद्दे पर भारत के रुख को पूरी दुनिया के साथ मजबूती से रखने की कोशिश है.

मोदी ने अपने 40 मिनट के भाषण में अपनी सरकार की तीन साल की उपलब्धियों और उससे आए बदलावों को भी पूरी दुनिया को बताने की कोशिश की. खासतौर से उज्ज्वला योजना को लेकर उन्होंने एक क्रांतिकारी बदलाव के तौर पर पेश किया.

अपनी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगाने की बात कर उन्होंने अमेरिका में रह रहे भारतीयों के भीतर ये संदेश देने की कोशिश की है कि अगर आप भारत में कोई कारोबार करना चाहें तो अब आपको पहले की तरह परेशानी नहीं होगी. अब वहां एक बदली हुई सरकार है जिसने तीन सालों में अब परिणाम भी देना शुरू कर दिया है.

उज्ज्वला योजना से लेकर नीम कोटेड यूरिया तक और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर यानी डीबीटी का जिक्र कर उन्होंने अपनी सरकार की तरफ से शुरू किए गए पारदर्शी कदमों का जिक्र किया. ये बताने की कोशिश थी कि अब बदलाव जमीनी स्तर पर दिख रहा है.

अमेरिकी धरती से मोदी ने पूरी दुनिया में फैले अप्रवासी भारतीयों को एक संदेश दिया कि उनके लिए सरकार हर संभव हर वक्त खड़ी है. खासतौर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और विदेश मंत्रालय की सोशल मीडिया पर सक्रियता और उसके जरिए देश-विदेश में फैले भारतीयों की समस्या का तुरंत निदान होने से अब पूरी दुनिया मुठ्ठी में लग रही है.

युद्ध के मौके पर और विदेशों में फंसे भारतीयों को वहां से निकालने को लेकर भी विदेश मंत्रालय के कदम की सराहना करते हुए उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों को भारत से जोड़ने और जोड़े रखने की पहल की है.

उनका संबोधन तो भले ही सात समंदर पार अमेरिका में था, लेकिन, उनका संदेश भारत में भी था. लग रहा था मोदी दो साल बाद होने वाले चुनाव को लेकर भी संदेश दे रहे हैं. लेकिन, इसमें दुनिया को दिखाना भी था कि भारत में आने वाले दिनों में उनकी ही सरकार रहने वाली है. उनके नेतृत्व में स्थायित्व है, लिहाजा वहां निवेश से परहेज की जरूरत नहीं.