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ब्रिक्स सम्मेलन 2017: घोषणापत्र में लश्कर और जैश का नाम होना भारत की बड़ी जीत

विदेश सचिव प्रीति सरन ने कहा- ये सबकी सहमति से हुआ है. सभी पांचों ब्रिक्स देशों ने इसे माना है और इसपर अपने दस्तखत किए हैं

FP Staff

चीन के श्यामन में चल रहे ब्रिक्स सम्मेलन में जारी संयुक्त घोषणापत्र भारत के लिए अच्छी खबर लेकर आया है. घोषणापत्र में पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के जिन आतंकी गतिविधियों का जिक्र किया गया है उसके बारे में भारत हमेशा से कहता रहा है.

घोषणापत्र में कहा गया है कि 'इलाके में तालिबान, अल-कायदा और उसके सहयोगियों, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, टीटीपी और हिज्ब-उत-तहरीर द्वारा फैलाए जा रहे हिंसा और आतंक को लेकर हम गंभीर हैं'


पिछले साल गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भारत ने जारी हुए घोषणापत्र में पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों का जिक्र करने की बड़ी कोशिश की लेकिन ऐसा हो न सका. बैठक में इसपर चर्चा की गई लेकिन समझा जाता है कि चीन ने इसमें लश्कर और जैश के नाम पर आपत्ति जताई.

विदेश सचिव प्रीति सरन से जब चीन के बदले हुए रूख को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा 'ये सबकी सहमति से हुआ है. सभी पांचों ब्रिक्स देशों ने इसे माना है और इसपर अपने दस्तखत किए हैं. ये एक महत्वपूर्व बदलाव है.'

पिछले साल गोवा में हुए ब्रिक्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था 'भारत के पड़ोस में आतंकवाद की जड़ है' लेकिन जारी घोषणापत्र में पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों के बारे में कोई जिक्र नहीं था.

श्यामन में मिली इस अहम कामयाबी पर सरन ने कहा 'आतंकवाद तबाही लाती है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरा मापदंड नहीं अपनाया जा सकता.' इससे साफ जाहिर है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने में रूकावट पैदा नहीं करने के लिए चीन पर कितना दबाव है.