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5 वजहें जिनके चलते मोदी और जिनपिंग की बैठक होगी बहुत खास

डोकलाम के अलावा भी कारण है जिनके चलते दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षोें की इस बैठक से कई उम्मीदें की जा सकती हैं

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के लिए रवाना हो चुके हैं. डोकोलाम विवाद के सुलझने के बाद हो रही इस पहली बैठक में भारत बराबरी के साथ चीन से मिलेगा. प्रधानमंत्री ब्रिक्स सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ज़ियामन में बैठक करेंगे.

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की इस बैठक से पांच उम्मीदें की जा सकती हैं :


1. बराबरी की बैठक

पिछले तीन सालों में मोदी और जिनपिंग 6 से ज्यादा बार मिल चुके हैं. मगर ये पहली बार होगा जब भारत और चीन किसी विवाद के कूटनितिक तरीके से सुलझने के बाद बराबरी के साथ मिलेंगे. इस बार जब दोनों राष्ट्र प्रमुख साथ चल रहे होंगे तो उसमें बराबरी का अहसास होगा.

2. क्या डोकोलाम का मुद्दा उठेगा

ये ब्रिक्स सम्मेलन है. इसलिए इस बात की उम्मीद कम ही है कि डोकोलाम पर बहुत ज्यादा चर्चा होगी. फिर भी ये उम्मीद की जा सकती है कि दोनों तरफ के आला अधिकारी आगे के लिए कोई रास्ता बनाएं.

3. और पाकिस्तान?

चीन पहले ही कह चुका है कि ब्रिक्स सम्मेलन के मंच पर पाकिस्तान की बात नहीं की जानी चाहिए. मगर फिर भी पाकिस्तान और अमेरिका के साथ नए समीकरणों के चलते ऐसा संभव नहीं है कि पाकिस्तान के बारे में चर्चा न हो.

4. आतंकवाद

पिछले साल गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया था. उन्होंने पाकिस्तान को सीधे आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया था. मगर इसपर चीन की स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई थी. इस बार ये माना जा सकता है कि दोनों देश मिलकर कुछ आतंकी संगठनों का नाम लेंगे.

5. चीन का विस्तारवाद

चीन ने इस बार पांच देशों को ब्रिक्स सम्मेलन में ऑबज़र्वर के तौर पर बुलाया है. मिस्र, तजाकिस्तान, मैक्सिको, गुयाना और थाईलैंड को बुलाने की वजह है कि चीन इन देशों पर अपना प्रभाव बढ़ना चाहता है. भारत को इससे फिलहाल कोई समस्या नहीं है, लेकिन भविष्य में पाकिस्तान को शामिल करने की बात पर भारत को आपत्ति हो सकती है.