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पाकिस्तान: तानाशाही का विरोध करने वाली आस्मां जहांगीर नहीं रहीं

अस्मां यूनाइटेड नेशन्स के लिए बतौर ह्यूमन राइट्स जर्नलिस्ट्स काम करती थी

FP Staff

पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों की वकील आस्मां जहांगीर नहीं रहीं. रविवार को लाहौर में उनका इंतकाल (निधन) हो गया. आस्मां 66 साल की थीं. खबर के मुताबिक जहांगीर को हार्ट अटैक के बाद लाहौर के फिरोज़पुर रोड अस्पताल ले जाया गया. जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. आस्मां हाशिए पर रहने वाले लोगों के केस लड़ने के लिए मशहूर थीं.

उन्होंने पाकिस्तान की जियाउल हक़ तानाशाही सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाई थी. इसके अलावा आस्मां यूनाइटेड नेशन्स के लिए बतौर ह्यूमन राइट्स जर्नलिस्ट्स काम करती थी. इसके अलावा आस्मां अक्सर सुप्रीम कोर्ट के गलत फैसलों की भी आलोचना करती रहती थीं.

आस्मां की मौत की खबर के बाद तमाम बड़े लोगों ने शोक जताया है. पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार ने ट्वीट कर आस्मां को श्रद्धांजलि दी है.

इसके अलावा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम ने भी आस्मां को श्रद्धांजलि दी है.

आस्मां को दुनिया भर के तमाम मंचों पर बोलने के लिए बुलाया जाता था. पाकिस्तान में वो उन गिनी-चुनी आवाज़ों में से एक थीं जो खुले तौर पर सैन्य शासन और सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलती थीं. उनका जाना पाकिस्तान की जनता के लिए बड़ा नुकसान है. वो अक्सर पाकिस्तान के टीवी चैनलों में खबरों को गलत तरीके से दिखाने पर बोलती थीं.