view all

भारत-अमेरिका का व्यापार 500 अरब डॉलर तक जा सकता है: जेटली

जेटली ने कहा कि खासतौर से रक्षा और हवाई क्षेत्र में उन्हें बेहतर अवसर दिए गए हैं

Bhasha

वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि भारत-अमेरिका के वार्षिक व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य कोई नामुमकिन चीज नहीं है क्योंकि भारत में अमेरिकी कंपनियों को कई तरह के अवसर मुहैया कराए गए हैं

जेटली ने कहा कि खासतौर से रक्षा और हवाई क्षेत्र में उन्हें बेहतर अवसर दिए गए हैं. पिछले कुछ सालों में भारत-अमेरिका के संबंध बहुत मजबूत साझेदारी के रुप में उभरे हैं. साथ ही ‘मिशन-500’ जैसे लक्ष्य और इस साझेदारी के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया गया है.


उन्होंने कहा, ‘अगर कोई रक्षा और हवाई क्षेत्र में मौजूद अवसरों को ठीक से देखे तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर के स्तर तक ले जाना कोई असंभव काम नहीं है.’

अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) के आंकड़ों के अनुसार भारत अमेरिका का नौंवा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. पिछले साल दोनों देशों के बीच 67.7 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. यह भारत के पक्ष में रहा और जिसमें उसका 24 अरब डॉलर का सर्पलस है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कई अमेरिकी कंपनियों ने भारत में निवेश किया है. वहीं अब कई भारतीय कंपनियां भी अमेरिका में निवेश करने में सहज महसूस कर रही हैं.

वह यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्यालय में फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस काम (कंपनियों के एक-दूसरे के यहां निवेश) को जारी रखने की जरूरत है.

निजी क्षेत्र में शुरू हो निजी भागेदारी

जेटली ने कहा कि अमेरिकी कॉमर्स मंत्री विल्बर रॉस के साथ बैठक में यह सुझाव सामने आया कि दोनों देशों को निजी क्षेत्र के सम्मेलनों में सरकारी भागीदारी को शुरु करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि नवंबर में पहली बार एक अलग विचार को साकार किया जा रहा है जब ग्लोवल ऑन्त्रप्रेन्योरशिप सम्मेलन (जीईएस) के लिए बड़ी संख्या में अमेरिकी कारोबारी भारत की यात्रा करेंगे. हो सकता है कि इसे दोबारा अगले साल अमेरिका में आयोजित किया जाए.

जेटली ने कहा, ‘इससे भारतीय कारोबारियों को अमेरिका में अच्छे अवसर मिलेंगे.’ अगले दशक में भारत का विमानन क्षेत्र एक बड़े विस्तार के लिए तैयार है और अमेरिकी कंपनियां इस क्षेत्र की स्वाभाविक निवेशक हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमने रक्षा क्षेत्र में कई बड़ी पहलें शुरु की हैं और हम चाहते हैं कि ये कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर भारत में स्वयं की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करें.'