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श्रीलंका बाढ़ : भारत ने राहत सामग्री भेजी, अभी तक करीब 122 लोगों ने गंवाई जान

श्रीलंका में आई भीषण बाढ़ के दौरान सहायता के लिए भारत ने राहत सामग्री भेजी है

Bhasha

श्रीलंका में आई भीषण बाढ़ के दौरान सहायता के लिए भारत ने राहत सामग्री भेजी है और बचावकर्मी वहां राहत कार्यों में जुट गए हैं. अभी तक बाढ़ में करीब 122 लोगों की मौत हुई है और करीब पांच लाख लोग विस्थापित हुए हैं. गौरतलब है कि वर्ष 2003 के बाद यह द्वीपीय राष्ट्र में आयी सबसे भीषण बाढ़ है.

आपदा प्रबंधन केन्द्र ने केलानी नदी के किनारे और कोल्लोनावा, कादुवेला, वेल्लामपीटिया, केलानिया, बियागामा, सेदावत्ते, डोम्पे, हनवेला, पादुक्का और अविस्सावेला संभागीयय सचिवालय में रहने वाले लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाने की चेतावनी दी है. स्वास्थ्य मंत्री राजीथा सेनारत्ने ने कहा कि बाढ़ और भूस्खलन के कारण करीब पांच लाख लोग विस्थापित हुए हैं.


आपदा प्रबंधन केंद्र (डीएमसी) ने कहा कि बाढ़ एवं भूस्खलन के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 122 हो गयी जबकि 97 लोग अब भी लापता हैं. सेनारत्ने ने कहा, 185 राहत शिविरों में कुल 4,93,455 लोग रह रहे हैं. उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी जा रही हैं.

गुरुवार को रात से ही दक्षिण मानसून ने यहां भीषण तबाही मचाई है. इससे देश के 25 में से 14 जिले प्रभावित हैं. इससे सबसे ज्यादा दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में रत्नापुरा प्रभावित है. 3,50,000 से ज्यादा लोगों को बिजली नहीं मिल रही है.

सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर मुख्य नदियां उफान पर हैं और अधिक क्षेत्रों में पानी भरने, बाढ़ आने की आशंका है. थल सेना के 1000 जवानों सहित श्रीलंका की तीनों सेनाओं के जवान राहत एवं बचाव अभियान में जुटे हैं. गाले के नेलुवा इलाके में बचाव अभियान के दौरान हेलिकॉप्टर से गिरने से श्रीलंकाई वायुसेना के एक जवान की मौत हो गई. मौसम विभाग ने बताया कि बारिश और हवा चलने का मौसम जारी रहने की आशंका है.

आपदा प्रबंधन केन्द्र का कहना है, पश्चिमी, सबरागामुवा, दक्षिणी, मध्य और पश्चिमोत्तर प्रांतों में बारिश होने तथा गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है. श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने आपदा प्रबंधन मंत्रालय के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय खोज एवं बचाव सलाहकार समूह और पड़ोसी देशों से अपील की है कि वे प्रभावित लोगों को सहायता मुहैया करवायें, विशेष रूप से राहत एवं बचाव के क्षेत्र में.