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NSG के मुद्दे पर भारत को मिला रूस का साथ, चीन के OBOR पर हुई चर्चा

रूस ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के अपने पुरजोर समर्थन की बात दोहराई.

Bhasha

रूस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) और परमाणु हथियार अप्रसार की अन्य व्यवस्था में भारत की सदस्यता के अपने पुरजोर समर्थन की बात दोहराई. साथ ही रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सालाना द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों ने ब्रिक्स, डब्ल्यूटीओ, जी 20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और रूस-भारत-चीन सहयोग जैसे बहुपक्षीय मंचों पर अपना सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया.


भारत की उम्मीदवारी के प्रति रूस ने दोहराया अपना समर्थन

मोदी-पुतिन वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया कि विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए भारत की उम्मीदवारी के प्रति अपने पुरजोर समर्थन को रूस दोहराता है. रूस ने 48 सदस्यीय एनएसजी में भारत के प्रवेश की कोशिश का समर्थन करते हुए कहा, वह इस बात से सहमत है कि बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत की भागीदारी उन्हें बेहतर बनाने में योगदान देगा.

करना पड़ा था चीन के विरोध का सामना

चार बड़ी निर्यात नियंत्रण व्यवस्था (एनएसजी, एमटीसीआर, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और वासनर अरेंजमेंट) में भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य है. भारत ने पिछले साल एनएसजी की सदस्यता के लिए अर्जी दी थी. लेकिन उसे चीन के सख्त विरोध का सामना करना पड़ा.

वन बेल्ट वन रोड पर हुई चर्चा

भारत ने हाल ही में अपनी निर्यात नियंत्रण सूची को वासनर व्यवस्था जैसी एक व्यवस्था से जोड़ा है. शिखर बैठक में दोनों देशों ने चीन की 'वन बेल्ट वन रोड' (ओबीओआर) परियोजना पर चर्चा की. बैठक में कहा गया कि किसी अंतरराष्ट्रीय मसले पर एक तरफा फैसला लेने, संप्रभुता का सम्मान नहीं किए जाने और देशों की मुख्य चिंताओं को नजरअंदाज करने का दोनों देश विरोध करेंगे.

क्या है विरोध की मुख्य वजह

इस परियोजना का भारत के विरोध करने की मुख्य वजह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) है. जोकि ओबीओआर का हिस्सा है. दरअसल, सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है.