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ट्रंप की जीत के बाद अमेरिका के नाम भारत का खुला खत

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र से अपील...

Pawas Kumar

डियर अमेरिका,

आपके यहां अभी-अभी चुनाव खत्म हुए हैं. आपको नया राष्ट्रपति मिल गया है. बधाई हो. जिसने विजेता का समर्थन का किया, उन्हें खास तौर से बधाई.


वैसे कई अमेरिकियों को यह बधाई किसी कड़वी दवा से कम नहीं लग रही होगी. आप में से कई (कम से कम आधे लोग) इस नतीजे से स्तब्ध होंगे और दुखी भी.

हम, भारत के लोग आपकी स्थिति समझते हैं. जो आपके यहां हुआ, हमारे यहां हो चुका है.

आपके चुने गए राष्ट्रपति को उनके प्रतिद्वंद्वी से कम वोट मिले. मतलब कि जीतने वाला आपमें से अधिकतर लोगों की पसंद नहीं था. भारत के लोग इसे समझते हैं. आखिर हमारे यहां भी सत्ता में बैठी पार्टी को एक-तिहाई लोगों का ही समर्थन मिला था.

राजनीतिक इलीट को झटका

आपके चुनाव ने राजनीतिक इलीट को झटका दिया है. सत्ता में वर्षों से बैठे वर्ग के बाहर एक उम्मीदवार को विजेता बनाया है. जाहिर है आप अपने शासक वर्ग से दुखी थे. दो साल पहले हमने भी कुछ ऐसा किया था.

आपने एक ऐसे उम्मीदवार को चुना है, जिसने आपके देश को महान (फिर से) बनाने का वादा और दावा किया था. दो साल पहले हमने भी ऐसा ही किया.

आपके जीते हुए उम्मीदवार पर गंभीर आरोप हैं. हमारे विजेता पर भी थे. लेकिन ऐसा लगता है कि अब ऐसे आरोपों से हमें फर्क नहीं पड़ता. बड़े नारे और बदलाव का प्रलोभन अब इन सब चीजों से ऊपर उठ गया है. व्यक्तिगत आचरण अब मायने नहीं रखता. शायद ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जो विकल्प सामने थे, वे भी कोई दूध के धुले नहीं थे.

आपके चुनाव में इंटरनेट और सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका रही. हमारी भी रही थी. ये वायरल कैंपेन, ट्रोल्स और मीम्स का दौर है. हजार बार बोलने से झूठ सच नहीं हो जाता- यह बात अब बेमानी हो चुकी है.

अमेरिका, आपमें से कुछ इस नतीजे के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं. हमारे यहां भी काफी आवाज बुलंद हुई थी. आपके यहां देश छोड़ने की बातें की जा रही हैं. ऐसा शोर यहां भी मचा था.

जिम्मेदारी खत्म नहीं

अब कम से कम 4 साल के लिए आपने सरकार चुन ली है. आप भविष्य का फैसला कर चुके हैं. हालांकि इसका यह मतलब नहीं कि सबकुछ खत्म हो गया है. भले ही आप नतीजे के गलत या सही ओर खड़े हैं, आपकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है. हालात इससे बेहतर या इससे बुरे भी हो सकते हैं.

हम भारतीय आपको अपने पिछले 2 साल के अनुभव से कुछ सुझाव और सलाह दे सकते हैं.

आपको लड़ते रहना है. सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि उस खाई के खिलाफ जो आपके समाज में बन गई है. हमारे यहां यह खाई पिछले दो साल में काफी चौड़ी हो गई है. आप ऐसा न होने दें.

सरकार का अंधसमर्थन या अंधविरोध न करें. सरकार के विरोध को देश का विरोध न बनने दें. सरकार के समर्थन को किसी रंग में न रंग दें. सिर्फ इसलिए क्योंकि कोई आपसे अलग बात कह रहा है, उसकी बात को सुनना बंद न कर दें. यह आपके अमेरिका को महान नहीं बनाने वाला.

आपमें से कई सोशल मीडिया पर मुखर होंगे. हर बात पर राय रखते होंगे. क्यों न अपनी राय रखने से पहले एक बार सोच लें. एक बार सच की पड़ताल कर लें. ट्रोल बनने से पहले एक बार इंसान बन लें.

आपमें से अधिकतर लोगों की शिकायत रही कि आपको इस बार दो बुरे लोगों में से किसी एक को चुनना पड़ा. तो क्यों न ऐसे हालात बनाएं कि अगली बार आपको दो अच्छे लोगों में अधिक अच्छे को चुनना हो.

लेकिन सबसे जरूरी बात कि अच्छा भविष्य तैयार करें. अपने बच्चों को सिखाते रहें कि झूठ बोलना, बेईमानी करना, महिलाओं का अपमान करना, अपने विरोधी को नीचा दिखाना, किसी को धमकाकर अपनी बात मनवाना- ये सब गलत है. ऐसा करने वाले गलत हैं, भले ही चुनाव के नतीजे कुछ और ही कहते हों.

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की दुनिया के सबसे ताकतवर लोकतंत्र से यही अपील है.

आपका भारत.