अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से खुद को बाहर कर लिया है. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने मानवाधिकार परिषद की नीतियों को इज़रायल विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि इज़रायल की तरफ से फिलिस्तीन में किए जा रहे व्यवहार की जांच करना मानवाधिकारों का मखौल उड़ाने जैसा है.
ट्रंप के कार्यकाल में तीसरी बार अलग होगा अमेरिका
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में यह तीसरा मौका होगा, जब अमेरिका बहुपक्षीय समझौतों से अलग होगा. इससे पहले ये पेरिस जलवायु समझौते और ईरान परमाणु डील से अलग हो चुका है. रक्षा मंत्री माइक पॉम्पियो और निक्की हेली ने मंगलवार को घोषणा की कि मानवाधिकार परिषद ने अपने नाम के अनुरूप काम नहीं किया है. हेली ने कहा कि परिषद मानवाधिकार का हनन करने वाले देशों को सुरक्षा देने और राजनीतिक पक्षपात का अड्डा बन गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि परिषद बेहतर मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देशों को बलि का बकरा बना रहा है.
उन्होंने बताया कि अगर अमेरिका की तरफ से दिए गए सुधारों के सुझावों को परिषद लागू कर देता तो वह इस संगठन में बना रहता. हालांकि निक्की हेली ने फिर इसमें शामिल होने की किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया.
क्या था पूरा मामला
दरअसल, अमेरिका मानवाधिकार परिषद में सुधार न होने पर लंबे समय से बाहर होने की धमकी देता रहा है. अमेरिका तीन साल के लिए इस परिषद का सदस्य है और उसका डेढ़ साल का समय पूरा हो चुका है. अमेरिका ने इससे पहले जॉर्ज डब्ल्यू बुश के राष्ट्रपति काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्कार कर दिया था. बराक ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में शामिल हुआ था. निक्की हेली ने एक साल पहले कहा था कि अमेरिका मानवाधिकार परिषद में अपनी सदस्यता पर पुनर्विचार कर रहा है.
(न्यूज 18 से साभार)