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हर साल पाकिस्तान छोड़ रहे हैं 5,000 हिंदू, बाकी अल्पसंख्यक भी खतरे में

पाकिस्तान में हर अल्पसंख्यक समुदाय निशाने पर है

FP Staff

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार थम नहीं रहे हैं. इसके चलते पाकिस्तान से अहमदिया, हिंदू और ईसाई जैसे धार्मिक समूह भाग रहे हैं. यहां तक कि खुद को नास्तिक कहने वाले लोग भी पाक में सुरक्षित नहीं हैं. इनमें अहमदिया समुदाय खास तौर पर चरमपंथियों के निशाने पर रहता है.

पाकिस्तान के संविधान में 1974 में बदलाव किया गया था. इसके बाद से अहमदियाओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. पाकिस्तान में अहमदियों को कुरान पढ़ने या इस्लामिक सरनेम इस्तेमाल करने पर जेल भेजा जा सकता है.


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एनआई की खबर के मुताबिक अहमदियों के प्रवक्ता का कहना है कि पाकिस्तान बंटवारे के बाद देश को बनाने में उनकी भूमिका भूल गया है. अमहदियों के अलावा पाकिस्तान में नास्तिक होना भी खतरे से खाली नहीं है. ईश्वर जैसी सत्ता में विश्वास न रखने वाले ज्यादातर नास्तिकों ने अपने फेसबुक प्रोफाइल बंद कर दिए हैं. ताकि उनके विचारों के आधार पर उन्हें निशाना न बनाया जाए.

नास्तिकों से अलग हिंदू और ईसाई अपनी अलग धार्मिक पहचान के चलते सीधा निशाना बन जाते हैं. पिछले दिनों क्वेटा में एक चर्च पर हमला इसकी सीधी मिसाल है. एक आंकड़े के मुताबिक हर साल 5,000 हिंदू हर साल पाकिस्तान छोड़ देते हैं. पाकिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि स्टेट ने कट्टरपंथी इस्लाम ने लोगों से आजादी छीनने का हर संभव तरीका अपना लिया है.