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9/11 हमले की 17वीं बरसी: आज भी त्रासदी झेल चुके लोगों को शिकार बना रही है मौत

ऐसा अनुमान है कि अमेरिका में इस हमले से जुड़ी बीमारियों से हर ढाई दिनों में एक व्यक्ति की मौत होती है

FP Staff

11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बिल्डिंग पर हुए आतंकवादी हमले को 17 साल बीत चुके हैं. हादसे की यादें तो अब तक अमेरिकी लोगों को टीसती हैं लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 सालों के बाद भी इस त्रासदी के बाद के प्रभाव कम नहीं हुए हैं और जहरीला धूल-धुआं अब भी लोगों को बीमार कर रहा है. इससे इतने ज्यादा लोग प्रभावित हैं कि इस त्रासदी के शिकार लोगों के इलाज के लिए 7.3 बिलियन डॉलर यानी 730 करोड़ रुपए का फंड भी कम पड़ सकता है.

वेबसाइट www.stuff.co.nz ने बताया है कि द डेली न्यूज के मुताबिक, ग्राउंड जीरो कंटेमिनेशन से पीड़ित लोगों को आर्थिक मदद देने वाली द 9/11 विक्टिम्स कंपनसेशन फंड (वीसीएफ) काफी दबाव में है.


वीसीएफ की स्पेश्ल मास्टर रूपा भट्टाचार्य ने बताया कि 'हम वक्त-वक्त पर अपने डेटा का आकलन करते हैं. फिलहाल के आकलन परेशान करने वाले हैं. ये डेटा ही हमें बताते हैं कि हम फंड दिसंबर 18, 2020 को एक्स्पायर होने से पहले हम सबकी मदद करने में सक्षम होंगे.

ऐसा दावा किया जाता है कि हमले की बीसवीं बरसी तक इसके आफ्टरमैथ के शिकार इतने ज्यादा लोग मर चुके होंगे, जिनकी संख्या हमले के दिन ट्विन टॉवर्स में मरने वाले 2700 लोगों से ज्यादा होगी.

इस साल बस अगस्त महीने तक ही वीएसएफ के पास 38,502 कंपन्सेशन क्लेम आ चुके हैं. पिछले साल इतने वक्त में 30,081 क्लेम आए थे, यानी ये 28 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी है और आगे वक्त में ये और बढ़ेगा. इसके साथ इस कंटेमिनेशन से बीमारी होने के क्लेम भी आते हैं, साथ ही बीमारी से मरने वालों के लिए भी क्लेम आते हैं. ये आंकड़े अगले सालों में बढ़ भी सकते हैं क्योंकि मेसोथिलोमा जैसी कुछ बीमारियां ऐसी होंगी, जिनका असर 15-20 सालों तक दिखाई ही नहीं देगा.

ऐसा अनुमान लगाया गया है कि अमेरिका में इस हमले से जुड़ी बीमारियों से हर ढाई दिनों में एक व्यक्ति की मौत होती है. वीएसएफ और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हेल्थ प्रोग्राम इन आंकड़ों को इकट्ठा करता है इसलिए इस ट्रेजेडी के आफ्टरमैथ के शिकार लोगों का कोई आंकड़ा नहीं है लेकिन अनुमान है कि इस हमले से हुई बीमारियों से अबतक 2100 के आसपास लोगों की मौत हो चुकी है और ये आंकड़े अगले कुछ वक्त तक तो थमने वाले नहीं हैं.