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मैसेज का स्रोत ट्रैक करने से वॉट्सऐप का इनकार, भारत सरकार ने की थी मांग

भारत सरकार ने वॉट्सऐप से फर्जी मैसेजों के स्रोत का पता लगाने की तकनीक लाने को कहा था

Bhasha

वॉट्सऐप  ने अपने प्लेटफॉर्म पर संदेश के मूल स्रोत का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने से इनकार कर दिया है. सरकार ने कंपनी से इस तरह की तकनीक की मांग की थी, जिसे उसने ठुकरा दिया है.

सरकार चाहती है कि वॉट्सऐप ऐसा समाधान निकाले जिससे फर्जी या झूठी सूचनाओं के स्रोत का पता लगाया जा सके. उल्लेखनीय है कि इस तरह की फर्जी सूचनाओं से देश में मॉब लिंचिग से हत्या की घटनाएं हुई हैं.


इस बारे में वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह का सॉफ्टवेयर बनाने से एंड टू एंड एन्क्रिप्शन प्रभावित होगी और वॉट्सऐप यूजर्स के प्राइवेसी पर भी असर पड़ेगा. ऐसा करने से इसके दुरुपयोग की और संभावना पैदा होगी. हम प्राइवेसी को कमजोर नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि लोग वॉट्सऐप के जरिए सभी प्रकार की संवेदनशील सूचनाओं का आदान-प्रदान करने के लिए निर्भर है. चाहे वह उनके डॉक्टर हों, बैंक या परिवार के सदस्य हों.

प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा ध्यान भारत में दूसरों के साथ मिलकर काम करने और लोगों को गलत सूचना के बारे में शिक्षित करने पर है. इसके जरिए हम लोगों को सुरक्षित रखना चाहते हैं.’

पिछले कुछ महीनों में वॉट्सऐप के मंच से कई फर्जी सूचनाओं शेयर हुई हैं जिससे भारत में मॉब लिंचिंग से लोगों की हत्या की घटनाएं हुई हैं. इसको लेकर कंपनी आलोचनाओं का सामना कर रही है.

वॉट्सऐप के प्रमुख क्रिस डेनियल्स इसी सप्ताह सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद से मिले थे. प्रसाद ने मीडिया से कहा था कि सरकार ने वॉट्सऐप से स्थानीय कॉरपोरेट इकाई बनाने और फर्जी संदेश के मूल स्रोत का पता लगाने के लिए तकनीक विकसित करने को कहा है.

हालांकि, इसके साथ ही प्रसाद ने फेसबुक की कंपनी वॉट्सऐप के भारत की डिजिटल कहानी में योगदान की सराहना भी की. बैठक के बाद डेनियल्स ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था.

देश में अगले साल आम चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार सोशल मीडिया प्लेटफार्म मसलन फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप से फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रही है.

दुनियाभर में डेढ़ अरब वॉट्सऐप यूजर्स हैं. भारत कंपनी के लिए सबसे बड़ा बाजार है. यहां वॉट्सऐप का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या दो करोड़ से अधिक है.