view all

ट्राई रिपोर्ट: भारत में 35 करोड़ से अधिक इंटरनेट यूजर, 9.72 फीसदी इजाफा

ट्राई ने भारत में इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर अपनी एक तिमाही रिपोर्ट जारी की है.

Aditya Madanapalle

ट्राई ने भारत में इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर अपनी एक तिमाही रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या, उनका राज्यवार ब्योरा, इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से जुड़ी जानकारी है.

भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या जून 2016 में बढ़कर 35.048 करोड़ हो गई जबकि इससे पहले मार्च 2016 में खत्म होने वाली तिमाही में यह संख्या 34.265 करोड़ थी. इससे पता चलता है कि पिछले एक साल में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की तादाद 9.72 प्रतिशत बढ़ी है जबकि तिमाही के हिसाब से 2.28 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई पड़ती है.


ब्रॉडबैंड ग्राहकों की संख्या में भी इजाफा हुआ है और पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 8.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. एक तिमाही पहले के मुकाबले नैरोबैंड इस्तेमाल करने वालों की संख्या 2.32 प्रतिशत के हिसाब से घटी है.

कौन किससे आगे

35.048 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 16.206 करोड़ लोग ब्रॉडबैंड इस्तेमाल करते हैं जबकि 18.842 करोड़ नैरोबैंड ग्राहक हैं. सिर्फ 0.16 प्रतिशत ग्राहकों के पास फिक्स्ड लाइन कनेक्शन है.

पूरे देश में सिर्फ पांच लाख लोगों के पास फिक्स्ड वायरलैस ब्रॉडबैंड कनेक्शन है जिसमें वाई-फाई, वाई-मैक्स, रेडियो औरवीसैड शामिल हैं. देश में 28 हजार लोगों के पास फिक्स्ड वायरलैस नैरोबैंड कनेक्शन है. भारत में ज्यादातर लोग मोबाइल वायरलेस कनेक्शन के जरिए ब्रॉडबैंड कनेक्शन इस्तेमाल कर रहे हैं.

ट्राई ने ब्रॉडबैंड और नैरोबैंड कनेक्शन उपभोक्ताओं को लेकर क्षेत्रों के हिसाब से जानकारी जारी की है. गांव और शहरों में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों का ब्योरा भी दिया है.

वैसे तो ब्योरा राज्यवार दिया गया है लेकिन मुंबई और कलकाता का जिक्र अलग से किया गया है और उत्तर प्रदेश को पूर्व और पश्चिम में बांटा गया है. असम को छोड़ कर सभी पूर्वोत्तर राज्यों का ब्योरा एक साथ दिया गया है. सबसे ज्यादा ब्रॉडबैंड कनेक्टेड राज्य हैं- तमिलनाडु (1.535 करोड़), महाराष्ट्र (1.513 करोड़), दिल्ली (1.302 करोड़), कर्नाटक (1.292 करोड़) और आंध्र प्रदेश (1.211 करोड़). कनेक्टिविटी के मामले में हिमाचल प्रदेश पिछड़ रहा है.

बड़े सर्विस प्रोवाइडर

भारत में लाइसेंस वाले 125 आईएसपी यानी इंटरनेट सर्विस प्रोइवाइडर्स हैं. इनमें से 10 आईएसपी ही 98.46 इंटरनेट आबादी को अपनी सेवा दे रहे हैं. भारती एयरटेल देश की कनेक्टेड आबादी के एक चौथाई से भी ज्यादा हिस्से को इंटरनेट मुहैया कराती है और बाजार में उसकी हिस्सेदारी 26.40 प्रतिशत है. 19.89 मार्केट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर वोडाफोन है. टॉप प्रोवाइडर्स मुख्य रूप से वायरलेस मोबाइल कनेक्शन के जरिए इंटरनेट मुहैया करा रहे हैं.

संख्या के हिसाब से देखें तो साफ तौर पर बड़े सर्विस प्रोवाइडरों के अलावा जो सर्विस प्रोवाइडर टॉप 10 में शामिल हैं उनके ग्राहकों की संख्या बहुत कम है. अन्य सर्विस प्रोवाइडर जो टॉप 10 में नहीं हैं, पूरे देश में सिर्फ 5,384,547 लोगों तक इंटरनेट पहुंचा रहे हैं.

जब बात वायर्ड इंटरनेट कनेक्शन की आती है तो वहां सरकारी कंपनी बीएसएनएल का दबदबा है. उसके इस बाजार की 62.96 फीसदी हिस्सेदारी है और उसके 1.307 करोड़ ग्राहक हैं. भारती एयरटेल इस मामले में दूसरे नंबर पर है. यह उन चंद कंपनियों में शामिल है जो वायरलेस और वायर्ड मार्केट हिस्सेदारी में शीर्ष की तरफ अग्रसर हैं.

आट्रिया कन्वर्जेंस टेक्नोलॉजीज और यू ब्रॉडबैंड टॉप 10 सर्विस प्रोवाइडरों भी शामिल नहीं हैं, भले ही वे वायर्ड ब्रॉडबैंड बाजार के बड़े खिलाड़ी हों. पूरे भारत में जून 2016 के अंत तक वायर्ड ब्रॉडबैंड ग्राहकों की संख्या 2.076 करोड़ थी.

वायरलेस कनेक्शन में भारती शीर्ष पर है और उसके पास 9.061 करोड़ ग्राहकों के साथ इस बाजार की 27.48 फीसदी हिस्सेदारी है. वोडाफोन इस मामले में दूसरे स्थान पर है और 6.972 करोड़ ग्राहकों के साथ उसका बाजार के 21.15 फीसदी हिस्से पर कब्जा है. सरकारी कंपनियां बीएसएनएल और एमटीएनएल वायरलेस ब्रॉडबैंड बाजार के टॉप 10 खिलाड़ियों में भी शामिल नहीं हैं.

पसंदीदा टेक्नोलॉजी

रिपोर्ट में इंटरनेट मुहैया कराने के लिए इस्तेमाल हो रही टेक्नोलॉजी पर भी जानकारी दी गई है. वायरलेस कनेक्टिविटी देने के लिए जो टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा लोकप्रिय है वह GPRS/EDGE है. इसके जरिए 18.174 करोड़ लोगों तक इंटरनेट पहुंच रहा है. इसके बाद HSPA/WCDMA टेक्नोलॉजी का नंबर आता है जिससे इंटरनेट पाने वाले लोगों की तादाद 13.151 करोड़ है.

जैसा कि पहले कहा जा चुका है वाई-फाई बिल्कुल भी आम नहीं है. भारत में डोंगल के साथ लैपटॉप या अन्य कैरी किए जाने वाले उपकरणों और मोबाइल फोन से 88.98 प्रतिशत ब्रॉडबैंड ग्राहक इंटरनेट हासिल कर रहे हैं. वही वायर्ड ब्रॉडबैंड सर्विस के मामले में सबसे पसंदीदा टेक्नोलोजी डीएसएल है और उसके बाद डायल अप का नंबर आता है. भारत में सिर्फ दो लाख 80 हजार उपभोक्ताओं की हाई स्पीड फाइबर ऑप्टिक कनेक्शन तक पहुंच है.

सभी सर्विस प्रोवाइडरों के पास कुल इंटरनेशनल इंटरनेट बैंडविथ 2099 जीबीपीएस थी जबकि पिछली तिमाही में यह 2070 जीबीपीएस थी. ट्राई की इस रिपोर्ट का शीर्षक है “द इंडियन टेलीकॉम सर्विस परफॉर्मेंस इंडिकेटर रिपोर्ट अप्रैल – जून 2016” और इसे यहां देखा जा सकता है.

अकमाई स्टेट ऑफ इंटरनेट के अनुसार 2016 की तीसरी तिमाही में इंटरनेट प्रोटोकॉल वर्जन यानी आईपीवी6 की संख्या में 715 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल आया है. भारत में औसत इंटरनेट स्पीड 4.1 एमबीपीएस है. इस तरह पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 14 फीसदी की बेहतरी आई है जबकि एक साल पहले के मुकाबले यह बेहतरी 62 प्रतिशत है.