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सोशल मीडिया: स्नैपचेट के हिस्से की मलाई लूटता फेसबुक!

अगर स्नैपचैट मर गया तो फिर फेसबुक किसकी नकल करेगा?

Anirudh Regidi

फेसबुक बहुत बड़ा है. लगभग दो अरब यूजर्स के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है. इसकी हर सोशल मीडिया प्रॉपर्टी भी अपने आप में बहुत विशाल है.

इंस्टाग्राम ने कुछ समय पहले अपने 60 करोड़ एक्टिव यूजर्स के बारे में बताया है जबकि मैसेंजर ने अभी-अभी 1.2 अरब का आंकड़ा पार किया है. वहीं व्हाट्सएप के एक अरब से ज्यादा यूजर हैं.


हर हिसाब से फेसबुक दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे कामयाब सोशल मीडिया कंपनी है. फिर भी जब फेसबुक के पास कुछ नया करने के आइडिया नहीं बचते तो वह अपने प्रतिद्वंद्वियों की नकल करने लग जाता है.

असल में यही फेसबुक की लगातार कामयाबी का राज भी हो सकता है.

फेसबुक एक के बाद एक स्नैपचैट के फीचर्स चुरा रहा है (तस्वीर-फ़र्स्टपोस्ट)

चोरी का शिकार स्नैपचैट

मिसाल के तौर पर स्नैपचैट को ही लीजिए. यह एक इमेज और फोटो शेयरिंग एप है और इस पर फोटो बस कुछ ही समय के लिए रहती हैं. इसने युवा लोगों का तेजी से ध्यान खींचा.

फेसबुक भी इसी युवा ऑडियंस पर डोरे डाल रहा था लेकिन कामयाब न हो सका. तो फिर इस समस्या का क्या समाधान निकाला जाए?

सीधे-सीधे चोरी कर लो. दुनिया की यह दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी बड़ी बेशर्मी से स्नैपचैट के फीचर्स चोरी कर रही है और यह काम वह कई साल से बड़ी कामयाबी से कर रही है.

स्नैपचैट स्टोरीज एक ऐसा फीचर है जो यूजर्स को एक सीरीज में सामग्री शेयर करने की सुविधा देता है जिसे 24 घंटे की अवधि के दौरान देखा जा सकता है.

इसकी शुरूआत साल 2014 में हुई थी और यह स्नैपचैट की सबसे लोकप्रिय फीचर साबित हुई. कुछ लोग तो इसे आज स्नैपचैट का सबसे खास फीचर बताते हैं.

स्नैपचैट का ध्यान अपने कंज्यूमर्स को नए फीचर्स देने में है (तस्वीर-एफबी पेज)

बेतुका इस्तेमाल

फेसबुक ने स्टोरीज फीचर को चुरा लिया और लगभग अपनी सभी सोशल मीडिया प्रॉपर्टीज में इस्तेमाल किया जिनमें मेसेंजर और इंस्टाग्राम भी शामिल हैं.

और तो और अब हमें पता चला है कि इंस्टाग्राम पर स्टोरीज फीचर स्नैपचैट के स्टोरीज फीचर से भी ज्यादा पॉपुलर है. इंस्टाग्राम स्टोरीज पर हर दिन के 20 करोड़ यूजर हैं वहीं स्नैपचैट के रोजाना के 16 करोड़ एक्टिव यूजर हैं.

फेसबुक ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए स्टोरीज फीचर को बेहतर बनाने के लिए कई सारे टूल भी दे दिए हैं. इनमें सेल्फी स्टिकर, पिन्ड स्टिकर, वीडियो स्टोरीज और मोर जियो-स्टिकर जैसे टूल शामिल हैं.

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ठीक है. मैं यहां न तो नैतिकता पर बहस कर रहा हूं और न ही कारोबार के नियम कायदों पर. मैं तो बस यही सोच रहा हूं कि क्या फेसबुक के पास कोई असली प्लान है.

कामयाब हो चुकी किसी चीज की नकल करना बहुत आसान है खासकर तब...जब आपके पास उसे बेहतर करने के साधन हों. आईफोन और चीन में बनी उसकी बेशुमार नकल इस बात का बढ़िया सबूत हैं.

फेसबुक ने ना सिर्फ इस फीचर की नकल की बल्कि उसने इसे हर कहीं लागू करने की कोशिश की. इस बात का कोई ख्याल नहीं रखा कि किस ऑडियंस के लिए इसे बनाया गया है.

स्टोरीज को फेसबुक, इंस्टाग्राम और मेसेंजर पर भी देने की क्या तुक है? क्या फेसबुक को पता नहीं है कि वह कहां सबसे अच्छा काम कर सकता है?

स्नैपचैट अगर नए फीचर बनाना बंद कर दे तो फेसबुक क्या करेगा (तस्वीर-फ़र्स्टपोस्ट)

फिर क्या करेगा फेसबुक?

फेसबुक ऐसे शेफ की तरह बर्ताव कर रहा है जिसके पास कोई नई बढ़िया चटनी है और वह उसे हर जगह इस्तेमाल करना चाहता है. लेकिन उसे यह नही पता है कि वह किस डिश के साथ बढ़िया रहेगी.

इस सवाल का जबाव तलाशने की बजाय वह हर चीज में चटनी को डाल देता है और उम्मीद करता है कि लोगों के फीडबैक से उसे अपना जबाव मिल जाएगा.

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इसका मतलब है कि शेफ को अपना काम नहीं आता. इसी बात को आगे बढ़ाते हैं. अगर दुनिया का कोई बेहतरीन रेस्त्रां चुराई हुई रेसिपीज पर चलता है तो वह उस दिन क्या करेगा जब चुराने के लिए रेसिपीज ही नहीं बचेंगी?

स्नैपचैट को लेकर थोड़ा सा बुरा लगता है. स्नैपचैट जहां नई-नई चीजें खोज निकालने पर ध्यान दे रहा है तो मार्क जकरबर्ग ग्लोब कम्युनिटीज और विज्ञापन की नई टेकनीक तैयार करने में व्यस्त हैं.

और जब फेसबुक मेहनत से तैयार किए गए स्नैपचैट के फीचर चुरा लेता है तो फिर भला स्नैपचैट कर भी क्या सकता है. दांत पीसकर आगे बढ़ जाने के सिवाय उसके पास कोई और रास्ता भी नहीं है?

इससे भी अहम यह है कि अगर स्नैपचैट मर गया तो फिर फेसबुक किसकी नकल करेगा?