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रैनसमवेयर अटैक: ऐसे बच सकते हैं 'वाना क्राई' के हमले से

एक्टपर्ट्स ने साइबर अटैक से बचने के लिए फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से कई उपाय शेयर किए

Ravishankar Singh

विश्व के 150 से अधिक देशों में रैनसमवेयर वायरस हमले से हड़कंप मचा हुआ है. पिछले शुक्रवार को हमले के बाद एक बार फिर सोमवार को वायरस हमले हुए. इन वायरस हमले में विश्व के 150 देशों के 2 लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर चपेट में आ गए हैं. इस वायरस के ताजा हमलों के शिकार नए कंप्यूटर हुए हैं.

रैनसमवेयर नाम का वायरस भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, स्पेन और रूस सहित दुनिया के 150 देशों में फैल गया है. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन के एक 22 वर्षीय सुरक्षा शोधकर्ता मालवेयरटेक से दुनिया को उम्मीद बंध गई है. इस शोधकर्ता ने दुनिया को सतर्क रहने को कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक छोटे से आइडिया से इस शोधकर्ता ने खतरनाक वायरस पर काबू पाया है.


इस रैनसमवेयर को 'वाना क्राई (Wanna Cry)' का नाम दिया गया है. कंप्यूटरों को अपने नियंत्रण में लेने के बाद यह वायरस फाइलों को खोलने के लिए उपभोक्ताओं से 300 से 600 बिटकॉइन भुगतान करने की मांग करता है.

इन सारे मुद्दों पर फ़र्स्टपोस्ट हिंदी ने देश के जाने-माने साइबर एक्सपर्ट पवन दुग्गल से बात की. पवन दुग्गल के मुताबिक भारत में हुए साइबर हमले ने देश की साइबर कानून और उसके सुरक्षा तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पवन दुग्गल का कहना है कि भारत में आईटी एक्ट काफी कमजोर हैं. हैकर्स आसानी से भारतीय साइबर कानून को टेक्नोलॉजी से मात दे देते हैं. साइबर अटैकर्स के लिए भारत सबसे सुरक्षित जगह बनता जा रहा है.

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रैनसमवेयर से बचने के उपाय

पवन दुग्गल ने साइबर अटैक से बचने के लिए फ़र्स्टपोस्ट हिंदी से कई उपाय शेयर किए.

1. अगर उपभोक्ता कुछ सावधानी बरतेंगे तो इस तरह के साइबर हमले से बच सकते हैं. सबसे पहले अगर आप अपना कंप्यूटर खोलें और आपका कंप्यूटर अगर सही चलता नजर आए तो पहला संकेत है कि आपके कंप्यूटर पर वायरस का अटैक नहीं हुआ है. अगर कंप्यूटर पर वायरस अटैक हुआ होता आपके कंप्यूटर पर एक संकेत आ जाता कि आपके सारी फाइलें इनक्रिप्ट (डिजिटली तालाबंद) हो चुकी हैं. उपभोक्ता अगर इसको खोलना चाहेंगे तो उनको कम से कम 300 डॉलर बिटकॉइन देने पड़ेंगे. उपभोक्ता भुगतान कर अपना डाटा दोबारा से खोल पाएंगे.

2. अगर आप माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपका पोटेंशियल खतरे में है. विश्व के लगभग 90 प्रतिशत देशों में विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम से काम होता है. एक ही तरह के सिस्टम होने की वजह से हैकर्स के लिए साइबर अटैक करना आसान हो जाता है. माइक्रोसॉफ्ट ने पिछले शुक्रवार से कुछ पैचेज खोल कर रखे हैं. उपभोक्ता इन पैचेज को इस्तेमाल करके अपना माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम को सुरक्षित कर सकते हैं.

3. आप अपने कंप्यूटर डाटा को किसी हार्डडिस्क पर बैकअप कर वायरस अटैक होने के बाद भी अपने फाइलों को सुरक्षित रख सकते हैं. अगर आप अपना बैकअफ नहीं रखते हैं तो वायरस अटैक होने पर सदा के लिए अपने डाटा और फाइलों से हाथ धो सकते हैं.

4. आप अपने सिस्टम में अच्छा एंटीवायरस डालें. साथ ही अच्छा फायरवॉल डालें. इससे ये होगा कि आपके सिस्टम में अगर कोई वायरस घुसने की कोशिश करेगा तो आपको पहले ही चेतावनी मिल जाएगी.

5. ईमेल यूजर किसी लालच में नहीं आएं. कोई ऐसी ई-मेल को न खोलें जो आपको कोई बड़ी लॉटरी या जायदाद का प्रलोभन दे रहा हो.

6. किसी ऐसे व्यक्ति को जिसको आप नहीं जानते हैं उसका ईमेल या अटैचमेंट को न खोलें.

7. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको अपने रोजमर्रा की जिंदगी में साइबर सुरक्षा को एक अहम हिस्सा बनाना पड़ेगा. अगर आप सुरक्षित डिजिटल ट्रांजेक्शन और सुरक्षित प्लेटफॉर्म चाहते हैं तो इन बातों को अपनाने के बाद आप शिकार होने से बच सकते हैं.

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मजबूत साइबर कानून की जरूरत

पवन दुग्गल कहते हैं, ‘सरकार को कई ठोस कदम उठाने की जरूरत है. भारत में इस समय साइबर सुरक्षा से जुड़ा कोई मजबूत कानून नहीं है. ऐसे में साइबर हमला होने पर हम हैकर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकते. साइबर हमलावर के लिए एक दंडनीए अपराध घोषित करने की जरूरत है. आज भारत में साइबर अपराध करने वालों के लिए सजा का प्रावधान नहीं है. धाराएं जमानती है. साइबर अपराध के लिए कम से 7 से 10 सालों का सजा का प्रावधान होना चाहिए.'

पवन दुग्गल आगे कहते हैं, ‘सरकार सूचना प्रद्योगिकी कानून में संसोधन करे. सरकार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम शुरू करे. स्कूल और कॉलेजों में साइबर सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए.'

पूरी दुनिया पर हुए साइबर अटैक के बाद देशभर में कई एटीएम बंद हो गए हैं. सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्रालय ने एडवायजरी जारी कर देशभर में कई एटीएम को बंद करने का फैसला लिया है. भारत सरकार ने एहतियातन ये फैसला लिया है.

रैनसमवेयर वायरस के चलते सरकार ने ये फैसला लिया है. माना जा रहा कि कई संवेदनशील संस्थानों में भी एटीएम लगे हैं. माना जा रहा है कि ऐसी जगहों की संवेदनशीलता के चलते ही सरकार ने ये फैसला लिया है.