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एनएसजी वेबसाइट हैकिंग मामला: डिजिटल इंडिया की चुनौतियां

भारत में एक बहुत बड़ा तबका उन लोगों का है जो साइबर क्राइम के मामले को सरकार तक नहीं पहुंचाते हैं

Ravishankar Singh

भारत में नए साल की शुरुआत में ही साइबर सुरक्षा में सेंध लगना शुरू हो गया है. हैकर्स ने देश की अति संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की वेबसाइट रविवार को हैक कर लिया. हैकर्स ने इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री और भारत के लिए अपशब्द भी लिख डाला.

एनएसजी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि रविवार को वेबसाइट की हैकिंग की जानकारी हुई. इसके तुरंत बाद ही एनएसजी हैडक्वॉर्टर के एंटी टेरेरिस्ट विंग की साइबर सेल यूनिट ने एनएसजी की वेबसाइट www.nsg.gov.in को ब्लॉक कर दिया. भारतीय एजेंसियों ने हैकिंग के बारे में नेशनल इंफोर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) को जानकारी दे दिया है.


पिछला साल भी भारत के लिए साइबर क्राइम के लिहाज से बेहद खराब साल रहा. 2016 के शुरुआती तीन महीनों में ही देश की 8000 वेबसाइट हैक कर ली गई थीं. हैकिंग की गूंज देश की संसद में भी उठी थी. दिसंबर आते-आते यह आंकड़ा लगभग लाखों में पहुंच चुका है. नोटबंदी के बाद से तो देश में साइबर क्राइम की रफ्तार में बेतहाशा तेजी आई है.

भारत के लिए साल 2016 साइबर क्राइम के लिहाज से बेहद खराब साल रहा. साल के शुरुआती तीन महीनों में ही देश की 8000 वेबसाइट हैक कर ली गई थीं. हैकिंग की  गूंज देश की संसद में भी उठी थी. दिसंबर आते-आते यह आंकड़ा लगभग लाखों में पहुंच चुका है. नोटबंदी के बाद से तो देश में साइबर क्राइम की रफ्तार में बेतहाशा तेजी आई है.

मई 2016 में देश के सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री और वर्तमान में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में साइबर क्राइम का एक आंकड़ा पेश किया था. रविशंकर प्रसाद के द्वारा पेश किए गए आंकड़े में सभी प्रकार के साइबर क्राइम से जुड़े डाटा दिए गए थे. ये डाटा साल 2013 से मार्च 2016 तक के थे.

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री की पेश की गई रिपोर्ट में भारत में रजिस्टर्ड साइबर क्राइम के आंकड़े ही थे. जानकार मानते हैं कि देश में ऐसे हजारों मामले होते हैं जिन्हें या तो लोग दर्ज नहीं करवाते हैं या लोकल पुलिस दर्ज नहीं करती.

साल 2013 से मार्च 2016 तक के आंकड़े

साल 2013 में साइबर क्राइम के 41 हजार 319 मामले सामने आए थे. 2014 में 44 हजार 679 मामले, 2015 में 49 हजार 455 मामले और साल 2016 के मार्च महीने तक 14 हजार 363 मामले साइबर क्राइम के अंतगर्त दर्ज किए गए.

सिर्फ वेबसाइट हैक की बात करें तो साल 2013 में 28 हजार 481 वेबसाइट, साल 2014 में 32 हजार 323 वेबसाइट, साल 2015 में 27 हजार 205 वेबसाइट और साल 2016 के मार्च महीने तक 8 हजार 56 भारतीय वेबसाइट को हैक किए गए.

रिपोर्ट ही दर्ज नहीं हो पाती

भारत में एक बहुत बड़ा तबका उन लोगों का है जो साइबर क्राइम के मामले को सरकार तक नहीं पहुंचाते हैं. रिपोर्ट दर्ज नहीं होने के कारण भारत की कई एजेंसियों तक भी इस मामले की जानकारी नहीं पहुंच पाती है.

डाटा सिक्युरिटी काउंसिल इंडिया (डीएससीआई) के मुताबिक भारत में डाटा सुरक्षा का बाजार जो इस वक्त चार बिलियन का है, वो अगले 9 वर्षों में लगभग 9 गुना बढ़ कर 2025 में लगभग 35 बिलियन का हो जाएगा.

सरकार और पब्लिक दोनो की गंभीरता में कमी की वजह से देश में साइबर क्राइम के मामले गुणात्मक रूप से बढ़ते जा रहे हैं. देश में न तो साइबर सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर है न ही लोगों में गंभीरता देखी जा रही है. प्रधानमंत्री मोदी की  कैशलेस इकॉनोमी के सामने देश की साइबर सिक्युरिटी सुरक्षा रोड़ा अटका सकती है.

एक्सपर्ट की राय

साइबर क्राइम से जुड़े मामले के विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील पवन दुग्गल कहते हैं, 'भारत को आने वाले दशकों में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, अगर भारत की सरकार साइबर सिक्योरिटी को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की तो मौजूदा कानून में काफी संशोधन करने की जरूरत है.'

बुनियादी तौर पर भारत मोबाइल क्रांति की तरफ दौड़ रहा है. इस दौड़ में हमें न केवल अपने इनफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना है बल्कि कानून को मजबूत और असरकारक भी बनाना है.— पवन दुग्गल

बकौल पवन दुग्गल, ‘भारत में साइबर क्राइम गांवों से लेकर शहर तक हो रहे हैं. भारत में साइबर क्राइम को लेकर लोगों की मानसिकता होती है कि लोग इसकी रिपोर्ट नहीं करना चाहते हैं. शायद उनको कानून पर विश्वास नहीं होता या फिर पुलिसकर्मी की क्षमता पर विश्वास नहीं होता. वो दोषी के पकड़े जाने को लेकर भी संशय में रहते हैं.’

कनविक्शन रेट आज तक तिहाई में नहीं पहुंचा

पवन दुग्गल के मुताबिक, ‘साल 2000 का इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट (आईटी एक्ट) ज्यादा सशक्त था लेकन  साल 2008 के संशोधन ने इस कानून को अपंग बना दिया. 2008 के संशोधनों ने ज्यादातर साइबर क्राइम को जमानती बना दिया. जिससे नतीजा यह हुआ कि आप अगर जमानत पर बाहर आते हैं तो एविडेंस को नष्ट करेंगे. लिहाजा साइबर क्राइम मुकदमों में कनविक्शन पाना लगभग सूख सा गया है. देश में साइबर कानून में पहला कनविक्शन साल 2003 में आया था. साल 2003 के बाद से अब तक कनविक्शन रेट का आंकड़ा तिहाई अंक तक भी नहीं पहुंचा है.’

जानकार मानते हैं कि देश में इस समय साइबर क्राइम करने वालों के खिलाफ कड़े कानून लाने की जरूरत है. सरकार सशक्त कानून ला कर ही भारत जैसे देश में साइबर क्राइम करने वालों पर काबू पा सकती है.