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नासा ने मंगल पर बढ़ाया एक और कदम, मार्स लैंडर 'इनसाइटर' किया लॉन्च

क्यूरियोसिटी रोवर के 2012 में मंगल पर उतरने के बाद नासा नासा ने भेजा दूसरा लैंडर. जो करेगा मंगल सतह की कई जांचे.

Bhasha

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने नए मार्स लैंडर ‘इनसाइट’ को शनिवार को लॉन्च किया. इसे मंगल पर मानव अभियान से पहले उसकी सतह पर उतरने और वहां आने वाले भूकंप को मापने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका पूरा नाम ‘इंटेरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सेस्मिक इंवेस्टीगेशंस’ है.

अंतरिक्ष यान को एटलस वी रॉकेट जरिए कैलिफोर्निया स्थित वंडेनबर्ग वायुसेना अड्डे से अंतरराष्ट्रीय समय शाम चार बजकर 35 मिनट पर पर लॉन्च किया गया.

यह परियोजना 99. 3 करोड़ डॉलर की है, जिसका लक्ष्य मंगल की आतंरिक परिस्थितियों के बारे में जानकारी बढ़ाना है. साथ ही, लाल ग्रह पर मानव को भेजने से पहले वहां की परिस्थितियों का पता लगाना और पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों के निर्माण की प्रक्रिया को समझना है.

यदि सब कुछ योजना के हिसाब से चलता है तो यह लैंडर 26 नवंबर 2018 को मंगल की सतह पर उतरेगा.नासा के मुख्य वैज्ञानिक जिम ग्रीन ने कहा कि हम जानते हैं कि मंगल पर भूकंप आए हैं, भूस्खलन हुआ है और उससे उल्का पिंड भी टकराए हैं.लेकिन मंगल भूकंप का सामना करने में कितना सक्षम है? हमें जानने की जरूरत है.

इस अंतरिक्ष यान पर मुख्य उपकरण सेस्मोमीटर है, जिसे फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी ने बनाया है. मंगल पर उतरने के बाद एक ‘रोबोटिक आर्म’ सतह पर सेस्मोमीटर (भूकंपमापी उपकरण) लगाएगा. इसकी दूसरी विशेषता एक ‘सेल्फ हैमरिंग’ जांच है, जो ग्रह की सतह में उष्मा के प्रवाह की निगरानी करेगा. नासा ने कहा कि जांच के तहत सतह पर 10 से 16 फुट गहरा सुराख किया जाएगा. यह पिछले मंगल अभियानों से 15 गुना अधिक गहरा होगा.

दरअसल, 2030 तक मंगल पर लोगों को भेजने की नासा की कोशिशों के लिए ‘लाल ग्रह’ के तापमान को समझना जरुरी है. इस सौर ऊर्जा और बैटरी से ऊर्जा पाने वाला लैंडर को 26 महीने तक चलने के लिए डिजाइन किया गया है.

नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के इनसाइट प्रबंधक टॉम होफमैन ने बताया कि आशा है कि यह अपने तय समय से ज्यादा चलेगा. क्यूरियोसिटी रोवर के 2012 में मंगल पर उतरने के बाद से इनसाइट वहां उतरने वाला नासा का यह पहला लैंडर होगा.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)