इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से गुरुवार को भारत का 8वां नेविगेशन सैटेलाइट IRNSS-1H लॉन्च किया, जो असफल हो गया. इसरो के चेयरमैन ए एस किरन कुमार ने इस बात की पुष्टि की है.
#WATCH: ISRO launches navigation satellite IRNSS-1H carried by PSLV from Sriharikota in Andhra Pradesh. pic.twitter.com/KlfmbyDIMZ
— ANI (@ANI) August 31, 2017
44.4 मीटर लंबे पीएसएलवी-सी39 की यह 41वीं उड़ान थी. यह अपने साथ 1,425 किग्रा वजनी उपग्रह ले जा रहा था. इसरो ने छह छोटे और मध्यम उद्योगों के एक समूह के साथ मिल कर इस उपग्रह का निर्माण और परीक्षण किया था.
तारामंडल में मौजूद सात उपग्रहों में से एक आईआरएनएसएस-1ए के लिए आईआरएनएसएस-1एच की भूमिका एक बैकअप नौवहन की होती क्योंकि इसकी तीन रीबिडियम परमाणु घड़ियों ने काम करना बंद कर दिया है.
भारत बना रहा है अपना जीपीएस जैसा सिस्टम
बता दें 'इंडियन रीजनल नेवीगेशन सैटेलाइट सिस्टम' (आईआरएनएसएस) एक स्वतंत्र क्षेत्रीय प्रणाली है जिसका विकास भारत ने अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लोनास तथा यूरोप द्वारा विकसित 'गैलिलियो' के मुताबिक किया है.
यह प्रणाली भूभागीय एवं समुद्री नौवहन, आपदा प्रबंधन, वाहनों पर नजर रखने, बेड़ा प्रबंधन, हाइकरों तथा घुमंतुओं के लिए नौवहन सहायता और चालकों के लिए दृश्य एवं श्रव्य नौवहन जैसी सेवाओं की पेशकश करती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका नाम 'नाविक' (एनएवीआईसी-नेवीगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन) रखा था.
इसरो ने इससे पहले सात उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है. इनमें से आईआरएनएसएस-1जी का प्रक्षेपण 28 अप्रैल 2016 को किया गया. आईआरएनएसएस-1एफ का प्रक्षेपण 10 मार्च 2016 को किया गया. आईआरएनएसएस-1ई का प्रक्षेपण 20 जनवरी 2016 को किया गया. आईआरएनएसएस-1डी का प्रक्षेपण 28 मार्च 2015 को किया गया. आईआरएनएसएस-1सी का प्रक्षेपण 16 अक्तूबर 2014 को किया गया. आईआरएनएसएस-1बी का प्रक्षेपण चार अप्रैल 2014 को किया गया और आईआरएनएसएस-1ए का प्रक्षेपण एक जुलाई 2013 को किया गया था.
(साभार: न्यूज़18)