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नॉर्थ कोरिया से आया रैनसमवेयर अटैक? भारतीय मूल के गूगल कर्मी ने दिए सबूत

नील मेहता नाम के भारतीय मूल के शख्स ने एक कोड प्रकाशित किया है

Bhasha

क्या भारत समेत 150 से ज्यादा देशों को परेशान करने वाले रैनसमवेयर 'वाना क्राई' के पीछे उत्तर कोरिया का हाथ है? गूगल में काम करने वाले एक भारतीय मूल के कर्मचारी ने ऐसे सबूत पेश किए हैं जो इशारा करते हैं कि हो सकता है कि रैनसमवेयर साइबर हमला उत्तर कोरियाई हैकरों ने किया हो जिसने दुनिया भर को अपना निशाना बनाया है.

बीबीसी की खबर के अनुसार नील मेहता नाम के भारतीय मूल के शख्स ने एक कोड प्रकाशित किया जिसे रूस की एक साइबर सुरक्षा कंपनी ने इस मामले में अब तक का सबसे अहम सुराग करार दिया है.


अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक शुक्रवार को हुए रैनसमवेयर हमले में इस्तेमाल कुछ कोड, जिन्हें वाना क्राई सॉफ्टवेयर कहा जाता है, लाजारूस समूह द्वारा इस्तेमाल किए गए कोड के समान हैं. यह उत्तर कोरिया के हैकरों का एक समूह है जिसने 2014 में सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट को नुकसान पहुंचाने वाली हैकिंग के लिए इसी तरह के एक स्वरूप का इस्तेमाल किया था. पिछले साल बांग्लादेश सेंट्रल बैंक की हैकिंग में भी इसी तरह का इस्तेमाल किया गया था.

मेहता की गई खोज के बाद सुरक्षा विशेषज्ञ इस ताजा साइबर हमले के तार लाजारूस समूह से जोड़ रहे हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक मेहता को वानाक्राई और अन्य सॉफ्टवेयर के कोड के बीच समानताएं नजर आई थीं.

दुनिया ने शुक्रवार को अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला देखा. एक कंप्यूटर मालवेयर के जरिए हमला करने वालों ने लोगों के कंप्यूटर सिस्टम को लॉक कर दिया है और उसके बाद उसे खोलने के लिए फिरौती की मांग की. साइबर अटैकर्स ने बिटकॉइन्स में 300 डॉलर की फिरौती की मांग की. फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, स्वीडन, रूस सहित दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हुए. भारत भी हमले से अछूता नहीं रहा.