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गूगल पिक्सल रिव्यू: बढ़िया तो है लेकिन...

इस साल अगर किसी ने आईफोन 7 को टक्कर दी है तो वो है गूगल का पिक्सल.

Nimish Sawant

आमतौर पर आईफोन के आगे कोई और स्मार्टफोन नहीं टिकता. लेकिन इस साल अगर किसी ने आईफोन 7 को टक्कर दी है तो वो है गूगल का पिक्सल. गूगल पिक्सल को लेकर वैसी ही उत्सुकता है जैसी कि आईफोन 7 के लिए.

गूगल पिक्सल दो वेरियंट में लांच हुआ है. गूगल पिक्सल और गूगल पिक्सल एक्सएल. ‘मेड बाय गूगल’ फोन ने निश्चित तौर पर महंगे प्रिमियम सेगमेंट में सैमसंग और एप्पल के दबदबे को कम किया है.


मुझे इनकी परफॉर्मेंस कमाल की लगी है और खास तौर से पिक्सल एक्सएल में लगे कैमरे का तो कहना ही क्या है. फिर भी न जाने क्यों, मुझे ऐसे कोई ठोस वजह नहीं दिखती जिससे मैं 32 जीबी वाले पिक्सल एक्सएल फोन की 67 हजार रुपए कीमत को जायज ठहरा पाऊं.

 भारत में पिक्सल की परफॉर्मेंस

 ऐसा लगता है कि भारत में गूगल की शुरुआत बहुत अच्छी रही है. उसने पहले ही प्रीमियम सेगमेंट बाजार में 10 फीसदी हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है. अक्टूबर के आखिर तक गूगल 33 हजार स्मार्टफोन बेचने में कामयाब रहा.

इस सीजन में अपनी बिक्री में 66 फीसदी का इजाफा करने वाले एप्पल और 23 फीसदी कम बिकने वाले सैमसंग के बाद गूगल तीसरे नंबर पर है.

मॉर्गन स्टैनली की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में गूगल को पिक्सल से चार अरब डॉलर की कमाई होगी. मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि अगले साल 50 से 60 लाख पिक्सल फोन बिकेंगे.

असल में, इसका तो यह भी अनुमान है कि लगभग तीस लाख पिक्सल इस साल के आखिरी तीन महीनों में बिक जाएंगे. मुनाफे के हिसाब से देखें तो उम्मीद है कि पिक्सल के 22 से 25 फीसदी मुनाफे के मुकाबले एप्पल आईफोन 7 को 41 फीसदी ही फायदा हो पाएगा.

लेकिन इतना साफ है कि पिक्सल ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है. इसकी परफॉर्मेंस बढ़िया है, कैमरा शानदार है और प्रीमियम प्राइस सेगमेंट में यह बेहतरीन एंड्रॉइड यूजर एक्सपीरियंस देता है.

पिक्सल की इतनी ज्यादा बिक्री की एक वजह गैलेक्सी नोट 7 को लेकर सैमसंग की नाकामी भी है.

भारत में चुनौती

 जो लोग सबसे बढ़िया यानी प्रीमियम फोन खरीदने के शौकीन हैं, उन्हें एप्पल आइफोन और उसके साथ साथ सैमसंग गैलेक्स एस या नोट खूब लुभाते रहे हैं. अमेरिका या यूरोप में आप आम तौर पर फोन एक कॉन्ट्रैक्ट के साथ खरीदते हैं, इसलिए भारत जैसे उभरते बाजारों के मुकाबले वहां आईफोन और गैलेक्सी फोन बेचने में एप्पल और सैमसंग को ज्यादा मुश्किल नहीं आती.

स्मार्टफोन के समूचे बाजार में एप्पल की हिस्सेदारी सिर्फ ढाई प्रतिशत है जबकि सैमसंग का 25 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है. इसलिए गूगल को भारत में जो कामयाबी मिली है, उससे उसे खुश होना चाहिए.

चूंकि भारत एक उभरता हुआ बाजार है और इस वक्त सबसे ज्यादा वृद्धि किफायती यानी बजट सेगमेंट और बीच की कीमतों वाले मिड रेंज सेगमेंट में हो रही है. इन्हीं दोनों सेगमेंट में भारत में सबसे ज्यादा फोन बिक रहे हैं. इन्हीं सेगमेंट में हर तीन महीने में कोई न कोई नई कंपनी दाखिल हो जाती है. सबको पैसा वसूल फोन चाहिए.

गूगल पिक्सल निश्चित तौर पर इन सेगमेंट के लिए नहीं है. और न ही एप्पल है. सैमसंग अकेली ऐसी कंपनी है जो सभी सेगमेंट में संतुलन बनाए हुए है और इससे बाजार में उसकी हिस्सेदारी बढ़ती है.

एप्पल की खासियत क्या है

 ऊंची कीमत होने के बावजूद एपल के फोन भारत में इतनी बड़ी तादाद में बिकते हैं, इसकी सिर्फ यही वजह है कि उनके साथ यूजर का अनुभव बहुत बढ़िया रहता है. एप्पल का आईफोन इस्तेमाल करने वाले को एक बात तो पक्का पता है कि लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के एलान के चंद महीनों के भीतर वो उसके पास आ जाता है.

एंड्रॉयड वालों को इसके लिए जूझना पड़ता है. नवंबर 2016 तक की बात करें तो एंड्रॉयड नौगत 7.0 सिर्फ 0.3 प्रतिशत एंड्रॉयड फोनों में हैं जबकि लगभग एक साल से चल रहे 6.0 मार्शमैलो पर सिर्फ 24 फीसदी फोन काम कर रहे हैं. वही आईओएस 10 दो दिन के भीतर 20 प्रतिशत फोनों पर अपडेट हो गया.

इस रिपोर्ट के अनुसार आईओएस यूजर्स इन-एप खरीदारी में एंड्रॉयड यूजर्स के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा खर्च करते हैं. चूंकि गूगल ने पिक्सल में असिस्टेंट नाम का टूल डाला है तो उम्मीद है कि उसके जरिए बड़ी संख्या में होने वाली मोबाइल सर्च से गूगल का राजस्व और बढ़ेगा.

आईफोन के साथ दूसरे प्रॉडक्ट्स की एक पूरी लड़ी है- आईपैड, मैकबुक और आईमैक इस्तेमाल करने वालों की पसंद बहुत मुमकिन है कि आईफोन ही हो. जहां तक एंड्रॉइड यूजर्स की बात है वहां ऐसी बात नहीं है.

रिसेल वैल्यू

निश्चित तौर पर इस मोर्चे पर एप्पल के आईफोन का जबाव नहीं. और बहुत से लोगों के लिए, यह बात अहम है कि वे आईफोन खरीद रहे हैं.

पैटर्न देखिए?

मुझे लगता है कि अगर पिक्सल प्रीमियम सेगमेंट में उतरा है तो उसे हार्डवेयर खूबियों से आगे सोचना होगा. ऊंचे दाम वाले इस सेगमेंट में बेहतरीन चीज ही दी जाती है. लेकिन बड़ी बात ये है कि यूजर का एक्सपीरियंस कितना अच्छा है. यह सही है कि पिक्सल में असिस्टैंट और डेड्रीम वीआर फ्लेटफोर्म जैसे शानदार फीचर है, जिनका कोई जबाव नहीं.

यूजर एक्सपीरियंस है सब कुछ

अगर इसकी तुलना कारों से करें तो लक्जरी कार के सेगमेंट में कार खरीदने वाला पैसा वसूल माल नहीं लेता, बल्कि उसे ऐसी धमाकेदार चीज चाहिए होती है कि जिधर से भी गुजरे सब लोग वाह वाह करें.

पिक्सल वाकई एक शानदार प्रॉडक्ट है, लेकिन गैलेक्सी एस7/एस7 एज भी उसी की ही तरह हैं और दोनों एंड्रॉयड पर काम करते हैं.

लेकिन यह भी देखना होगा कि भारत में वनप्लस3 जैसे पॉपुलर प्रॉडक्ट कैसा कर रहे हैं. वनप्लस 3 और उसके आने वाले वनप्लस 3 टी में भी पिक्सल और गैलेक्सी एस7 जैसी खूबियां हैं, लेकिन दाम आधा है. यूजर एक्सपीरियंस भी बढ़िया है.

वनप्लस ने 2014 में अपना लोकप्रिय फोन 21,999 रुपए की कीमत पर बेचा जो अब 27,999 रुपए मे मिलता है और अच्छा खासा बिक रहा है. इससे एक बात पता चलती है कि बढ़िया क्वॉलिटी, बढ़िया हार्डवेयर और बढ़िया यूजर एक्सपीरियंस हो तो लोग ज्यादा पैसा खर्च करने को भी तैयार है.

तो क्या इसे मैं प्रीमियम डिवाइस कहूं? देखिए, दाम के हिसाब से तो नहीं कहूंगा. लेकिन यूजर एक्सपीरियंस के हिसाब से तो बिल्कुल ये प्रीमियम डिवाइस है.

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