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आखिर क्यों लोगों से उनके लार, खून और आंसू मांग रहा है गूगल?

10 सालों तक चलने वाले प्रोजेक्ट बेसलाइन के तहत कई बीमारियों के कारणों का पता लगाएंगी.

FP Tech

गूगल और उसकी सहयोगी रिसर्च कंपनी वेरिली एक क्लासिक मेडिकल रिसर्च शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें वो 10,000 लोगों के लार, खून, आंसू और मल के नमूनों के जरिए 4 सालों तक कई तरह की बीमारियों के पैदा होने के कारणों का पता लगाएंगे.

क्वार्ट्ज.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गूगल और वेरिली ड्यूक और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटीज के रिसर्चर्स के साथ कुछ सालों तक लोगों के डेली रूटीन पर नजर रखेंगे और पता लगाएंगे कि किन आदतों और वातावरण में रहने से किस तरह की बीमारियों के कारण पैदा होते हैं. इससे मेडिकल रिसर्च में काफी मदद मिलेगी. गूगल ने इसे प्रोजेक्ट बेसलाइन नाम दिया है.


इस रिसर्च में हर 10,000 शख्स पर चार सालों तक स्मार्टवॉच, ब्लड टेस्ट, एक्स-रे और जीनोम मैपिंग की मदद से नजर रखा जाएगा. ये रिसर्च लगभग 10 सालों तक चलेगी.

ह्यूमन हेल्थ का मिलेगा पूरा डाटा

स्टडी में शामिल हर शख्स को हेल्थ-ट्रैकिंग स्मार्टवॉच पहनकर रखना होगा. रात में सोते वक्त बिस्तर के नीचे स्लीप-ट्रैकिंग मशीन रखनी होगी. ये सारा डाटा उन्हें वक्त-वक्त पर रिसर्चर्स को उपलब्ध कराना होगा. बेसलाइन स्टडी साइट के अनुसार, साल में एक बार रिसर्चर्स स्टडी में शामिल लोगों के स्वास्थ्य की पूरी जांच करेगी. उनका हार्ट स्कैन करने के साथ लार, आंसू, खून और मल की जांच करेंगे. उनसे उनकी खाने-पीने की आदतों, लाइफस्टाइल के बारे में सवाल पूछेंगे. इसके अलावा पार्टिसिपेंट को हर तीसरे महीने एक ऑनलाइन सर्वे का हिस्सा भी बनना होगा.

ये आइडिया काफी अनोखा है. इससे बीमारियों के कारणों का हमें पहले से ही पता होगा और उसके इलाज में भी मदद मिलेगी. इस रिसर्च से मानव स्वास्थ्य को लेकर हमारे पास पूरा डाटा उपलब्ध होगा.