आज भारत के वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु की 158वीं जन्मतिथि है. गूगल ने भी आज इस महान हस्ती को अपने 'गूगल डूडल' के जरिए याद किया है.
इस डूडल में बसु को उनके आविष्कार क्रेस्कोग्राफ के साथ दिखाया गया है. बसु पेड़-पौधों पर की गई अपनी नई-नई खोजों के जरिए उस वक्त में अपनी जगह बनाई थी, जब भारतीयों को नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ता था. उन्हें अपने प्रतिभा को दुनिया के सामने रखने के लिए बमुश्किल मौके मिल पाते थे.
जगदीश चंद्र बसु में पेड़-पौधों के प्रति दिलचस्पी उनकी मां की वजह से जगी थी. एक बार बसु देर शाम तक खेल रहे थे. तभी उनकी गेंद उछलकर पास में लगाए गए पौधों में चली गई. बसु ने अपनी गेंद निकालनी चाही.उनकी मां ने उन्हें पौधों को छेड़ने से मना करते हुए कहा कि पौधे सो रहे हैं. उन्हें पौधों को यूं तंग नहीं करना चाहिए. बसु को ये बात बहुत अजीब लगी कि क्या पौधे भी इंसानों की तरह सोते है? उनकी मां ने उन्हें बताया कि, पौधे भी इंसानों की तरह सोते हैं, सांस लेते हैं, आपस में बातें करते है और उन्हें भी हमारी तरह दर्द होता है.
बस यहीं से बसु पेड़-पौधों के हो गए. इस दिशा में खुद सीखते हुए उन्होंने दुनिया को भी अनदेखी-अनजानी बातें सिखाईं. बसु को 'फादर ऑफ रेडियो साइंस' कहा जाता है. साथ ही बसु के नाम पर चांद पर मौजूद एक क्रेटर का नाम रखा गया है.