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साइबर अपराध विशेषज्ञों का कहना है 'तकनीक कानून से तेज चल रही है'

साइबर अपराध मामलों के एक वैश्विक जानकार ने कहा है कि कानून के मुकाबले तकनीक कहीं ज्यादा तेजी से चल रही है.

FP Staff

साइबर अपराध मामलों के एक वैश्विक जानकार ने कहा है कि कानून के मुकाबले तकनीक कहीं ज्यादा तेजी से चल रही है. जिससे यह समझना जरूरी हो गया है कि साइबर अपराध क्यों होते हैं और इसके पीछे कौन लोग हैं. विशेषज्ञ ने चेताया है कि हर कोई साइबर अपराधियों के निशाने पर है.

यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ में कानून और साइबर अपराध के वरिष्ठ लेक्चरार डॉ वेसिलियोस कारागियानोपोलोस के मुताबिक लोगों के लिए यह समझना जरूरी हो गया है कि वह साइबर अपराध से खुद को कैसे बचाएंगे. हाल ही में सामने आए कैंब्रिज एनालिटिका विवाद के बाद तो इसे समझना और भी जरूरी हो गया है.


फेसबुक- ऐनालिटिका बहुत बड़ा उदाहरण

फेसबुक ने हाल ही में स्वीकार किया था कि एक एप ने करीब 5.6 लाख भारतीय यूजर का डेटा इकट्ठा कर ब्रिटेन की कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका के साथ साझा किया था. जिसके बाद भारत में ऑनलाइन निजता को लेकर चिंता बढ़ने लगी थी. इस गहराती चिंता के बीच वेसिलियोस की यह टिप्पणी आई है.

वेसिलियोस का कहना है 'हमने कुछ कानून बनाए हैं लेकिन तकनीक के पास उन कानूनों की काट है. तकनीक को नियमित करने के लिए लगातार नए कानून लाने की प्रक्रिया चली आ रही है, जबकि जरूरत व्यवहार को नियमित करने की है.' उन्होंने कहा, 'यही कारण है कि छात्रों के लिए समझना जरूरी है कि साइबर अपराध क्यों होते हैं और उसके पीछे कौन लोग हैं.'

सोशल मीडिया के मामले में हम अपने दुश्मन खुद ही बन जाते हैं

ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ और गुजरात की रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद इस विषय को लेकर चर्चा हो रही है. वेसिलियोस की इन चिंताओं से दूसरे विशेषज्ञ संसदीय सुरक्षा के संयुक्त सचिव संदीप मित्तल भी इत्तेफाक रखते हैं. उन्होंने चेताया कि फेसबुक जैसे मंचों पर अपनी यात्रा योजन, स्थानों और घर की तस्वीरें आदि साझा करने से हम आसानी से साइबर अपराधियों के निशाने पर आ जाते हैं.

उन्होंने कहा कि इंटरनेट के जरिए कई तरह के अपराधों को अंजाम दिया जाता है. मित्तल का कहना है कि हर बार कहीं जाते वक्त 'चेक-इन' करने की कोई जरूरत है क्या. सोशल मीडिया के मामले में हम अपने दुश्मन खुद ही बन जाते हैं.