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आ रहा है एंड्रॉयड ओ, जानिए क्या होगा खास

गूगल ने एंड्रॉइड ओ का डिवेलपर प्रीव्यू जारी कर दिया है.

Anirudh Regidi

बाजार में बहुत से एंड्रॉयड यूजर अब भी अपने फोन अपग्रेड कर एंड्रॉयड 7 नूगट पर आने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन गूगल ने एंड्रॉइड ओ का डिवेलपर प्रीव्यू पहले ही जारी कर दिया है.

अब यह हमसे न पूछना कि इसमें ओ का क्या मतलब है. यहां ओ का मतलब ओरियो भी हो सकता है और ऑस्ट्रिच भी. इसमें आप भी उतना ही अंदाजा लगा सकते हैं जितना हम. इसलिए अगर आपको कुछ सूझता है तो कमेंट सेक्शन में लिखकर हमें जरूर बताएं.


खैर, डिवेलपर प्रिव्यू को यहां से डाउनलोड किया जा सकता है और रोम (ROM) नेक्सस 5 एक्स, 6पी और प्लेयर के साथ-साथ यह पिक्सल, पिक्सल सी और एक्सएल के लिए उपलब्ध हैं.

सामान्य शर्तें तो लागू होंगी ही. लेकिन अगर आप इस मामले में नए हैं तो यह बात अच्छी तरह जान लें कि अभी ये एंड्रॉइड ओ का डिवेलपर वर्जन है. मतलब यह पूरी तरह से तैयार प्रॉडक्ट नहीं है और इसके चलते आपका डाटा उड़ सकता है. रोम प्रिव्यू को आजमाने के लिए भी आपको अपने डिवाइस के डाटा की कुरबानी देनी होगी.

वापस ठीकठाक काम करने वाले एंड्रॉयड वर्जन को हासिल करने के लिए आपको फैक्ट्री सेटिंग यानी फ्लैश फैक्ट्री इमेज का सहारा लेना होगा, जो आप ऐसे कर सकते हैं.

अब आपको बताते हैं आखिर एंड्रॉयड ओ में है क्या:

नोटिफिकेशन

एंड्रॉयड ओ में नोटिफिकेशन का पहले से ज्यादा पावरफुल होना तय है. एंड्रॉयड के नए वर्जन में एक फीचर है जिसका नाम है ‘नोटिफिकेशन चैनल्स’. यह नोटिफिकेशन के मौजूदा रंगरूप को ही बदल देगा. इन चैनल्स की मदद से डिवेलपर्स और यूजर्स को नोटिफिकेशन पर ज्यादा कंट्रोल होगा कि वे कैसे दिखेंगे. इसमें एक केटेगराइजेशन सिस्टम मदद करेगा. कई तरह के नोटिफिकेशन ब्लॉक भी किए जा सकते हैं.

मान लीजिए आप वाट्सऐप इस्तेमाल कर रहे हैं और आप चाहते हैं कि आपके साथ काम करने वालों के नोटिफिकेशन आपको अपने नोटिफिकेशन बार पर दिखाई दें लेकिन आपको वाइब्रेशन या साउंड अलर्ट नहीं चाहिए, तो यह संभव हो पाएगा. उसमें से बाकी नोटिफिकेशन सामान्य तौर पर काम करेंगे.

आपके पास नोटिफिकेशन, स्नूज नोटिफिकेशन, सेट टाइमआउट और बैकग्राउंड कलर की प्राइयोरिटी यानी प्राथमिकता और अमहियत तय करने का विकल्प भी होगा. यहां तक कि मैसेजिंग से जुड़े नोटिफिकेशन के लिए अलग स्टाइल-क्लास भी होगी.

बैटरी लाइफ में सुधार

गूगल एंड्रॉयड की बैटरी परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए काम करता रहा है. एंड्रॉइड ओ के साथ उन्होंने चीजें कुछ बेहतर करने की कोशिश की है. जैसा कि द वर्ज ने बताया है, उन्होंने कई ऐसी बैकग्राउंड लिमिट्स रखी हैं जो कुछ कुछ आईओएस फीचर्स की तरह काम करती हैं. यह फीचर बैकग्राउंड में चलने वाले एप्स को कंट्रोल करेंगे और इस तरह बैटरी लाइफ और सिस्टम रिसोर्सेज पर उनका असर कम होगा.

बैटरी लाइफ पर असर को कम करने का एक और तरीका यह है कि कोई ऐप बैकग्राउंड में यूजर की लोकेशन को जितनी बार रिसीव करता है, उसकी संख्या को कम किया जाए.

ऑटोफिल

कहीं आपको कोई डीटेल भरनी है, उसमें भी यह आपके काम को आसान बनाएगा. सिर्फ ब्राउजर में नहीं, बल्कि यह ऐप्स में भी काम करेगा. इसीलिए क्रेडिट कार्ड की डीटेल्स और अन्य दूसरे नंबर और पते याद रखना और उन्हें टाइप करना पहले से ज्यादा आसान होना चाहिए.

पिक्चर-इन-पिक्चर मोड

हम ऐपल के आईपैड प्रोस और एंड्रॉयड टीवी पर इस मोड को पहले ही देख चुके हैं. बहुत सारे एंड्रॉयड फोन पहले ही इस मोड को सपोर्ट करते हैं. इन सबसे अलग, गूगल अब एंड्रॉयड पर पीआईपी मोड को बेहतर तरीके से सपोर्ट करेगा.

बेहतर विजुअल

अडैप्टिव आइकंस के कारण आइकन हैंडलिंग में सुधार हुआ है क्योंकि वे मास्क और एनिमेशन को सपोर्ट करते हैं. अगर कोई ओईएम (ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्यफैक्चर्र) त्रिभुजाकार आइकन चाहता है तो वह ऐसा मास्क मुहैया करा सकता है जो सारे आइकंस को उसी आकार का बना देगा और इससे उनके फंक्शन और एनिमेशन पर कोई फर्क नहीं होगा. इसमें एक एनिमेटरसेट एपीआई दिया गया है जो डिपेलपर्स को एनिमेशन का एक अतिरिक्त सेट मुहैया कराएगा. मिसाल के तौर पर एनिमेशन अब रिवर्स में भी उछल कूद कर सकेंगे.

गूगल का कहना है कि फॉन्ट सपोर्ट को भी बेहतर बनाया जाएगा.

डिस्प्ले को बेहतर बनाने के लिए भी एंड्रॉयड ओ में काम किया गया है. अगर कलर प्रोफाइल्स ठीक से काम कर रहे हैं तो ऐप्स और तस्वीरें वाइड-गैमट कलर डिस्प्ले की मदद से बेहतर दिखेंगी.

एंड्रॉयड पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार अब लॉक स्क्रीन के साथ अपने हिसाब से शॉर्टकट्स जोड़े जा सकते हैं. सेटिंग्स ऐप और साथ थीम्स नेटिव सपोर्ट की भी रिडिजाइनिंग हुई है.

वायरलैस कनेक्टिविटी

एंड्रॉयड ओ नेबर अवेयरनेस नेटवर्किंग यानी वाई-फाई अवेयर को सपोर्ट करता है. यह एक मजेदार चीज है जिसके जरिए डिवाइसेज वाई-फाई पर आपस में संपर्क कर सकते हैं. इसके लिए एक्सेस पॉइंट की कोई जरूरत नहीं होगी.

ब्ल्यूटूथ पर अब रिक्वेस्ट पेयरिंग को भी कस्टमाइज किया जा सकता है और यह संभव होगा कंपेनियन डिवाइस पेयरिंग नाम के फीचर से. सबसे अच्छी बात यह है कि आपको जो ब्ल्यूटूथ डिवाइस दिखाई देते हैं आप उन्हें फिल्टर कर पाएंगे.

नेविगेशन और ऑडियो

इसमें कीबोर्ड नेविगेशन जोड़ा गया है, क्योंकि बेहतर परफॉर्मेंस पर जोर है. एक विशेष ऑडियो एपीआई के जरिए ऑडियो का फीचर दिया गया है. डिवाइस और ऐप भी इससे जोड़े जा सकेंगे. फिंगरप्रिंट संकेतों को भी यह सपोर्ट करेगा.

मजेदार बात यह है कि अब ऐप कॉल का जबाव भी दे पाएंगे.

मीडिया प्लेबैक

इसमें एक नई चीज है मल्टी डिस्प्ले सपोर्ट. इसके साथ आप ऐप्स को अलग अलग विंडो में मूव कर पाएंगे. हालांकि एप भले ही अलग विंडो में खुले हों लेकिन वह काम एक ही विंडो में करेंगे.

डिफाल्ट मीडिया प्लेयर अपडेट होगा ताकि वह डीआरएम-प्रोटेक्टिड कंटेट को सपोर्ट कर पाए.

आखिर में, स्टोरेज एक्सेस फ्रेमवर्क (एसएएफ) नाम का एक नया फीचर रिमोट नेटवर्क लोकेशंस से मीडिया फाइल की एक्सेस को बेहतर बनाएगा. जैसा कि गूगल ने बताया है, एक बड़ी मीडिया फाइल को अपने डिवाइस पर देखने के लिए आम तौर पर उसे पूरा डाउनलोड करना पड़ता है. यह न तो सुविधाजनक है और व्यावहारिक. लेकिन एसएएफ एप्स को सिर्फ वही डाटा डिलीवर करने के काबिल बनाएगा जिसकी जरूरत है.

तो क्या आप एंड्रॉइड ओ को ट्राइ कर रहे हैं?