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अलविदा 2017: खेलों की दुनिया में बेहतरीन वापसी का साल

टेनिस के किंग रोजर फेडरर ने साल 2017 में दो ग्रैंडस्लैम जीतकर जोरदार वापसी की, विश्वनाथन आनंद ने फिर से दिखाया जलवा

Sumit Kumar Dubey

साल 2017 खत्म होने अब कुछ ही वक्त बचा है. इस साल जहां कई खिलाड़ियों ने कामयाबी की नई इबारतें लिखी वहीं कुछ ऐसे खिलाड़ी भी रहे जिन्होंने इस अपनी जोरदार वापसी करके उन्हें खारिज कर चुके लोगों को करारा जवाब दिया. यह साल ऐसे खिलाड़ियों के लिए खास रहा जिन्होंने एक बार फिर से खेलों की दुनिया में अपनी वैसी ही चमक बिखेरी जिसके लिए वो जाने जाते हैं.

रोजर फेडरर ने लिखी वापसी दास्तान


36 साल के टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर के लिए यह वापसी का साल रहा. ग्रेट ऑफ ऑल टाइम कहे जाने वाले फेडरर ने इस साल उम्र को धता बताते हुए दो ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट को जीतकर यह साबित कर दिया कि उनकी क्लास उम्र की मोहताज नहीं है. पांच साल पहले यानी 2012 में विंबलडन का खिताब जीतने के बाद से फेडरर कोई ग्रैंडस्लैम नहीं जीत सके थे.

माना जा रहा था कि 17 ग्रैंडस्लैम खिताबों के साथ उनका स्वर्णिम काल अब खत्म हो चुका है. लेकिन फेडरर ने इस साल की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियन ओपन को जीतकर अपनी वापसी ऐलान कर दिया. फेडरर ने यह खिताब सात साल बाद जीता. इसके बाद विंबलडन में भी विजेता की ट्रॉफी फेडरर के हाथ आई. 36 साल की उम्र में दो –दो ग्रैंडस्लैम जीतना बताता है कि इस साल का सबसे बैहतरीन कमबैक तो रोजर फेडरर का ही रहा है.

विश्वनाथन आंनंद ने भी दिखाया जलवा

एक वक्त शतरंज के खेल में पूरी दुनिया में अपने दिमाग का लोहा मनवाने वाले भारत के खिलाड़ी विश्वनाथन आंद पिछले कुछ सालों से शतरंज की दुनिया में कामयाबी की  सुर्खियों से दूर थे. लेकिन साल 2017 बीतते-बीतते आनंद ने जोरदार वापसी करते हुए रैपिड चेस में वर्ल्ड तैंपियन का खिताब अपने नाम करके इस साल जोरदार वापसी की.

आनंद ने रियाध में इस चैंपियनशिप के फाइनल राउंड में रूस के व्लादिमिर फेदोसीव को मात देकर 14 साल बार यह खिताब अपने नाम किया. कहा जा सकता है साल 2017 आनंद के लिए वापसी का साल रहा.

फिर से रिंग में लौटे सुशील कुमार

भारत के लिए ओलिंपिक खेलो में दो-दो मेडल जीतने वाले रेसलर सुशील कुमार पिछले तीन साल से कुश्ती के रिंग से बाहर थे. पिछले साल रियो ओलिंपिक में उनके भाग ना ले पाने के बाद माना जा रहा था कि देश के सबसे कामयाब एथलीट का करियर अब खत्म हो रहा है. लेकिन इस साल सुशील ने नेशनल चैंपियनशिप के जरिए फिर से रिंग में वापसी की. हालांकि यह वापसी थोड़ी विवादित रही और आखिरी की तीन बाउट वह बिना लड़े ही जीत गए. लेकिन इसके बाद इंटरनेशनल स्तर पर सुशील ने शानदार वापसी की.

साउथ अफ्रीका के जोहानिसबर्ग शहर में आयोजित कुश्ती की कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में सुशील ने न्यूजीलैंड के रेसलर आकाश खुल्लर को 74 किलोग्राम की कैटेगरी में मात देकर गोल्ड मेडल हासिल किया. साल 2014 में ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलों के बाद सुशील का यह पहला मेडल था. यानी कहा जा सकता है कि यह साल सुशील के लिए भी वापसी की साल रहा.

और अब बात करते है किसी एथलीट की नहीं बल्कि एक टीम की वापसी की.  यह वापसी हुई क्रिकेट के मैदान पर और शानदार वापसी को करने वाली टीम का नाम है पाकिस्तान.

पाकिस्तान ने सबको चौंकाया

इस साल जून में इंग्लैड में खेली गई चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान की टीम ने सभी समीकरणों और भविष्यवाणियों को धता बताकर खिताब अपने नाम कर लिया. टूर्नामेंट की शुरुआत में ही पाकिस्तान को बेहद कमजोर टीम माना जा रहा था. इससे पहले भी इस टीम ने पिछले कुछ सालों में कोई बडा टूर्नामेंट नहीं जीता था. लेकिन जैसे-जैसे चैंपियंस ट्रॉफी परवान चढ़ती गई वैसे-वैसे पाकिस्तान खेल में निखार आता गया.

आर्च राइवल भारत को फाइनल में हराने से पहले पाकिस्तान ने श्रीलंका, साउथ अफ्रीका और मेजबान इंग्लैंड को मात देकर यह साबित कर दिया उनका यह प्रदर्शन कोई तुक्का नही है. लिहाज साल 2017 को पाकिस्तान की टीम के लिए भी वापसी का साल कहा जा सकता है.