केन्या के ज्योफ्री किपकोरीर किरुई ने विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पुरुषों की मैराथन स्पर्धा का स्वर्ण जीत लिया. भारत के थोनाकल गोपी 28वें स्थान पर रहे. किरुई ने दो घंटे 8.27 मिनट समय के साथ पहला स्थान हासिल किया. यह इस सीजन में उनका सबसे अच्छा समय है. इथियोपिया के तामिरात तोला 2 घंटे 9.49 मिनट के साथ दूसरे और तंजानिया के अल्फोंस सिम्बू 2 घंटे 9.51 मिनट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
महिला मैराथन स्पर्धा में बहरीन की रोज चेलिमो ने स्वर्ण पदक हासिल किया. केन्या में जन्मी चेलिमो ने आखिरी के एक किलोमीटर में जबरदस्त तेजी दिखाते हुए दो घंटे, 27 मिनट 11 सेकेंड में रेस पूरी की.
रियो ओंलिपिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाली ग्रीस की इकातेरिनी स्टेफनिडी ने विश्व चैम्पियनशिप में महिलाओं की पोल वॉल्ट स्पर्धा में भी सोना जीता है. लंदन ओंलिपिक स्टेडियम में पोल वॉल्ट के फाइनल में उन्होंने 4.91 मीटर से पोल वॉल्ट को क्लीयर करते हुए सोना हासिल किया.
वहीं अमेरिका की सैंडी मोरिस को 4.75 मीटर की दूरी के साथ रजत पदक हासिल हुआ. इस चैंपियनशिप के पिछले संस्करण 2015 में स्वर्ण जीतने वाली क्यूबा की यारीस्ले सिल्वा को इस बार कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा. उन्होंने यह पदक वेनेजुएला की रोबेइल्यस पेईनाडो के साथ साझा किया. दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन 4.65 मीटर रहा और इसी स्कोर के साथ यह दोनों खिलाड़ी संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहीं.
केन्या की एडना आंगरींगवोनी किप्लागाट तीसरी बार विश्व चैम्पियन बनने से चूक गईं. किप्लागाट ने दो घंटे 27 मिनट 18 सेकेंड में रेस पूरी की और रजत पदक हासिल किया. अमेरिका की एमी क्रैग ने किप्लागाट के बराबर ही समय निकाला, हालांकि उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा.
वहीं अमेरिका की टोरी बोवी ने 100 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है. इस स्पर्धा में 10.85 सेकेंड का समय निकालते हुए सोना हासिल किया.
वह इस चैंपियनशिप के पिछले संस्करण में कांस्य पदक जीतने में सफल रही थीं, लेकिन इस बार उन्होंने अपने पदक के रंग का बदल लिया.
आइवरी कोस्टा की मैरी जोसे, बोवी से बेहद करीबी अंतर से चूक गई. मैरी ने 10.86 सेकेंड का समय निकालते हुए रजक पदक हासिल किया. नेदरलैंड्स की डेफ्ने स्कीपर्स 10.96 सेकेंड का समय निकालते हुए कांस्य पदक जीतने में सफल रही. विश्व चैंपियनशिप के पिछले संस्करण में डेफ्ने ने रजत पदक जीता था, लेकिन इस बार उन्हें कांस्य से ही संतोष करना पड़ा.