भारत की सबसे अनुभवी मुक्केबाज मैरीकॉम ने सबकी उम्मीदों को पूरा करते हुए विश्व चैंपियशिप में इतिहास रच दिया है. मैरी ने खिताबी मुकाबले में यूक्रेन की हेना ओखोटा को 5-0 से हराकर करियर का छठा गोल्ड मेडल और ओवरऑल 7वां मेडल अपने नाम कर लिया है.
मैरीकॉम की इस कामयाबी को पीएम मोदी ने भी सलाम किया है.
इसी के साथ उन्होंने केटी टेलर को पीछे छोड़ने के साथ ही क्यूबा के फेलिक्स सैवॉन के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है. टेलर ने पांच बार विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. वहीं सैवॉन के नाम इस चैंपियनशिप में छह गोल्ड मेडल है. भारत की यह दिग्गज मुक्केबाज विश्व चैंपियनशिप में सबसे सफल मुक्केबाज भी बन गई हैं. जीत के बाद आंखों में आंसों के साथ मैरी ने अपने अब तक के सफर को याद किया.
48 किग्रा के खिताबी मुकाबले में जैसे ही मैरी रिंग में उतरी. हर किसी को पूरी विश्वास था कि वो छठीं बार गोल्डन पंच लगाने में सफल रहेगी और 9 मिनट के बाद जब रैफरी ने ब्ल्यू कॉर्नर का हाथ उठाया तो वह एक विश्व चैंपियन मैरीकॉम थी.
कैटी टेलर 2006 से 2014 तक गोल्ड और 2016 विश्व चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. पुरुष वर्ग में क्यूबाई मुक्केबाज वर्ल्ड चैंपियनशिप के इतिहास में सबसे कामयाब है. सैवॉन ने तीन ओलिंपिक गोल्ड भी जीते हैं. उसके अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप के हैवीवेट वर्ग में 1986 से 1989 के बीच छह गोल्ड और एक सिल्वर जीते थे.
पहला राउंड: मैरीकॉम ने आते ही हेना पर पंच बरसाकर दबाव बनाना शुरू किया, लेकिन शुरुआती मिनट में हेना ने भारतीय खिलाड़ी के पंचों के खुद का अच्छा बचाव किया. एक समय हेना पर दबाव बनाने चक्कर में मैरी रिंग में गिर गई थी, लेकिन जल्द ही खुद को संभाला.
दूसरा राउंड: पहले राउंड में भारतीय मुक्केबाज के अटैक को सही से समझकर हेना ने इस राउंड में हाइ गार्ड के साथ खेला और मौके बनाने की कोशिश की, लेकिन मैरी ने पूरे रिंग को कवर करते हुए खुद को हेना के पंचों को खुद के करीब तक आने नहीं दिया.
तीसरा राउंड: इस राउंड में पूरी तरह मैरीकॉम हावी रही. हालांकि इस राउंड के आखिरी मिनट में हेना पहले दो राउंड के मुताबिक काफी अटैकिंग हो गई थी और उन्होंने सारी तकनीक एक साथ अपना डाली, लेकिन मैरी ने अपना अनुभव दिखाते हुए सटीक पंच लगाए.