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ब्रिटेन में किस तरह तैयारी कर रहे हैं विजेंदर

विपक्षी मुक्केबाज को दिया जवाब-  वो गरज रहे हैं, हम बरसेंगे

Shailesh Chaturvedi

विजेंदर के लिए दुनिया बदल गई है. पटियाला में एनआईएस का कमरा, अपने साथी, पटियाला से भिवानी के रास्ते में ढाबे...वो सब बीती बातें हैं. अब उनके लिए दुनिया अलग है. पटियाला में एनआईएस के खामोश माहौल को तोड़ती मुक्कों की आवाज की जगह अब प्रोफेशनल बॉक्सिंग की चमक-दमक ने ले ली है. बगैर किसी बड़े वादों और दावों के बॉक्सिंग रिंग में उतरना अब बीती बात है. प्रोफेशनल दुनिया तो गरजने से जुड़ी है, पैकेजिंग से जुड़ी है, मार्केटिंग से जुड़ी है. उन सबकी आदत विजेंदर को पड़ गई है.

मैनचेस्टर में अभ्यास कर रहे हैं विजेंदर


विजेंदर इस वक्त मैनचेस्टर में अगली बाउट की तैयारी कर रहै हैं, जो दिल्ली मे 17 दिसंबर को होनी है. डबल्यूबीओ एशिया पेसिफिक सुपर मिडिलवेट खिताब की रक्षा के लिए विजेंदर उतरेंगे. एक रोज पहले ही उनके विपक्षी तंजानिया के फ्रांसिस चेका ने उन पर हमला बोला था. कहा था कि चेहरे पर ऐसे मुक्के मारूंगा कि विजेंदर प्रोफेशनल बॉक्सिंग भूल जाएंगे. विजेंदर को इस तरह के बयानों का मतलब पता है. अभ्यास से पहले उन्होंने फर्स्टपोस्ट.कॉम से खास बातचीत में कहा कि जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं हैं, ‘वो गरज रहे हैं, हम बरसेंगे. वो सवाल हैं, उनका जवाब हम देंगे. बस, दिन आने दीजिए.’

किस तरह चल रही है विजेंदर की ट्रेनिंग

‘उस दिन’ के लिए विजेंदर जमकर अभ्यास कर रहे हैं, ‘नॉर्मल बॉक्सिंग से यहां प्रैक्टिस अलग है. यहां दस राउंड होते हैं, तो आपको ध्यान रखना पड़ता है कि कहीं आठ राउंड तक आते-आते न थक जाएं.’

खासतौर पर एंड्योरेंस बढ़ाने पर ध्यान देना होता है. विजेंदर के अनुसार, ‘आपका फ्यूल टैंक खाली न हो जाए, इस तरह अभ्यास करना पड़ता है.’ इसके लिए वो सुबह दस-साढ़े दस बजे से तीन बजे तक अभ्यास करते हैं, ‘जैसे-जैसे बाउट करीब आएगा, समय कम होता जाएगा. फिर एक्सप्लोसिव पावर के लिए ज्यादा ट्रेनिंग होगी.’

विजेंदर उस दुनिया को मिस करते हैं, जिसका वो बचपन से हिस्सा रहे. भिवानी में बचपन बिताने से लेकर पटियाला में काफी साल तक रहना उनके लिए अब यादों का हिस्सा है, ‘मिस करता हूं. अपने लोग, अपना खाना... अपना माहौल, सब मिस करता हूं. लेकिन कहते हैं ना कि कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है.’

विजेंदर रहे हैं ट्रेंडसेटर

विजेंदर हमेशा कुछ बड़ा, कुछ अलग करना चाहते थे. उनके कोच से लेकर उनके विपक्षी भी मानते रहे हैं कि देश मे सबसे ‘इंटेलिजेंट बॉक्सर’ में वो हैं. यही बात उनके लिए हमेशा कामयाबी लेकर आई है. विजेंदर ने सात प्रो बाउट में से छह नॉकआउट के साथ जीती हैं. पिछली बाउट ऑस्ट्रेलिया के केरी होप के खिलाफ थी, जो आठ राउंड चली. वो डब्ल्यूबीओ रैंकिंग में विश्व नंबर दस हैं. विजेंदर एमेच्योर करियर मे 2008-09 में विश्व नंबर एक थे.

विजेंदर ओलिंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बने थे, जब 2008 में उन्होंने कांस्य जीता था. उसके बाद प्रो बॉक्सिंग में उन्होंने अलग मुकाम बनाया है. बॉक्सिंग की दुनिया से अलग फिल्म और मॉडलिंग में भी हाथ आजमा ही चुके हैं. वो कहते भी हैं, ‘मैंने तो एक ट्रेंड सेट कर दिया है. अब इसे बहुत आगे जाना है. बहुत से लोग आ गए हैं. और भी आएंगे.’

इससे पहले भी कई भारतीय मुक्केबाज प्रो बॉक्सिंग का हिस्सा थे. लेकिन वो दौर अलग था. टीवी उस तरह से खेल की दुनिया पर हावी नहीं था. इस समय टीवी और बाजार की वजह से प्रो बॉक्सिंग बिल्कुल अलग दिखाई देती है. ओलिंपिक में आने के बाद इस ओर आकर्षण और ज्यादा बढ़ा है. अब वो दुनिया वाकई बहुत पीछे छूट गई है, जो पटियाला के इर्द-गिर्द सिमटी थी. समानता ये है कि वहां भी 2008 के ओलिंपिक पदक के बाद निगाहें विजेंदर पर होती थीं, यहां भी विजेंदर पर हैं.