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एशियन आर्चरी चैंपियनशिप: गरीबी को मात देते हुए 17 साल के गोरा हो ने देश को दिलाया गोल्ड

भारत को यह गोल्ड मेडल पुरुषों की टीम रिकर्व स्पर्धा में मिला, जिसमें युवा गोरा हो के साथ आकाश और गौरव लांबे भी शामिल थे

FP Staff

बैंकॉक में आयोजित एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में भारत ने तीन गोल्ड मेडल, दो ब्रॉन्ज मेंडल के साथ पहले स्टेज का समापन किया. देश को गोल्ड दिलाने वालों में एक झारखंड के तीरंदाज भी शामिल हैं जिन्होंने कम उम्र में यह उपलब्धी हासिल कर झारकंख के कई लोगों के सपनों को उम्मीद दी है.

झारखंड के राजनगर के बालीजुडी गांव के रहने वाले 17 साल के गोरा का यह पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल है.  बैंकॉक में  टीम इवेंट में भारतीय पुरुष आर्चरी टीम ने गोल्ड मेडल हासिल किया है. इस टीम में गोरा के अलावा अकाश और गौरव लांबे भी हिस्सा थे. इन तीनों खिलाड़ियों ने मंगोलिया को हराकर प्रतियोगिता में पहला स्थान हासिल किया.


गोरा ने जूनियर और सब जूनियर स्तर पर प्रादेशिक और नैशनल लेवल पर 100 से ज्यादा मेडल अपने नाम किए हैं. इसके बाद यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल है. छह साल पहले  तिरंदाजी करना शुरू करने वाले गोरा ने बहुत कम समय में काफी ख्याति पा ली है. लोग उन्हें 'गोल्डन बॉय' कहकर बुलाने लगे हैं.

कोच को है पूरा विश्वास

गोरा के अंदर तीरंदाजी की प्रतिभा को छह साल  डुगनी आर्चरी एकेडमी के कोचों ने पहचाना और तबसे वह वहीं ट्रेनिंग कर रहे हैं. प्रदेश सरकार ने भी उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें 2 लाख 70 हजार का धनुष उन्हें दिया था. गोरा ने तीरंदाजी खुद सीखी थी. एकेडमी से पहले उनके पास कोई बड़ा कोच नहीं था.

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक गोरा के कोच बी श्रीनिवास राव कहते हैं, 'यह लड़का ओलिंपिक मटीरियल है.' श्रीनिवास सेराइकेला की डुगनी आर्चरी अकैडमी में गोरा के कोच हैं. गोरा के बारे में वह कहते हैं, 'उसमें (गोरा) में आर्चरी का स्वभाविक टैलंट है. अगर उसकी प्रतिभा को विदेशी कोचों की देखरेख में ठीक से तराशा जाए, तो वह देश के लिए संपत्ति हो सकता है.

गरीबी है सबसे बड़ी मुश्किल

गरीब किसान परिवार से संबंध रखने वाले गोरा 4 भाइयों में सबसे छोटे हैं. उनके 50 वर्षीय पिता खेरू हो पिछले 2 साल से लकवा का अटैक आने के बाद से बिस्तर पर है. दो साल पहले 2016 में गोरा की मां का निधन हो गया था. अभी उसके तीनों बड़े भाई उनकी देखरेख करते हैं.प्रदेश सरकार ने भी उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें 2 लाख 70 हजार का धनुष उन्हें दिया था. इतनी परेशानियों के बावजूद वह अपने सपने को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं.

वर्ष 2015 में बाल दिवस पर राष्ट्रपति भवन में तीरंदाजी खेल के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ प्रणव मुखर्जी ने गोरा हो को पुरस्कृत किया था. उस वक्त गोरा हो की उम्र करीब 14 साल थी.