ओलिंपिक खेलों की तैयारियों के लिए खेल मंत्रालय की ओर से एथलीट्स को मिलने वाली रकम पर अब अंकुश लगा दिया गया है. अब यह पैसा सीधे एथलीट्स को देने की बजाय खेल संघों और साइ यानी खेल प्रधिकरण के जरिए दिया जाएगा.
दरअसल सरकार द्वारा टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम यानी टॉप्स के तहत तमाम स्पर्धाओं में से एथलीट्स को चयनित किया जाता है जिनमें ओलिंपिक खेलों में मेडल जीतने की संभावना नजर आती है. ऐसे एथलीट्स की तैयारियों के खर्चे के लिए खेल मंत्रालय की ओर से एक निश्चित रकम उपलब्ध कराई जाती है. पिछले कुछ वक्त से इस स्कीम में कई अनियमितताएं सामने आ रही थीं.
खबरों के मुताबिक पिछले साल रियो ओलिंपिक की तैयारियों के लिए सरकार ने एथलीट्स के खाते में पैसा जमा कराया था लेकिन उसके बाद कई एथलीट्स हिसाब नहीं दे पा रहे हैं. कुछ एथलीट्स का हिसाब-किताब तो अब पूरा नहीं हो पाया है. लिहाजा अब खेल मंत्री .राज्यवर्धन राठौड़ ने यह पैसा खेल संघों और साइ के जरिए ही जारी करने का फैसला किया है.
अब एथलीट्स की विदेश में ट्रेंनिंग करने का बिल साइ के जरिए ही चुकाया जाएगा. इसके अलावा एथलीट्स किसी मेंटल ट्रेनर या फिजियो को सीधे अनुबंधित नही कर सकेंगे . यह काम भी साइ के माध्यम से ही होगा ताकि खाली वक्त में उन ट्रेनर्स का उपयोग किया जा सके.
टॉप्स की स्कीम में अभी 152 एथलीट्स शामिल है. एथलीट्स के लिए अच्छी बात यह है कि उन्हें हर महीने मिलने वाले 50,000 रुपए का जेब खर्च मिलता रहेगा.