आईएसएसएफ और अभिनव बिंद्रा की अगुआई वाली खिलाड़ी समिति पर तीन बार के ओलंपिक पदक विजेता राजमंड डेबेवेच ने निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा तीन स्पर्धाओं को रद्द किए बिना भी 2020 ओलंपिक में लिंग समानता हासिल की जा सकती है.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के एजेंडा 2020 के अनुसार सभी अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों को अपने खेलों में बदलाव करना होगा, जिससे कि तोक्यो खेलों तक लिंग समानता को बढ़ावा दिया जा सके. मतलब महिला और पुरुषों के इवेंट में तालमेल बिठाया जा सके
आईओसी के निर्देश के बाद अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ ने कुछ बदलाव किए हैं जिसके तहत डबल ट्रैप, पुरुष राइफल प्रोन और 50 मीटर पिस्टर ओलंपिक से बाहर हो सकते हैं. नई स्पर्धाएं शामिल हो सकती हैं, जिससे महिलाओं को अधिक प्रतिनिधित्व मिले.
ये सिफारिशें भारतीय ओलंपिक चैम्पियन की अगुआई वाली खिलाड़ी समिति ने की है. सिडनी ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता और पांच बार विश्व चैम्पियनशिप के पदक विजेता डेबेवेच ने कहा, ‘एक निशानेबाज होने के नाते मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं, क्योंकि आईएसएसएफ ने इस प्रक्रिया को शुरू करने और सिफारिशों को स्वीकार करने में पारदर्शिता नहीं बरती. मुझे लगता है कि यहां लोकतंत्र की कमी थी.’
उन्होंने कहा, ‘आईएसएसएफ के नियम कहते हैं कि इस तरह के बदलाव को आम सभा में स्वीकृति मिले जो यहां नहीं हुआ.’ स्लोवानिया के इस महान निशानेबाज ने कहा, ‘आम सभा में इस पर मतदान और स्वीकार किया जाना चाहिए था. लेकिन इस फैसले को गोपनीय रखा गया और पूरी प्रकिया आईएसएसएफ के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के बीच हुई. यह मेरी सबसे बड़ी चिंता है. मैं ओलंपिक में लिंग समानता के पक्ष में हूं लेकिन इसे अलग तरीके से हासिल किया जा सकता था जिससे किसी को भी पीड़ा नहीं पहुंचे.’