भारत की स्टार धाविका दुती चंद ओलिपिंक चैंपियन कैस्टर सेमेन्या के समर्थन में उतर आई हैं. पिछले साल स्पोर्ट्स कोर्ट में पहली बार इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशनल (आईएएएफ) को हाइपरएंड्रोजेनिक नियम के लिए सफलतापूर्वक चुनौती देने वाली दुती चंद को विश्वास है कि सेमेन्या नियमों के खिलाफ लड़ाई में विजयी होंगी. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक आईएएएफ की नई पात्रता मापदंड के प्रस्ताव के तुरंत बाद दुती ने ओलिंपिक चैंपियन को मेल किया था और अपनी कानूनी टीम की मदद देने की पेशकश की थी. सेमेन्या के वकील दुती की टीम के साथ काम कर रहे हैं.
नियम के खिलाफ स्पोर्ट्स कोर्ट पहुंची ओलिंपिक चैंपियन कास्टर सेमेन्या
दुती ने कहा कि उनके निलंबन और बैन हटने के बीच का जो समय था, वह उनकी जिंदगी का सबसे बुरा दौर था और उन्होंने महसूस किया कि किसी और एथलीट को इस तरह के दर्द को सहन नहीं करना चाहिए. दुती ने कहा कि सेमेन्या के लिए यह काफी मुश्किल राह है, लेकिन साउथ अफ्रीकन खिलाड़ी इसे बेहतर तरीके से संभाल लेंगी. दुती ने कहा कि जब उन्होंने आईएएएफ के खिलाफ जंग लड़ी थी, तक उन्हें इन सबके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि ओडिशा के एक छोटे से गांव से आई मैं एक अनुभवहीन लड़की थी, जो अभ्यास और प्रतियोगिताओं से अधिक नहीं जानती थी. मैं पूरी तरह से तैयार भी नहीं थी. लेकिन यह अच्छा है कि सेमेन्या के साथ मामला कुछ अलग है. वह पहले से ही एक स्टार हैं और चैंपियन हैं. वह इन सब को संभालने के लिए मजबूत हैं..
दुती ओलिंपिक चैंपियन सेमेन्या की हालात से भली भांति परिचित हैं. 2014 में 18 साल की उम्र में उन्होंने नियमों का सामना किया था. दुती उस समय ग्लास्गो कॉमनवेल्थ और इंचियोन एशियन गेम्स के लिए तैयारी कर रही थीं. इस युवा खिलाड़ी को उस समय झटका लगा जब वह हाइपरएंड्रोजेनिक टेस्ट में फेल हो गईं और इस कारण पहले कॉमनवेल्थ और फिर एशियन गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं पाई थीं. आईएएएफ के हाइपरएंड्रोजेनिज्म के दिशानिर्देशों को हटाने के बाद ही दुती चंद वापस ट्रैक पर लौट पाई थीं.