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क्या खेलों को लालफीताशाही से मुक्त करा पाएंगे पीएम ? मोदी की बनाई टास्क फोर्स ने सौंपी रिपोर्ट

रियो ओलिंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने किया था टास्कफोर्स का गठन, अभिनव बिंद्रा और गोपीचंद है टास्कफोर्स में शामिल

FP Staff

पिछले साल रियो ओलिंपिक में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री मोदी की बनाई टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में खेलों में लाल फीताशाही यानी सरकारी बाबुओं के कम से कम दखल की सिफारिश की है. प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी अपनी 144 पन्नों की रिपोर्ट में इस टास्क फोर्स ने स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी साई में बड़े पदों पर सरकारी बाबुओं की बजाय ट्रेंड पेशवरों की अनुबंध पर नियुक्ति करने की सिफारिश की है.

आपको बता दें कि देश में खेलों को संचालित करने में सरकार की भूमिका का निर्वाहन साई के जरिए ही होता है. साई के मुखिया के तौर पर सरकारी अधिकारी ही उसे चलाते हैं और फंड के लिए साई खेल मंत्रालय पर ही निर्भर है.


समाचार पत्र इंडियन ऐक्सप्रैस की खबर के मुताबिक इस टास्क फोर्स ने साई को आर्थिक रूप से स्वयत्तता देने की भी बात कही है. ओलिंपियन अभिनव बिंद्रा और पुलेला गोपीचंद जैसे सदस्यों  वाली इस टास्क फोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी खिलाड़ी को 28 साल की उम्र तक ही एक्टिव माना जाना चाहिए और उसके बाद उसके प्रदर्शन और रैंकिंग के आधार पर ही उसका भविष्य तय होना चाहिए.

साथ ही इस टास्क फोर्स ने आईपीएल की तर्ज पर शुरू होने वाली खेलों की लीग को पहले पांच सालों के लिए टैक्स में छूट देने की भी सिफारिश की है.

आपको बता दें के रियो ओलिंपिक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2020, 2024 और 2028 के ओलिंपिक खेलो में भारत के पदकों की संख्या को बढ़ाने के उपाय खोजने के लिए इस टास्क फोर्स का गठन किया था. ऐसे में अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री मोदी इस टास्क फोर्स की सिफारिशों को कब और कितना लागू कर पाते हैं.