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पुणेरी पलटन के कप्तान के तौर पर सीखा कैसे मैदान पर रहते हैं शांत- दीपक हूडा

पुणेरी पलटन के कप्तान और हाल ही में कबड्डी एशिया चैंपियनशिप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे दीपक हूडा से फर्स्टपोस्ट से खास बातचीत

Riya Kasana

भारत ने हाल ही में हॉकी एशियन कबड्डी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. भारत की टीम ने अपने शानदार प्रदर्शन से देश को गौरव करने का एक और मौका दे दिया. टीम के प्रमुख खिलाड़ियों में से एक दीपक हूडा से बात की फर्स्टपोस्ट ने. दीपक प्रो कबड्डी लीग में पुणेरी पलटन की तरफ से खेलते हैं और उसके कप्तान भी हैं. उन्होंने बताया कि प्रो कबड्डी लीग ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया और साथ ही अपने एसियाी चैंपियनशिप का अनुभव साझा किया.

सवाल- 1. पीकेएल में आपके प्रदर्शन ने आपको एशियाई चैंपियनशिप में कैसे मदद की है?


दीपक- प्रो कबड्डी लीग के सीजन 5 मेरे लिए और साथ ही मेरी पूणेरी पलटन टीम के लिए शानदार था. यह पीकेएल में एक कप्तान के रूप में मेरा पहला कार्यकाल था, जहां मुझे कई चीजें सीखने को मिली. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि कप्तान एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है. जब मुझे रणनीति के बारे में सोचना पड़ता था, तो मुझे पूरी टीम पर ध्यान देना था, न कि मेरे व्यक्तिगत प्रदर्शन पर. इससे पहले, मैं आक्रामक रूप से खेलता था, लेकिन अब मैं शांत होकर खेलत हूं जो मुझे लगता है कि कबड्डी में महत्वपूर्ण है. 3 महीने की लीग के दौरान मेरे जिम में निरंतर प्रशिक्षण सत्र ने मुझे एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप के लिए फिट रहने में बहुत मदद की. तीसरा, पीकेएल सीजन 5 में, मैचों के दौरान मैं कई विदेशी खिलाड़ियों के संपर्क में आया था. विदेशी खिलाड़ियों के खिलाफ खेलने से मुझे अपनी ताकत और कमजोरियों को समझने का मौका मिला, जो कि एशियाई चैंपियनशिप के दौरान मेरे लिए फायदेमंद रहा.

2. यह जीत आपको और टीम को अगले साल के एशियाई खेलों में किस तरह मदद करेगी.

दीपक- एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप में इस जीत से सभी खिलाडियों के अंदर एक नया आत्मविश्वास जगाया है. इसके अलावा, एशियाई कबड्डी चैंपियनशिप में, हमें कई अन्य अंतरराष्ट्रीय कबड्डी टीमों के खिलाफ खेलने का मौका मिला. अब हमारे पास प्रत्येक टीम की ताकत और कमजोरियों के बारे में एक विचार है, जो हमें 2018 एशियाई खेलों की तैयारी में मदद करेगा.

3. एशियाई चैंपियनशिप में आप अन्य पीकेएल टीम के सदस्यों के साथ खेल रहे थे? अनुभव कैसे था?

दीपक- मेरे पुराने साथियों के साथ मैट पर वापस जाना अच्छा था. अन्य टीम के सदस्यों के साथ बैंलेंस बिठाने में बिल्कुल कठिनाई नहीं हुई थी क्योंकि हम विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में एक साथ खेल रहे हैं. देश के लिए खेलना और स्वर्ण जीतना सभी खिलाड़ियों का सपना है और खिलाड़ियों ने इस सपने को पूरा करने के लिए एपना सबकुछ झोंक दिया था. हालांकि हम सभी पीकेएल में विभिन्न फ्रेंचाइजी का हिस्सा थे, एशियाई चैंपियनशिप में हम एक टीम थे, जो टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.

4. इस समय भारत में कब्ड्डी की लोकप्रियता अपने चर्म पर है. आप इसकी क्या वजह मानते हैं?

दीपक- कबड्डी भारत के इतिहास में लोकप्रिय है. इसका महाभारत जैसी प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख किया गया है. हर कोई कबड्डी अपने जीवन में इसे खेलता है. लेकिन बहुत से लोग इसे याद नहीं करते हैं ना ही इस खेल को गंभीरता से लेते हैं. पीकेएल की स्थापना से पहले, कबड्डी केवल ग्रामीण इलाकों में लोकप्रिय था, लेकिन 2014 में प्रो कबड्डी लीग के आने से स्थिति में बदलाव आया है. प्रो कबड्डी लीग ने हर सीजन के साथ दर्शकों की लोकप्रियता प्राप्त की और आज यह एक घर का नाम बन गया है. यह बहुत अच्छा है कि पीकेएल सीजन 5 का फाइनल भारत में सबसे अधिक देखा जाने वाला गैर-क्रिकेटिंग खेल था. पीकेएल ने कबड्डी खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और मान्यता अर्जित करने के लिए एक मंच दिया है. कबड्डी के बारे में जागरुकता पैदा करने के अलावा, पीकेएल ने भी कबड्डी को बहुत ही आवश्यक ग्लैमर  दिया है.